शिमला: क्राइम ग्राफ का अध्ययन समाज की दशा और दिशा समझने में सहायक होता है. देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर अमूमन शांति रहती है. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान समाज में काफी परिवर्तन देखने को मिले. लॉकडाउन लगने से साइबर अपराध बढ़े. साथ ही मर्डर के केस भी. वहीं, तनाव, बीमारी के भय और भविष्य की चिंता से सुसाइड के केस भी तेजी से बढ़े.
हिमाचल में तीन साल के क्राइम ग्राफ से ये पता चलता है कि कोरोना से पहले यानी वर्ष 2019 में यहां हर तरह के अपराध के मामलों का आंकड़ा 19924 केस दर्ज होने के रूप में था. कोरोना की दस्तक के बाद वर्ष 2020 में मार्च में लॉकडाउन लग गया. तब अपराध के केस बढ़ गए. वर्ष 2020 में हिमाचल प्रदेश में 20630 क्राइम केस दर्ज किए गए. कोरोना का कोप कम होने के बाद क्राइम ग्राफ भी गिर (Crime graph down in Himachal)गया. वर्ष 2021 में हिमाचल प्रदेश में अपराध के 18833 मामले दर्ज किए गए. वहीं, नए साल में पहली फरवरी तक प्रदेश में दर्ज किए गए मामलों की संख्या 1759 रही है. वहीं, कोरोना काल में मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2022 तक की अवधि में हिमाचल में 144 लोगों ने सुसाइड किया.
हिमाचल में क्राइम | ||
2019 | 19924 | |
2020 | 20630 | |
2021 | 18833 |
कोरोना काल में मर्डर ज्यादा: हिमाचल में हत्या के मामलों का ब्यौरा देखें तो कोरोना से पहले प्रदेश में एक साल में यानी 2019 में मर्डर के 70 केस दर्ज किए गए थे. वहीं, वैश्विक महामारी कोरोना के समय में 2020 में मर्डर के केस बढक़र 91 हो गए थे. अगले साल यानी 2021 में ये केस 85 थे. नए साल में फरवरी महीने तक प्रदेश में हत्या के 5 मामले सामने आए हैं. जाहिर है, कोरोना काल में मर्डर के केस अधिक देखने को मिले.
हिमाचल में कोरोना काल में मर्डर | |
2019 | 70 |
2020 | 91 |
2021 | 85 |
कोरोना के दौरान साइबर अपराध भी ज्यादा: कोरोना के दौरान साइबर अपराध भी बढ़े थे. कोरोना से पहले वर्ष 2019 में हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध के 77 मामले दर्ज किए गए थे. कोरोना के दौरान लॉकडाउन लगने और तरह-तरह की बंदिशों के बीच साइबर अपराध बढ़ा. वर्ष 2020 में हिमाचल में साइबर अपराध के 91 मामले दर्ज किए गए. बाद में हिमाचल में साइबर पुलिस ने मुहिम चलाई और जनता को जागरूकक किया. उसका परिणाम ये निकला कि पिछले साल साइबर अपराधों में भारी कमी आई. वर्ष 2021 में हिमाचल में 55 मामले साइबर क्राइम के सामने आए.
हिमाचल में कोरोना काल में साइबर अपराध | |
2019 | 77 |
2020 | 91 |
2021 | 55 |
कोरोना संकट के दौरान नशे की तस्करी बढ़ी: यदि नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे के सेवन की प्रवृति को देखें तो कोरोना काल में ये बढ़ गई थी. वर्ष 2019 में हिमाचल प्रदेश में नशे की तस्करी के 1439 केस दर्ज किए गए. कोरोना संकट के दौरान नशे की तस्करी बढ़ी. नशे के तस्कर नए-नए तरीके निकाल कर नशे का सामान बेच रहे थे. तब वर्ष 2020 में नशा तस्करी के मामले बढ़कर 1538 हो गए. यानी एक साल में करीब सौ मामले बढ़ गए. बाद में भी ये रफ्तार जारी रही और 2021 में इस प्रकार के मामलों की संख्या 1537 रही. यानी लगभग बराबर के केस दर्ज किए गए. अभी भी इस साल फरवरी तक इन मामलों की संख्या 174 है. यदि यही रफ्तार रही तो इस साल भी नशे की तस्करी के मामले कम नहीं होंगे.
कोरोना काल में नशा तस्करी | |
2019 | 1439 |
2020 | 1538 |
2021 | 1537 |
कोरोना काल में घट गई थी चोरी की वारदातें: कोरोना के दौरान अधिकांश समय लोग घरों में ही कैद रहे, लिहाजा चोरी की घटनाएं कम हुई. हिमाचल में वर्ष 2019 में साल भर चोरी की 929 वारदातें हुई. कोरोना के समय में यानी 2020 में ये घटकर 622 रह गई. बाद में जब बंदिशें कम हुई तो 2021 में ये मामले फिर से उछाल लेने लगे. प्रदेश में 2021 में 767 चोरी की घटनाएं हुईं. इसी तरह किसानों से ठगी के मामलों का ग्राफ भी है. कोरोना में ठगी के मामले एकदम से कम हो गए. कोरोना से पहले हिमाचल प्रदेश में किसानों-बागवानों से ठगी के 74 मामले दर्ज किए गए थे. कोरोना में 2020 में ये मामले 29 रह गए. पिछले साल यानी 2021 में किसानों की उपज खरीदने के बाद पेमेंट न देने और अन्य तरीकों से ठगी के सिर्फ 22 मामले दर्ज हुए. वहीं, दुष्कर्म के मामलों को देखें तो हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2019 में हिमाचल में दुष्कर्म के 360, वर्ष 2020 में 333 व 2021 में 359 मामले दर्ज किए गए.
कोरोना काल में चोरी की वारदात | |
2019 | 929 |
2020 | 622 |
2021 | 767 |
क्या कहते हैं जानकार: मनोचिकित्सक डॉ. रविचंद शर्मा का कहना है कि समाज में अपराध का से समाज विशेष की मानसिकता और दशा-दिशा का पता चलता है. ये जमाना तकनीक का है तो अपराधियों ने ठगी के नए तरीके तलाश लिए. कोरोना काल में सुसाइड के मामले इसलिए बढ़े कि अचानक आई बीमारी ने इंसान को बुरी तरह से झिंझोड़ दिया और वो मन ही मन एक अनजाने डर से ग्रस्त हो गया.
वहीं, लॉकडाउन में लोग घरों में थे तो चोरी के मामले कम देखने को मिले. डॉ. रविचंद शर्मा का कहना है कि अपराध को रोकना केवल सरकार व सिस्टम का ही काम नहीं है. समाज के हर वर्ग को इसमें योगदान देना होगा.उन्होंने कहा कि हिमाचल में इस समय नशे की बढ़ती प्रवृति से भी युवा वर्ग अपराध की तरफ आकर्षित होता है. खासकर चोरी की घटनाओं में शामिल युवाओं में से अधिकांश नशे की लत को पूरा करने के लिए कई बार तो घर में ही चोरी कर लेते हैं.
कुछ समय पहले एक युवक ने नशे की लत के लिए मां के गहने चोरी-छिपे बेच दिए थे. उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में अपराध की वारदातें अधिक देखी जाती हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. हिमाचल में अपराध व अपराधियों की मानसिकता पर व्यापक शोध की जरूत है. वहीं, पूर्व आईपीएस अफसर राजेंद्र मोहन का कहना है कि वैसे तो हिमाचल देश के अन्य राज्यों के मुकाबले शांत प्रदेश है, लेकिन बीते दो दशक से यहां नशे की तस्करी चिंताजनक रूप से बढ़ी है.
हाल ही में शराब माफिया के गठजोड़ के पर्दाफाश से ये पता चलता है कि अवैध शराब बनाने वालों ने कितनी अकूत संपत्ति जमा की है. अपराधी मानसिकता के लोग रातों-रात अमीर बनने के लिए पूरे समाज को नशे के गर्त में धकेल देते हैं. उनका कहना था कि किसी भी राज्य को अपने युवाओं को नशे से बचाना चाहिए.अधिकांश अपराध नशे की हालत में होते हैं.
वहीं, हिमाचल विधानसभा में भी क्राइम को लेकर तीखी बहसबाजी हुई थी. कैबिनेट मंत्री राकेश पठानिया ने ऐसी ही एक चर्चा के दौरान ये कहा था कि किसी भी समाज के अपराध को खत्म करने में सभी का सहयोग जरूरी है. इस मामले में दोषारोपण करने से बचना चाहिए. दुष्कर्म करने वाले किसी से पूछ कर ऐसी घिनौनी वारदात नहीं करते. ऐसे में समाज में संस्कारों को बढ़ावा देने की जरूरत है.
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