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सीपीआईएम ने बल्ह में हवाई अड्डे के निर्माण पर जताई आपत्ति, गैर-उपजाऊ जमीन का चयन करने की मांग

हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार बल्ह में हवाई अड्डा बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है. वहीं सीपीआईएम ने बल्ह में हवाई अड्डे के निर्माण पर जताई आपत्ति जताई (CPI M objected Balh airport construction) है और गैर-उपजाऊ जमीन का चयन करने की मांग की है.

Onkar Shad on airport in Balh
बल्ह में हवाई अड्डा पर सीपीआईएम ने जताई आपत्ति.
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Published : Jan 30, 2022, 5:25 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार बल्ह में हवाई अड्डा बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री इस हवाई अड्डे को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मान कर इसे हर हाल में पूरा करना चाहते (Himachal CM Jairam dream project) हैं. हवाई अड्डा बनना चाहिए, इस बात का सभी लोग समर्थन करते हैं, लेकिन किस जगह पर बनना चाहिए इसके ऊपर सभी का एक ही विचार होगा कि हवाई अड्डा उस जगह पर बनना चाहिए जंहा पर उपजाऊ भूमि ज्यादा न लगे. यह बात सीपीआईएम के प्रदेश सचिव ओंकार शाद ने कही.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कृषि योग्य 11 प्रतिशत ही जमीन (CPI M objected Balh airport construction) है. सेटेलाइट चित्र के अनुसार यह जमीन 16 प्रतिशत है. 1 लाख बीघा कृषि जमीन हिमाचल प्रदेश की हाइडल प्रोजेक्ट्स के लिए खत्म हुई है. आज भी उजड़े लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उन्हें अभी भी अपने जमीन का पुरा मुआवजा नहीं मिला है.

ओंकार शाद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अनाज की पूर्ति में भी आत्म निर्भर नहीं है. इस हालत में प्रदेश सरकार बल्ह जो मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है, बल्ह पर हवाई अड्डा बनाने के लिए लोंगो को उजाड़ कर हवाई अड्डा बनाना (airport in Balh of himachal) चाहती है. देश का भूमि अधिग्रहण कानून 2013 भी 3 फसलों वाली जमीन अधिग्रहण करने की इजाजत नहीं देता है. इस हवाई अड्डे के लिए 12 गांव के 2000 परिवारों के 10000 लोग पूरी तरह से उजड़ जाएंगे और 2000 के करीब प्रवासी मजदूर भी उजड़ जाएंगे.

इस जमीन पर लोग एक साल में तीन नकदी फसलों को उगाते हैं और अपना रोजगार कमाते हैं. इस तरह की जमीन प्रदेश में बहुत कम है. ऐसे में क्या हवाई यहां बनाना सही है? सीपीआईएम बल्ह में हवाई अड्डे का विरोध करती है और मांग करती है कि इसको दूसरी जगह मंडी में बनाया जाये या कोई अन्य विकल्प चुना जाए.

ओंकार शाद ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार एक तरफ तो देश में नवउदारवादी नीतियों को लागू कर रही है और देश की संपत्ति बेच रही है. देशी व वदेशी पूंजी पतियों को देश के हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन, जमीन, सरकारी कारखानों, बैंकों, बीमा कंपनियों और दूसरे संसाधनों को बेचा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: ऊना में मजबूत होगी ड्रेनेज व्यवस्था, इतने करोड़ से मिलेगी जलभराव की समस्या से निजात

शिमला: हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार बल्ह में हवाई अड्डा बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री इस हवाई अड्डे को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मान कर इसे हर हाल में पूरा करना चाहते (Himachal CM Jairam dream project) हैं. हवाई अड्डा बनना चाहिए, इस बात का सभी लोग समर्थन करते हैं, लेकिन किस जगह पर बनना चाहिए इसके ऊपर सभी का एक ही विचार होगा कि हवाई अड्डा उस जगह पर बनना चाहिए जंहा पर उपजाऊ भूमि ज्यादा न लगे. यह बात सीपीआईएम के प्रदेश सचिव ओंकार शाद ने कही.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कृषि योग्य 11 प्रतिशत ही जमीन (CPI M objected Balh airport construction) है. सेटेलाइट चित्र के अनुसार यह जमीन 16 प्रतिशत है. 1 लाख बीघा कृषि जमीन हिमाचल प्रदेश की हाइडल प्रोजेक्ट्स के लिए खत्म हुई है. आज भी उजड़े लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उन्हें अभी भी अपने जमीन का पुरा मुआवजा नहीं मिला है.

ओंकार शाद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अनाज की पूर्ति में भी आत्म निर्भर नहीं है. इस हालत में प्रदेश सरकार बल्ह जो मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है, बल्ह पर हवाई अड्डा बनाने के लिए लोंगो को उजाड़ कर हवाई अड्डा बनाना (airport in Balh of himachal) चाहती है. देश का भूमि अधिग्रहण कानून 2013 भी 3 फसलों वाली जमीन अधिग्रहण करने की इजाजत नहीं देता है. इस हवाई अड्डे के लिए 12 गांव के 2000 परिवारों के 10000 लोग पूरी तरह से उजड़ जाएंगे और 2000 के करीब प्रवासी मजदूर भी उजड़ जाएंगे.

इस जमीन पर लोग एक साल में तीन नकदी फसलों को उगाते हैं और अपना रोजगार कमाते हैं. इस तरह की जमीन प्रदेश में बहुत कम है. ऐसे में क्या हवाई यहां बनाना सही है? सीपीआईएम बल्ह में हवाई अड्डे का विरोध करती है और मांग करती है कि इसको दूसरी जगह मंडी में बनाया जाये या कोई अन्य विकल्प चुना जाए.

ओंकार शाद ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार एक तरफ तो देश में नवउदारवादी नीतियों को लागू कर रही है और देश की संपत्ति बेच रही है. देशी व वदेशी पूंजी पतियों को देश के हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन, जमीन, सरकारी कारखानों, बैंकों, बीमा कंपनियों और दूसरे संसाधनों को बेचा जा रहा है.

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