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विक्रमादित्य सिंह ने सदन में उठाया धारा 118 का मुद्दा, सीएम ने दिया किसी तरह का छेड़छाड़ न करने का आश्वासन

विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 118 को 1972 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने प्रदेश में लाया था. जिसके तहत हिमाचल में गैर कृषक भूमि नहीं खरीद सकते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दूसरे राज्य के संपन्न लोग प्रदेश में जमीनें ना खरीद सकें.

विक्रमादित्य सिंह
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Published : Aug 28, 2019, 10:18 AM IST

शिमला: विधानसभा के मॉनसून सत्र के सातवें दिन कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने नियम-62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में धारा-118 के मामले को उठाया. इसी बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उन्हे धारा118 में छेड़छाड़ न करने का आश्वासन दिया.

विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 118 को 1972 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने प्रदेश में लाया था. जिसके तहत हिमाचल में गैर कृषक भूमि नहीं खरीद सकते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दूसरे राज्य के संपन्न लोग प्रदेश में जमीनें ना खरीद सकें. इसके अलावा उन्हें डर था कि यहां के किसान भूमिहीन न हो जाये.

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विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 370 के हटने का समर्थन करते है, लेकिन जिस तरह से हटाया गया है उस पर प्रश्न चिन्ह लगाया है. उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और प्रदेश के भाजपा नेता ने धारा118 में 118 में संशोधन की मांग की थी. जिसका वो विरोध करते है. इसके अलावा कहा कि धारा 118 यहां के लोगों व प्रदेश का अस्तित्व है,इसलिए इसके साथ कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.

शिमला: विधानसभा के मॉनसून सत्र के सातवें दिन कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने नियम-62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में धारा-118 के मामले को उठाया. इसी बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उन्हे धारा118 में छेड़छाड़ न करने का आश्वासन दिया.

विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 118 को 1972 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने प्रदेश में लाया था. जिसके तहत हिमाचल में गैर कृषक भूमि नहीं खरीद सकते थे. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, ताकि दूसरे राज्य के संपन्न लोग प्रदेश में जमीनें ना खरीद सकें. इसके अलावा उन्हें डर था कि यहां के किसान भूमिहीन न हो जाये.

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विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि धारा 370 के हटने का समर्थन करते है, लेकिन जिस तरह से हटाया गया है उस पर प्रश्न चिन्ह लगाया है. उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और प्रदेश के भाजपा नेता ने धारा118 में 118 में संशोधन की मांग की थी. जिसका वो विरोध करते है. इसके अलावा कहा कि धारा 118 यहां के लोगों व प्रदेश का अस्तित्व है,इसलिए इसके साथ कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.

Intro:विधानसभा के मॉनसून सत्र के सातवें दिन कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने नियम-62 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में धारा-118 के मामले को उठाया।विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 1972 यह धारा 118 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने प्रदेश में लाया गया था। जिसके तहत हिमाचल में गैर कृषक भूमि नहीं ख़रीद सकते थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि दूसरे राज्यों के संपन्न लोग प्रदेश में धड़ाधड़ जमीनें ना खरीद सकें।उन्हें डर था कि यहां के किसान भूमिहीन न हो जाये।

Body:उन्होंने कहा कि उन्होंने 370 को हटाने का समर्थन किया है,लेकिन उसे जिस तरह से हटाया गया है उस पर उन्होंने प्रश्न चिन्ह लगाया है।उन्होंने कहा कि यह बात हिमाचल प्रदेश पर भी लागू होती है ।यहां पर भी धारा118 है जिसके साथ छेड़छाड़ करने उचित नही है।उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी धारा 118 में संशोधन की मांग की थी तथा प्रदेश के भाजपा नेता ने भी 118 में संशोधन की मांग की थी,जिसका वह विरोध करते है। इसलिए वर्तमान सरकार धारा-118 में छूट या इसको आसान करने की कोशिश न करें।उन्होंने कहा कि धारा 118 यहां के लोगों व प्रदेश का अस्तित्व है,इसके साथ कोई राजनीति नही होनी चाहिए। उन्होंने कहा इसी कारण उन्होंने सदन में यह मामला उठाया था कि मूख्यमंत्री उन्हें आश्वस्त करें कि इसके साथ छेड़छाड़ नही होगी।जिसपर मूख्यमंत्री ने जवाब दिया जिससे वह सन्तुष्ट है।Conclusion:
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