शिमला: कभी यूपीए सरकार में पावरफुल मंत्री रहे आनंद शर्मा आजकल हाशिए पर हैं. कांग्रेस से नाराज जी-23 के नेताओं में से एक कपिल सिब्बल ने समाजवादी पार्टी का पल्ला पकड़ लिया और राज्यसभा में चले गए. आनंद शर्मा भी संसद के गलियारों में वापसी चाहते हैं. जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात (congress leader anand sharma meets bjp president jp nada) अनायास या औपचारिकता वश ही नहीं है. ये सही है कि जेपी नड्डा व आनंद शर्मा हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के दौरान सक्रिय रहे हैं और एक-दूजे को अच्छी तरह से जानते हैं.
ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या आनंद शर्मा को भाजपा में खींच कर जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) कांग्रेस को झटका देंगे. दिल्ली सहित हिमाचल के राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि आनंद शर्मा भाजपा में शामिल हो सकते हैं. बदले में उनकी वाया राज्यसभा संसदीय वापसी हो सकती है. अटकलें तो ये भी हैं कि जी-23 के एक अन्य कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इंतजार है तो सिर्फ उपयुक्त समय का.
कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक झटका देना चाहती है भाजपा: इस साल हिमाचल व गुजरात में विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022 ) होने हैं. आनंद शर्मा बेशक यूपीए सरकार के समय पावरफुल मिनिस्टर थे और उन्होंने विदेश मंत्रालय भी संभाला था, लेकिन हिमाचल में वे प्रभावी नहीं थे. कारण ये है कि आनंद शर्मा आम जनता के लीडर नहीं माने जाते. जिस तरह वीरभद्र सिंह आम जनता के लीडर थे और उनकी प्रदेश के हर हिस्से में पैठ थी, वैसे आनंद शर्मा कभी नहीं रहे. एक तरह से वे हाई प्रोफाइल लीडर ही रहे हैं. वहीं, भाजपा आनंद शर्मा को अपने पाले में लाकर कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक झटका देना चाहती है. चूंकि आनंद शर्मा भी अभी हाशिए पर हैं और आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उनकी हिमाचल में प्रभावी होने की संभावनाएं न के बराबर हैं, लिहाजा वे अपना राजनीतिक रसूख दिल्ली में ही तलाशेंगे. वहीं, जी-23 में सक्रिय रहकर आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता सोनिया गांधी की नजरों में खटकने लगे हैं. ऐसे में उन्हें कांग्रेस में कोई खास जिम्मेदारी नहीं मिलने वाली है.
भाजपा के लिहाज से देखा जाए तो आनंद शर्मा को पार्टी में शामिल होने पर उन्हें दिल्ली में ही रखा जा सकता है. वैसे हिमाचल में यदि कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो भी आनंद शर्मा का यहां कोई स्कोप नहीं है. न तो वे अब मौजूदा समय में हाईकमान के समीप हैं और न ही हाईकमान का उन पर भरोसा होगा. ऐसे में कांग्रेस में रहकर भी आनंद शर्मा के लिए हिमाचल और दिल्ली दूर की बात है. वहीं, भाजपा में शामिल होने पर आनंद शर्मा को कम से कम पार्टी किसी राज्य से राज्यसभा में भेज सकती है. बताया ये भी जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद यदि भाजपा में शामिल होते हैं तो आने वाले समय में उन्हें जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ी भूमिका दी जा सकती है.
हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे जेपी नड्डा व आनंद शर्मा: आनंद शर्मा हाल ही में जेपी नड्डा से मिले हैं. इस मुलाकात पर उठ रहे सवालों को लेकर आनंद शर्मा ने कहा कि वे और जेपी नड्डा एक ही राज्य से आते हैं और उन्हें एक-दूसरे से मिलने का हक है. जेपी नड्डा व आनंद शर्मा हिमाचल विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं. नड्डा एबीवीपी व आनंद शर्मा एनएसयूआई में थे. छात्र राजनीति से ये दोनों नेता देश की राजनीति के शिखर तक पहुंचे हैं. आनंद शर्मा ज्यादातर दिल्ली में ही रहे और उनकी सियासी कर्मभूमि भी राष्ट्रीय राजधानी रही है. हिमाचल में वे कभी वैसे सक्रिय नहीं रहे.
कांग्रेस हाईकमान से नाराज हैं आनंद शर्मा!: हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह का सिक्का चलता रहा और आनंद शर्मा केंद्रीय राजनीति में रमे रहे. लेकिन अब समय बदल गया है. यूपीए लगातार दो बार चुनाव हार कर सत्ता से बाहर है. जिस तरह से राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष कमजोर हुआ है, उससे दूर-दूर तक ये संकेत नहीं मिलते कि कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर सत्ता में वापसी कर सकती है. ऐसे में आनंद शर्मा व उनके जैसे कुछ अन्य नेता भाजपा में भविष्य तलाश रहे हैं. इस बार कांग्रेस ने आनंद शर्मा को राज्यसभा सीट के लिए नहीं चुना. इस कारण भी वे कांग्रेस हाईकमान से नाराज हैं. वे जी-23 में रहकर कांग्रेस की नीतियों को लेकर अपने विचार स्पष्टता से रखते रहे हैं. इस कारण आलाकमान भी उन्हें लेकर सहज नहीं है. बता दें कि आनंद शर्मा चार दफा राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: वरिष्ठ मीडिया कर्मी संजीव कुमार शर्मा का कहना है कि राजनीति में कुछ भी संभव है. आनंद शर्मा भाजपा में आते हैं या नहीं, ये अभी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन कांग्रेस ने हिमाचल में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष को तोड़कर जरूर मनोवैज्ञानिक असर डाला है. वैसे, आनंद शर्मा इस समय कांग्रेस में भी हाशिए पर चल रहे हैं. यदि वे भाजपा में आते हैं तो उन्हें हिमाचल में कोई जिम्मेदारी शायद ही मिले. वैसे भी हिमाचल में जयराम ठाकुर सीएम फेस घोषित हैं.
आनंद शर्मा को पार्टी में शामिल करने का एकमात्र लक्ष्य कांग्रेस को झटका देना है. एक अन्य सीनियर मीडिया कर्मी राजेश मंढोत्रा का कहना है कि आनंद शर्मा को भाजपा राज्यसभा में ला सकती है. वे विदेश मंत्री रहे हैं और वाणिज्य मंत्री भी. दिल्ली में उन्हें जहीन राजनेता के तौर पर जाना जाता है. भाजपा में आनंद शर्मा को कम से कम राज्यसभा सीट तो मिल ही जाएगी. वहीं, कांग्रेस में ही रहने पर उन्हें निकट भविष्य में कुछ खास हासिल होता नहीं दिख रहा है. ऐसे में संभव है कि आने वाले समय में न केवल आनंद शर्मा बल्कि गुलाम नबी आजाद भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
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