शिमला: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन वीरभद्र सिंह की स्मृतियों में डूबा रहा. शोक उद्गार के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी राजनीति के राजा से जुड़ी यादों को सांझा किया. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में भी अपना अलग ही स्थान बनाया था. लंबे अरसे तक सत्ता में रहने के बावजूद वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे.
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राजनीति में कब क्या कहना है और कैसे कहना है, ये वीरभद्र सिंह से सीखना चाहिए. वैचारिक दृष्टि से अलग लोगों को भी अपने साथ जोड़ने की कला वीरभद्र सिंह के पास थी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीरभद्र सिंह के साथ अपनी यादों को सदन में सांझा किया.
जयराम ठाकुर ने कहा कि वे प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री थे. अगले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई और वीरभद्र सिंह सीएम बने. जयराम ठाकुर तब सिराज से विधायक थे और उनके निर्वाचन क्षेत्र के जंजैहली में ब्लॉक के एक भवन का उद्घाटन होना था. जयराम ठाकुर ने कहा कि वो स्थानीय विधायक होने के नाते सीएम का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे. गाड़ी के पास पहुंचकर वीरभद्र सिंह का अभिवादन किया तो वे बोले, तुम स्थानीय विधायक हो, हमारे साथ मंच पर रहोगे और संबोधन करोगे.
जयराम ठाकुर बोले, मुझे तो बताया गया कि ये सरकारी नहीं कांग्रेस का कार्यक्रम है. इस पर वीरभद्र सिंह ने गाड़ी में बैठे स्थानीय नेताओं से पूछा, क्यों भाई ये क्या सुन रहा हूं? फिर वीरभद्र सिंह ने जयराम ठाकुर को हाथ पकड़कर गाड़ी में बिठा लिया और कहा कि ये सरकारी कार्यक्रम है और तुम भी बोलोगे मंच से. जयराम ठाकुर ने इसी तरह शैटाधार में एक कार्यक्रम का जिक्र भी किया और वहां भी संबोधन का मौका दिया. इस तरह वीरभद्र सिंह राजनीतिक रूप से विरोधी विचार के नेताओं का भी मान रखते थे.
यही नहीं, शैटाधार में तो उन्होंने जयराम ठाकुर की तारीफ भी कर डाली. वीरभद्र सिंह कहा करते थे कि लड़ने की सीमा होती है, कोई वजह होती है. राजनीति में जनसेवा ही मकसद होना चाहिए. जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के विकास में वीरभद्र सिंह का अहम योगदान रहा है. वीरभद्र सिंह जीवट वाले थे. उन्होंने दो बार कोरोना को हराया, लेकिन बाद में जीवन की जंग हार गए. जयराम ठाकुर ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने प्रेरणा से भरा लंबा जीवन जिया है. उनकी कमी हमेशा महसूस होगी.
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