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15 अश्आर, 15 नई घोषणाएं, अटल जी की पंक्तियों का जिक्र, तीन घंटे में पूरा हुआ 83 पन्नों का बजट भाषण - undefined

सीएम जयराम ने बजट पेश करने के दौरान हर घोषणा से पहले एक शे'र पढ़ा. पूरे बजट भाषण के दौरान सीएम ने 15 अश्आर पढ़े. पिछले बजट के दौरान भी सीएम ने इसी तरह अपना बजट पेश किया था

विधानसभा में बजट भाषण पढ़ते सीएम जयराम ठाकुर.
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Published : Feb 9, 2019, 11:57 PM IST

पूर्व पीएम व राजनीतिक संसार के अजात शत्रु अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां भी उन्होंने पढ़ीं. इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की एक उक्ति भी उद्धृत की. साथ ही अंग्रेजी में भी एक उद्धरण दिया. स्वास्थ्य कारणों से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सदन में मौजूद नहीं थे, लिहाजा विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कार्यवाही का संचालन किया.

मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपनी सरकार के तेरह महीने के कार्यकाल का जिक्र किया और फिर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहयोग को याद किया. जनमंच कार्यक्रम की सफलता का उल्लेख करते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अभी तक के कार्यकाल में करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर लिया है. फिर उन्होंने शे'र पढ़ा-

यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल

एक जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है

पूछा चिडिय़ा से कैसे बनाया आशियाना-बोली

भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार

तिनका-तिनका उठाना पड़ता है

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सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-

सफर का एक सिलसिला बनाना है

अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

जनमंच कार्यक्रम की सफलता और साधारण जनता को मिल रहे लाभ पर बात करते हुए सीएम जयराम ने एक शे'र इस तरह पढ़ा-

गरीबी से उठा हूं, गरीबी जानता हूं

आसमां से ज्यादा, जमीं की कदर जानता हूं

विधायक क्षेत्र विकास निधि को बढ़ाने की घोषणा के समय सीएम ने शे'र पढ़ा-

छू न सकूं आसमां तो न सही

आपके दिलों को छू जाऊं, बस इतनी सी तमन्ना है

उज्जवला योजना व गृहिणी सुविधा योजना के बजट प्रावधान की बात करने के दौरान सीएम ने शे'र पढ़ा-

चिरागों के अपने घर नहीं होते

जहां जलते हैं, वहीं रोशनी बिखेर देते हैं

किसानों के लिए बजट घोषणाओं के दौरान मुख्यमंत्री ने निम्न शे'र पढ़ा

सारे इत्र की खुशबू आज मंद पड़ गईं

मिट्टी पर पानी की बूंदें जो चंद पड़ गईं.

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आवास निर्माण योजनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-

मंजिल मिलेगी देर से ही सही

गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकला ही नहीं.

औद्योगिक विकास पर बात करते हुए सीएम ने ये शे'र पढ़ा-

जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते हैं

वो समंदरों पर भी पत्थरों के पुल बना देते हैं.

प्रदेश के युवाओं को मुख्यमंत्री ने निम्न शेर के जरिए संदेश दिया-

यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों से आगे अंगुलियां

रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.

मुख्यमंत्री रोशनी योजना का ऐलान करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शे'र कहा-

चिराग सी तासीर रखिए

सोचिए मत की घर किसका रोशन हुआ.

एक अन्य शेर के जरिए सीएम ने कहा-

कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के खुलते हैं

जो उन्हें खटखटाने की ताकत रखते हैं.

विधवा महिलाओं के लिए बीमा लाभ सुविधा की घोषणा के दौरान सीएम ने निम्न शेर के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं-

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हमनें रोती आंखों को हंसाया है सदा

इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे.

पेंशन योजनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने एक शेर इस तरह पढ़ा-

आसान नहीं होता किसी ताले की चाबी होना

गहराई में समाकर दिल जीतना पड़ता है.

नशे का शिकार हो चुके लोगों के पुनर्वास की योजनाओं पर बात करते हुए सीएम ने एक शेर के माध्यम से संदेश दिया-

यकीं हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है.

मुख्यमंत्री ने अटल जी की रचना की निम्न पंक्तियां भी पढ़ीं-

विपदाएं आती हैं आएं

हम न रुकेंगे, हम न रुकेंगे

आघातों की क्या चिंता है

हम न झुकेंगे, हम न झुकेंगे.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण का अंत निम्न पंक्तियों के साथ किया-

सीढिय़ां उन्हें मुबारक हों, जिन्हें सिर्फ छत्त तक जाना है

मेरी मंजिल तो आसमां है, रास्ता मुझे खुद बनाना है.

यहां उल्लेखनीय है कि सीएम जयराम ठाकुर ने अपने पहले बजट में भी 22 अश्आर पढ़े थे. उस वक्त सीएम ने अटल जी की दो कविताओं की पंक्तियां भी उद्धृत की थीं. मुख्यमंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल भी हर बजट में कई अश्आर पढ़ते थे. ये सिलसिला अब भी जारी है.

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पूर्व पीएम व राजनीतिक संसार के अजात शत्रु अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां भी उन्होंने पढ़ीं. इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की एक उक्ति भी उद्धृत की. साथ ही अंग्रेजी में भी एक उद्धरण दिया. स्वास्थ्य कारणों से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सदन में मौजूद नहीं थे, लिहाजा विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कार्यवाही का संचालन किया.

मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपनी सरकार के तेरह महीने के कार्यकाल का जिक्र किया और फिर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहयोग को याद किया. जनमंच कार्यक्रम की सफलता का उल्लेख करते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अभी तक के कार्यकाल में करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर लिया है. फिर उन्होंने शे'र पढ़ा-

यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल

एक जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है

पूछा चिडिय़ा से कैसे बनाया आशियाना-बोली

भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार

तिनका-तिनका उठाना पड़ता है

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सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-

सफर का एक सिलसिला बनाना है

अब आसमान तलक रास्ता बनाना है

जनमंच कार्यक्रम की सफलता और साधारण जनता को मिल रहे लाभ पर बात करते हुए सीएम जयराम ने एक शे'र इस तरह पढ़ा-

गरीबी से उठा हूं, गरीबी जानता हूं

आसमां से ज्यादा, जमीं की कदर जानता हूं

विधायक क्षेत्र विकास निधि को बढ़ाने की घोषणा के समय सीएम ने शे'र पढ़ा-

छू न सकूं आसमां तो न सही

आपके दिलों को छू जाऊं, बस इतनी सी तमन्ना है

उज्जवला योजना व गृहिणी सुविधा योजना के बजट प्रावधान की बात करने के दौरान सीएम ने शे'र पढ़ा-

चिरागों के अपने घर नहीं होते

जहां जलते हैं, वहीं रोशनी बिखेर देते हैं

किसानों के लिए बजट घोषणाओं के दौरान मुख्यमंत्री ने निम्न शे'र पढ़ा

सारे इत्र की खुशबू आज मंद पड़ गईं

मिट्टी पर पानी की बूंदें जो चंद पड़ गईं.

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आवास निर्माण योजनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-

मंजिल मिलेगी देर से ही सही

गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकला ही नहीं.

औद्योगिक विकास पर बात करते हुए सीएम ने ये शे'र पढ़ा-

जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते हैं

वो समंदरों पर भी पत्थरों के पुल बना देते हैं.

प्रदेश के युवाओं को मुख्यमंत्री ने निम्न शेर के जरिए संदेश दिया-

यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों से आगे अंगुलियां

रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है.

मुख्यमंत्री रोशनी योजना का ऐलान करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शे'र कहा-

चिराग सी तासीर रखिए

सोचिए मत की घर किसका रोशन हुआ.

एक अन्य शेर के जरिए सीएम ने कहा-

कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के खुलते हैं

जो उन्हें खटखटाने की ताकत रखते हैं.

विधवा महिलाओं के लिए बीमा लाभ सुविधा की घोषणा के दौरान सीएम ने निम्न शेर के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं-

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हमनें रोती आंखों को हंसाया है सदा

इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे.

पेंशन योजनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने एक शेर इस तरह पढ़ा-

आसान नहीं होता किसी ताले की चाबी होना

गहराई में समाकर दिल जीतना पड़ता है.

नशे का शिकार हो चुके लोगों के पुनर्वास की योजनाओं पर बात करते हुए सीएम ने एक शेर के माध्यम से संदेश दिया-

यकीं हो तो कोई रास्ता निकलता है

हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है.

मुख्यमंत्री ने अटल जी की रचना की निम्न पंक्तियां भी पढ़ीं-

विपदाएं आती हैं आएं

हम न रुकेंगे, हम न रुकेंगे

आघातों की क्या चिंता है

हम न झुकेंगे, हम न झुकेंगे.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण का अंत निम्न पंक्तियों के साथ किया-

सीढिय़ां उन्हें मुबारक हों, जिन्हें सिर्फ छत्त तक जाना है

मेरी मंजिल तो आसमां है, रास्ता मुझे खुद बनाना है.

यहां उल्लेखनीय है कि सीएम जयराम ठाकुर ने अपने पहले बजट में भी 22 अश्आर पढ़े थे. उस वक्त सीएम ने अटल जी की दो कविताओं की पंक्तियां भी उद्धृत की थीं. मुख्यमंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल भी हर बजट में कई अश्आर पढ़ते थे. ये सिलसिला अब भी जारी है.

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15 अश्आर, 15 नई घोषणाएं, अटल जी की पंक्तियों का जिक्र, तीन घंटे में पूरा हुआ 83 पन्नों का बजट भाषण 
शिमला। पहली बार सत्ता के सिंहासन तक पहुंचे जयराम ठाकुर ने शनिवार को अपना दूसरा बजट पेश किया। तीन घंटे में हिंदी में दिए गए बजट भाषण में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुल 15 अश्आर पढ़े। पूर्व पीएम व राजनीतिक संसार के अजात शत्रु अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां भी उन्होंने पढ़ीं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की एक उक्ति भी उद्धृत की। साथ ही अंग्रेजी में भी एक उद्धरण दिया। स्वास्थ्य कारणों से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सदन में मौजूद नहीं थे, लिहाजा विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कार्यवाही का संचालन किया। 
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपनी सरकार के तेरह महीने के कार्यकाल का जिक्र किया और फिर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहयोग को याद किया। जनमंच कार्यक्रम की सफलता का उल्लेख करते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अभी तक के कार्यकाल में करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर लिया है। फिर उन्होंने शेर पढ़ा-
यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल
एक जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है
पूछा चिडिय़ा से कैसे बनाया आशियाना-बोली
भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना पड़ता है
सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-
सफर का एक सिलसिला बनाना है
अब आसमान तलक रास्ता बनाना है
जनमंच कार्यक्रम की सफलता और साधारण जनता को मिल रहे लाभ पर बात करते हुए सीएम जयराम ने एक शेर इस तरह पढ़ा-
गरीबी से उठा हूं, गरीबी जानता हूं
आसमां से ज्यादा, जमीं की कदर जानता हूं
विधायक क्षेत्र विकास निधि को बढ़ाने की घोषणा के समय सीएम ने शेर पढ़ा-
छू न सकूं आसमां तो न सही
आपके दिलों को छू जाऊं, बस इतनी सी तमन्ना है
उज्जवला योजना व गृहिणी सुविधा योजना के बजट प्रावधान की बात करने के दौरान सीएम ने शेर पढ़ा-
चिरागों के अपने घर नहीं होते
जहां जलते हैं, वहीं रोशनी बिखेर देते हैं
किसानों के लिए बजट घोषणाओं के दौरान मुख्यमंत्री ने निम्न शेर पढ़ा
सारे इत्र की खुशबू आज मंद पड़ गईं
मिट्टी पर पानी की बूंदें जो चंद पड़ गईं।
आवास निर्माण योजनाओं का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा-
मंजिल मिलेगी देर से ही सही
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकला ही नहीं।
औद्योगिक विकास पर बात करते हुए सीएम ने ये शेर पढ़ा-
जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते हैं
वो समंदरों पर भी पत्थरों के पुल बना देते हैं।
प्रदेश के युवाओं को मुख्यमंत्री ने निम्न शेर के जरिए संदेश दिया-
यूं ही नहीं होती हाथ की लकीरों से आगे अंगुलियां
रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है।
मुख्यमंत्री रोशनी योजना का ऐलान करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शेर कहा-
चिराग सी तासीर रखिए
सोचिए मत की घर किसका रोशन हुआ।
एक अन्य शेर के जरिए सीएम ने कहा-
कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के खुलते हैं
जो उन्हें खटखटाने की ताकत रखते हैं।
विधवा महिलाओं के लिए बीमा लाभ सुविधा की घोषणा के दौरान सीएम ने निम्न शेर के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं-
हमनें रोती आंखों को हंसाया है सदा
इससे बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
पेंशन योजनाओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने एक शेर इस तरह पढ़ा-
आसान नहीं होता किसी ताले की चाबी होना
गहराई में समाकर दिल जीतना पड़ता है।
नशे का शिकार हो चुके लोगों के पुनर्वास की योजनाओं पर बात करते हुए सीएम ने एक शेर के माध्यम से संदेश दिया-
यकीं हो तो कोई रास्ता निकलता है
हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है।
मुख्यमंत्री ने अटल जी की रचना की निम्न पंक्तियां भी पढ़ीं-
विपदाएं आती हैं आएं
हम न रुकेंगे, हम न रुकेंगे
आघातों की क्या चिंता है
हम न झुकेंगे, हम न झुकेंगे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने बजट भाषण का अंत निम्न पंक्तियों के साथ किया-
सीढिय़ां उन्हें मुबारक हों, जिन्हें सिर्फ छत्त तक जाना है
मेरी मंजिल तो आसमां है, रास्ता मुझे खुद बनाना है।
यहां उल्लेखनीय है कि सीएम जयराम ठाकुर ने अपने पहले बजट में भी 22 अश्आर पढ़े थे। उस वक्त सीएम ने अटल जी की दो कविताओं की पंक्तियां भी उद्धृत की थीं। मुख्यमंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल भी हर बजट में कई अश्आर पढ़ते थे। ये सिलसिला अब भी जारी है।

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