शिमला: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकास नहीं विनाश है.20 फीसदी लोग संसाधनों का दुरुपयोग कर उसका दोहन कर रहे, जिसका नुकसान बाकी 80 फीसदी लोगों को उठाना पड़ रहा है. यह बात अर्थशास्त्री व महाराष्ट्र योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर एच. एम. देशरड़ान ने एक सेमिनार में (Climate change is the world biggest problem)कही. उन्होंने कहा कि 122 सालों में इस बार सबसे ज्यादा गर्मी हुई .इसका नुकसान खेती पर भी पड़ेगा इसके लिए हमें अभी से सोचना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमें यदि विकास करना है तो प्राकृतिक खेती की तरफ जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा हमारी सभ्यता कहीं ना कहीं खोती जा रही है. वर्तमान में हवा पानी यह सब प्रदूषित हो चुका और हमें इससे बचना है.
आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन है. इसका मूल कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले भूमंडलीय तापक्रम में वृद्धि है. इसी से कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसों का भारी मात्रा में उत्सर्जन हुआ. ग्रीनहाउस प्रभाव की अगुवाई भी इसी कारण हुई .इन गैसों की सघनता से पृथ्वी की जलवायु में भीषण परिवर्तन हो रहे हैं. वास्तव में इससे पृथ्वी ग्रह और यहां बसर करने वाले प्राणी जगत की सुरक्षा को खतरा है .भारत आज ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है. जिस विकास मॉडल और उपभोक्तावादी जीवन शैली का हमने पश्चिम से अनुकरण किया है , वह बिल्कुल भी टिकाऊ नहीं है. संसाधनों की बर्बादी पर आधारित विकास प्रतिमान को बदलने की तत्काल आवश्यकता है.
आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन ,प्रोफेसर एचएम देशरड़ान - Climate change is the world biggest problem
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकास नहीं विनाश है.. 20 फीसदी लोग संसाधनों का दुरुपयोग कर उसका दोहन कर रहे, जिसका नुकसान बाकी 80 फीसदी लोगों को उठाना पड़ रहा है. यह बात अर्थशास्त्री व महाराष्ट्र योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर एच. एम. देशरड़ान ने एक सेमिनार में (Climate change is the world biggest problem)कही.
शिमला: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकास नहीं विनाश है.20 फीसदी लोग संसाधनों का दुरुपयोग कर उसका दोहन कर रहे, जिसका नुकसान बाकी 80 फीसदी लोगों को उठाना पड़ रहा है. यह बात अर्थशास्त्री व महाराष्ट्र योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर एच. एम. देशरड़ान ने एक सेमिनार में (Climate change is the world biggest problem)कही. उन्होंने कहा कि 122 सालों में इस बार सबसे ज्यादा गर्मी हुई .इसका नुकसान खेती पर भी पड़ेगा इसके लिए हमें अभी से सोचना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमें यदि विकास करना है तो प्राकृतिक खेती की तरफ जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा हमारी सभ्यता कहीं ना कहीं खोती जा रही है. वर्तमान में हवा पानी यह सब प्रदूषित हो चुका और हमें इससे बचना है.
आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या जलवायु परिवर्तन है. इसका मूल कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले भूमंडलीय तापक्रम में वृद्धि है. इसी से कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसों का भारी मात्रा में उत्सर्जन हुआ. ग्रीनहाउस प्रभाव की अगुवाई भी इसी कारण हुई .इन गैसों की सघनता से पृथ्वी की जलवायु में भीषण परिवर्तन हो रहे हैं. वास्तव में इससे पृथ्वी ग्रह और यहां बसर करने वाले प्राणी जगत की सुरक्षा को खतरा है .भारत आज ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है. जिस विकास मॉडल और उपभोक्तावादी जीवन शैली का हमने पश्चिम से अनुकरण किया है , वह बिल्कुल भी टिकाऊ नहीं है. संसाधनों की बर्बादी पर आधारित विकास प्रतिमान को बदलने की तत्काल आवश्यकता है.