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निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच 7 अप्रैल को करेगा प्रदर्शन - Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla

पंजाब सरकार ने फैसला लिया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकेगा. वहीं, दूसरे फैसले के मुताबिक, कोई भी स्कूल अभिभावक को किसी खास दुकान से किताब या ड्रेस खरीदने के लिए नहीं कहेगा. इसी को देखते हुए छात्र अभिभावक मंच ने (Chhatra Abhibhavak Manch) हिमाचल में भी पंजाब की तर्ज पर यह फैसला लेने की प्रदेश सरकार की मांग की है.

Chhatra Abhibhavak Manch
छात्र अभिभावक मंच
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Published : Apr 5, 2022, 7:03 PM IST

शिमला: छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में 8 से 35 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और लक्षित दुकानों से ड्रेस और किताबों की खरीद पर रोक लगाने की मांग की है. मंच ने चेताया है कि भारी फीस वृद्धि के खिलाफ मंच 7 अप्रैल को (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) शिक्षा निदेशालय शिमला पर प्रदर्शन करेगा.

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, ने वर्ष 2022 में फीसों में 8 से 35 प्रतिशत फीस वृद्धि और ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है और प्रदेश सरकार से इस पर तुरन्त पंजाब सरकार की तर्ज पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसम्बर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है.

मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसम्बर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी. इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए लेकिन 15 मार्च बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है. इन स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं की, जिसके कारण इन स्कूलों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया.

इस वर्ष भी निजी स्कूल आम सभाएं आयोजित करने में आनाकानी (Fee hike issue in private schools hp) कर रहे हैं. इस से साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते. वे एक बार फिर भारी फीस वृद्धि करके मनमानी फीस वसूलना चाहते हैं. शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है. इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार फिर इजाजत मिल गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय की नाकामी और निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं. वे कोरोना काल में भी ट्यूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज,कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्ज वसूलते रहे हैं. इन स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को जारी रखा है. इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीसें वसूलना चाहते हैं जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे व इसके खिलाफ लामबंद होंगे.

शिमला: छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों में वर्ष 2022 में 8 से 35 प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और लक्षित दुकानों से ड्रेस और किताबों की खरीद पर रोक लगाने की मांग की है. मंच ने चेताया है कि भारी फीस वृद्धि के खिलाफ मंच 7 अप्रैल को (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) शिक्षा निदेशालय शिमला पर प्रदर्शन करेगा.

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, ने वर्ष 2022 में फीसों में 8 से 35 प्रतिशत फीस वृद्धि और ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है और प्रदेश सरकार से इस पर तुरन्त पंजाब सरकार की तर्ज पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसम्बर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है.

मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसम्बर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने (Chhatra Abhibhavak Manch Protest in shimla) निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी. इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए लेकिन 15 मार्च बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है. इन स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं की, जिसके कारण इन स्कूलों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया.

इस वर्ष भी निजी स्कूल आम सभाएं आयोजित करने में आनाकानी (Fee hike issue in private schools hp) कर रहे हैं. इस से साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते. वे एक बार फिर भारी फीस वृद्धि करके मनमानी फीस वसूलना चाहते हैं. शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है. इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार फिर इजाजत मिल गयी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय की नाकामी और निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं. वे कोरोना काल में भी ट्यूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज,कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयर, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्ज वसूलते रहे हैं. इन स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को ट्यूशन फीस में बदल कर लूट को जारी रखा है. इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीसें वसूलना चाहते हैं जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे व इसके खिलाफ लामबंद होंगे.

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