शिमला: हिमाचल की संसदीय परंपरा के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया. बुधवार को देश की पहली ई-विधानसभा (first e-assembly) में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक अनूठा आयोजन हुआ. देशभर के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) हिमाचल की ई-विधानसभा प्रणाली(Himachal e-assembly system) के गवाह बने. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) इस समारोह में वर्चुअल रूप से जुड़े. पीठासीन अधिकारियों का यह समारोह हिमाचल विधानसभा के काउंसिल चैंबर (Himachal Vidhan Sabha Council Chamber) में हुआ. उल्लेखनीय है कि हिमाचल विधानसभा देश की पहली ई विधानसभा है. यहां सारा काम पेपरलेस है देश भर से आए मेहमानों ने ई विधान प्रणाली का सिस्टम भी समझा.
पीएम मोदी ने संबोधित किया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला में प्रदेश विधानसभा के सदन में आयोजित 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग (video conference) के माध्यम से संबोधित किया. इस समारोह को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के शताब्दी वर्ष समारोह के रूप में मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र केवल भारत के लिए एक प्रणाली ही नहीं ,बल्कि यह हमारे स्वभाव और जीवन के हिस्से में निहित है. हमें देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना और आने वाले वर्षों में असाधारण लक्ष्य हासिल करना हैं और ये संकल्प सबके प्रयासों से पूरे होंगे.
भारत के लोकतंत्र और संघीय व्यवस्था में जब हम ‘सबका प्रयास’ की बात करते हैं, तो सभी राज्यों की भूमिका इसके लिए एक बड़ा आधार है.‘सबका प्रयास’ के महत्व को उल्लेखित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे पूर्वाेत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो या दशकों से अटकी विकास की सभी बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की बात हो, देश में पिछले सालों में ऐसे बहुत से कार्य हुए जिनमें सभी के प्रयास शामिल हैं.
उन्होंने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई को 'सबका प्रयास' का एक बेहतरीन उदाहरण बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी विधानसभाओं के सदनों की परम्पराएं और प्रणालियां स्वाभाविक रूप से भारतीय होनी चाहिए. उन्होंने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भारतीय भावना को मजबूत करने के लिए सरकारों से नीतियों और कानूनों पर विशेष बल देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि सदन में हमारा अपना आचरण भारतीय मूल्यों के अनुसार होना चाहिए. नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से भरा.
हजारों वर्षों के विकास में हमने यह महसूस किया कि विविधता के बीच एकता की भव्य, दिव्य और अखंड धारा बहती है. एकता की यह अटूट धारा हमारी विविधता को संजोती है, उसकी रक्षा करती है .प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव रखा कि क्या वर्ष में तीन-चार दिन सदन में समाज के लिए कुछ विशेष करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए आरक्षित किए जाए और उनके सामाजिक जीवन के इस पहलू के बारे में देश को बताए. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों को भी इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
कैसे काम करती है ई-विधानसभा : हिमाचल विधानसभा में मौजूद देशभर के पीठासीन अधिकारियों ने हिमाचल की ई-विधान प्रणाली का प्रैक्टिकल अनुभव (practical experience) भी किया. उनको सभी सूचनाएं ई-विधान के तहत ही ऑनलाइन भी उपलब्ध करवाई गई. देश की पहली ई-विधानसभा में पूरा काम ऑनलाइन होता है. विधानसभा की सभी सूचनाएं टच स्क्रीन सिस्मट (touch screen system) पर उपलब्ध रहती. विधानसभा सदस्यों सहित मुख्यमंत्री के समक्ष और मीडिया गैलरी (Media Gallery) में भी टच स्क्रीन डिसप्ले सिस्टम (touch screen display system) लगा है.
प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये पूरा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता. हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है.
आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं.सवाल पूछे जाने के दौरान यदि विधायक अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो, तुरंत सामने लगी टच स्क्रीन पर सारी सूचनाएं देख सकता है. इसके अलावा सदन में एलईडी स्क्रीन (led screen) लगी हुई हैं. जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो स्क्रीन पर डिस्प्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है.इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम (Wi-Fi system) से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है. इससे साल भर में 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल 15 करोड़ रुपए की बचत भी होती है.
यूपीए सरकार में शुरू हुई थी प्रक्रिया: यूपीए सरकार (UPA Government) के समय शुरू हुई प्रक्रिया यूपीए सरकार में कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) सूचना व तकनीकी मंत्री थे. हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल (Vidhan Sabha Speaker Brij Bihari Lal Butail) कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया था कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए. बुटेल ने यूपीए सरकार को विश्वास दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए. साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटेक कर दिया गया.
वर्ष 2014 में अगस्त की 5 तारीख को हिमाचल विधानसभा को पूरी तरह से हाईटेक घोषित कर दिया गया. तब विधानसभा का मानसून सत्र पहली बार पेपरलेस वर्क का गवाह बना था.वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधानसभा के काउंसिल चैंबर में ब्रिटिश शासन के समय 14 से 16 सितंबर 1921 में पहली बार अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन शिमला में हुआ था. पहला सम्मेलन प्रथम निर्वाचित पीठासीन विठ्ठलभाई पटेल की अध्यक्षता में हुआ था. तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने फ्रेडरिक व्हाइट (Frederick White) पीठासीन बनाया था. मगर इसके बाद शिमला में हुए चुनाव में विट्ठल भाई पटेल दो मतों से पीठासीन चुने गए.
1921 के बाद 1926 , 1933 , 1939 , 1976 व 1997 में शिमला में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन हुए. 2021 में पीठासीन अधिकारियों का सातवां सम्मेलन यहां हो रहा. उन्होंने कहा कि लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने धर्मशाला की जगह शिमला में सम्मेलन आयोजित करने को प्राथमिकता प्रदान की. इसकी वजह 100 साल पहले शिमला में सम्मेलन का होना. विट्ठल भाई पटेल (Vitthal Bhai Patel ) स्वराज पार्टी के सह संस्थापक (Swaraj Party co-founder) थे. वह सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) के बड़े भाई थे. 1921 में शिमला में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में वह प्रथम पीठासीन चुने गए. वह न सिर्फ एक उम्दा अधिवक्ता व देशभक्त थे, बल्कि अद्भुत दृढ़ इच्छा शक्ति के स्वामी थे. विधायिका के कामकाज को चलाने के लिए उन्होंने कई नियमों को भी बनाने में अपना अहम योगदान दिया.
लोकसभा अध्यक्ष का प्रौद्योगिकी पर जोर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में संसदीय प्रक्रिया का उचित समन्वय सुनिश्चित करना है. इसके अलावा इसका उद्देश्य और दायरा विधायिकाओं के लोकतंत्रीकरण और लोकतंत्र के बेहतर कामकाज के लिए जिम्मेदारी के विकास पर भी है. उन्होंने कहा कि सदन के कामकाज को प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग की आवश्यकता है. ओम बिरला ने आशा व्यक्त कर कहा कि यह सम्मेलन देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने में एक लंबा सफर तय करेगा. उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानमंडल जनता की शिकायतों को दूर करने और कार्यपालकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए पहला मंच है. सदन में उठाई जाने वाली समस्याओं और स्थितियों का प्रभावी तरीके से निवारण किया जाना चाहिए.
सीएम जयराम का पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अपनी उच्च परंपराओं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सकारात्मक चर्चा के लिए जाना जाता है. राज्य विधानसभा के पहले अध्यक्ष जयवंत राम (jaywant ram) से लेकर वर्तमान अध्यक्ष विपिन सिंह परमार(Vipin singh Parmar) तक विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रतिष्ठित सदन की अध्यक्षता की और सदन की कार्यवाही का सम्मानजनक तरीके से संचालन करते हुए मार्गदर्शन किया.
उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार (First Chief Minister Dr. Yashwant Singh Parmar) सहित अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल का राज्य के प्रति योगदान के लिए स्मरण किया. जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री से कांगड़ा जिले के धर्मशाला में राज्य के लिए राष्ट्र ई-अकादमी स्वीकृत करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भारत का पहला राज्य जिसने अपनी विधानसभा में पेपरलेस काम शुरू किया ,जिसे अब ई-विधान के नाम से जाना जाता है.
यह सदन देश और राज्य के संवैधानिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का गवाह रहा. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Former President Dr. A.P.J. Abdul Kalam) और प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित किया था. हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने भी राज्य के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित कर इसके गौरव को बढ़ाया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 1948 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक विकास यात्रा में नए आयाम हासिल किए. प्रदेश के ईमानदार और मेहनती लोगों के प्रयासों से आज विकास के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है. उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 1948 में प्रति व्यक्ति आय 240 रुपए थी जो 2020-21 में बढ़कर 1.95 लाख रुपए से अधिक हो गई. वर्ष 1948 में राज्य में सड़कों की लंबाई 288 किलोमीटर थी, जबकि आज 37,808 किलोमीटर सड़कें राज्य के कोने-कोने से जुड़ गई.
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