शिमला: हिमाचल के बहुचर्चित गुड़िया केस को सुलझाने में अहम भूमिका निभाने वाली तेजतर्रार सीबीआई अफसर सीमा पाहूजा को राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया. सीमा गुड़िया केस की जांच अधिकारी थीं. उनकी अगुवाई में ही सीबीआई की टीम ने केस सुलझाया था. जांच में जोड़े गए वैज्ञानिक सबूत के कारण ही दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा हुई है. वहीं, सीमा पाहूजा हाथरस मामले में भी जांच अधिकारी हैं.
उन्हें विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पद से सम्मानित किया गया. बहुचर्चित कोटखाई मामले की जांच मिलने के समय वे दिल्ली में विशेष अपराध शाखा में तैनात थीं. हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश पर यह मामला जांच के लिए सीबीआई के पास गया. एसआईटी को एसपी रैंक के अधिकारी एसएस गुरम लीड कर रहे थे. सीमा पाहूजा की गिनती बेहतरीन अफसरों में हाेती है. जांच संभालने के बाद उन्होंने तय कर लिया था गुनहगारों का पर्दाफाश किया जाएगा. यही कारण था कि कई महीनों तक इस महिला अफसर ने टीम के साथ दिन रात एक कर मामले को सुलझा दिया. डीएसपी सीमा उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्ष की दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले की जांच अधिकारी भी हैं.
उन्होंने दिल्ली में एक ऐसी लड़की को वेश्यावृत्ति करवाने वाले गिरोह के चंगुल से छुड़वाया, जो नाबालिग थी. आरोपितों को कोर्ट से सजा दिलवाई. सीमा के करियर में कई उपलब्धियां हैं. उन्होंने फिरोजपुर में आर्म्स लाइसेंस घोटाले का पर्दाफाश किया. इस समय सीमा पाहूजा चंडीगढ़ में सीबीआई में सेवाएं दे रही हैं. मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली सीमा को जटिल मामलों को सुलझाने में महारत हासिल है. बता दें कि हिमाचल के हमीरपुर थाने की एसएचओ किरण बाला को भी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति मेडल मिला.
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