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शिमला में फर्जीवाड़ा: लॉकर तोड़कर 50 लाख के जेवरात किसी और को थमा दिए, जानें क्या है मामला - हिमाचल की हिंदी खबरें

राजधानी शिमला के सदर थाने में 50 लाख के जेवरात किसी और को देने पर मामला दर्ज किया (fraud in shimla) गया है. शिकायत कर्ता ने लॉकर में रखे गहनों को किसी और को देने का आरोप बैंक कर्मचारिओं पर लगाया है.वहीं, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

शिमला में फर्जीवाड़ा
शिमला में फर्जीवाड़ा
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Published : Aug 3, 2022, 11:43 AM IST

Updated : Aug 3, 2022, 12:05 PM IST

शिमला: शहर के सदर थाने में एक फर्जीवाड़ा करने का मामला दर्ज हुआ (fraud in shimla) है. बैंक कर्मचारियों और आरोपी की मिलीभगत से लॉकर में रखे जेवरात को किसी और को दिया गया. आशुतोष सूद ने सदर थाना में इसको लेकर शिकायत की है कि उसके लॉकर के जेवरात किसी और को दे दिए गए.

लॉकर नंबर 77 से 177: आशुतोष सूद मामला दर्ज कराया कि उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में वर्ष 1998 में एक लॉकर नंबर 77 लिया था. वर्ष 2017 में उसे बैंक अधिकारियों ने बताया था कि इसके बैंक लॉकर का नंबर 77 से बदलकर 177 कर दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि वर्ष 2017 के बाद से वह 177 नंबर से ही अपने बैंक लॉकर का संचालन कर रहा था, जबकि वर्ष 2019 के बाद शिकायतकर्ता ने अपने बैंक लॉकर का संचालन नहीं किया.

लॉकर में नहीं लगी चाबी: शिकायतकर्ता ने 30 जुलाई को अपने लॉकर को चेक करने गुरुद्वारा सिंह सभा स्थितबैंक ऑफ बड़ौदा गया तो बैंक लॉकर की चाबी नहीं लगी, जब बैंक में अधिकारियों से इसकी चर्चा की गई तो बताया गया कि लॉकर नंबर 177 बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में गुरप्रीत सिंह विरक के नाम से चढ़ा है. गुरप्रीत सिंह ने बैंक अधिकारियों को बतलाया था इसके बैंक लॉकरों की चाबियां गुम हो गई है. जिस पर बैंक अधिकारियों vs गुरप्रीत सिंह के सामने बैंक लॉकर को तोड़ा और लॉकर में रखा सामान गुरप्रीत को दिया गुरूप्रीत बैंक लॉकर में रखा सामान अपने साथ लेकर चला गया.

50 लाख के जेवरात: शिकायतकर्ता आशुतोष सूद का आरोप है कि उक्त लॉकर में रखा सामान उसका था.आशुतोष सूद ने अपने उक्त लॉकर में 50 लाख के गहने रखे थे. आरोप है कि बैंक अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा आशुतोष सूद के बैंक लॉकर में रखे गहनों के लिफाफे को बैंक का लॉकर तोड़कर किसी दूसरे व्यक्ति गुरप्रीत सिंह को दे दिए. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक IPC की धारा 409,420,120B के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं, एसपी शिमला डॉ .मोनिका ने बताया कि एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

शिमला: शहर के सदर थाने में एक फर्जीवाड़ा करने का मामला दर्ज हुआ (fraud in shimla) है. बैंक कर्मचारियों और आरोपी की मिलीभगत से लॉकर में रखे जेवरात को किसी और को दिया गया. आशुतोष सूद ने सदर थाना में इसको लेकर शिकायत की है कि उसके लॉकर के जेवरात किसी और को दे दिए गए.

लॉकर नंबर 77 से 177: आशुतोष सूद मामला दर्ज कराया कि उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में वर्ष 1998 में एक लॉकर नंबर 77 लिया था. वर्ष 2017 में उसे बैंक अधिकारियों ने बताया था कि इसके बैंक लॉकर का नंबर 77 से बदलकर 177 कर दिया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि वर्ष 2017 के बाद से वह 177 नंबर से ही अपने बैंक लॉकर का संचालन कर रहा था, जबकि वर्ष 2019 के बाद शिकायतकर्ता ने अपने बैंक लॉकर का संचालन नहीं किया.

लॉकर में नहीं लगी चाबी: शिकायतकर्ता ने 30 जुलाई को अपने लॉकर को चेक करने गुरुद्वारा सिंह सभा स्थितबैंक ऑफ बड़ौदा गया तो बैंक लॉकर की चाबी नहीं लगी, जब बैंक में अधिकारियों से इसकी चर्चा की गई तो बताया गया कि लॉकर नंबर 177 बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में गुरप्रीत सिंह विरक के नाम से चढ़ा है. गुरप्रीत सिंह ने बैंक अधिकारियों को बतलाया था इसके बैंक लॉकरों की चाबियां गुम हो गई है. जिस पर बैंक अधिकारियों vs गुरप्रीत सिंह के सामने बैंक लॉकर को तोड़ा और लॉकर में रखा सामान गुरप्रीत को दिया गुरूप्रीत बैंक लॉकर में रखा सामान अपने साथ लेकर चला गया.

50 लाख के जेवरात: शिकायतकर्ता आशुतोष सूद का आरोप है कि उक्त लॉकर में रखा सामान उसका था.आशुतोष सूद ने अपने उक्त लॉकर में 50 लाख के गहने रखे थे. आरोप है कि बैंक अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा आशुतोष सूद के बैंक लॉकर में रखे गहनों के लिफाफे को बैंक का लॉकर तोड़कर किसी दूसरे व्यक्ति गुरप्रीत सिंह को दे दिए. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक IPC की धारा 409,420,120B के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं, एसपी शिमला डॉ .मोनिका ने बताया कि एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

Last Updated : Aug 3, 2022, 12:05 PM IST
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