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बल्क ड्रग फार्मा: 1000 करोड़ का प्रोजेक्ट, 2 साल से इंतजार कर रहा एशिया का फार्मा हब हिमाचल - Bulk Drug Pharma Park in Himachal

सालाना 50 हजार करोड़ की दवाइयों का उत्पादन करने वाला हिमाचल का यह फार्मा हब कोरोना काल में देश ही नहीं दुनिया के अन्य राष्ट्रों के लिए भी सहारा बना था. एशिया के इस फार्मा हब की सेवाओं का और विस्तार हो सके, इसके लिए हिमाचल को बल्क ड्रग फार्मा प्रोजेक्ट की सख्त जरूरत है. दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल के हिस्से उक्त प्रोजेक्ट आ चुका है, लेकिन इस परियोजना के रास्ते में अभी भी कई बॉटलनेक हैं.

Bulk Drug Pharma Park in Himachal
प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : Apr 4, 2022, 8:19 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश का बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र एशिया के फार्मा हब के नाम से जाना जाता है. सालाना 50 हजार करोड़ की दवाइयों का उत्पादन करने वाला हिमाचल का यह फार्मा हब कोरोना काल में देश ही नहीं दुनिया के अन्य राष्ट्रों के लिए भी सहारा बना था. एशिया के इस फार्मा हब की सेवाओं का और विस्तार हो सके, इसके लिए हिमाचल को बल्क ड्रग फार्मा प्रोजेक्ट की सख्त जरूरत है.

दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल के हिस्से उक्त प्रोजेक्ट आ चुका है, लेकिन इस परियोजना के रास्ते में अभी भी कई बॉटलनेक हैं. एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस प्रोजेक्ट को लेकर जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली हिमाचल की भाजपा सरकार ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के विधानसभा क्षेत्र हरोली को चुना है.

हिमाचल सरकार इस प्रोजेक्ट की जरूरी शर्तों को लेकर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ निरंतर पत्राचार कर रही है. खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर सहित राज्य के संबंधित विभाग के अधिकारी दिल्ली दौरे के दौरान केंद्र सरकार से बल्क ड्रग फार्मा प्रोजेक्ट की गति बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन रास्ते की बाधाएं अभी दूर नहीं हुई हैं. उल्लेखनीय है कि देश में ऐसे तीन पार्क स्थापित होने हैं.

हिमाचल के लिहाज से यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है. यहां देश और विदेश की नामी दवा कंपनियां कारोबार कर रही हैं. इसके अलावा दवा उद्योग के लिए जरूरी रेल नेटवर्क भी हिमाचल में तैयार हो रहा है. हरोली से नंगल-तलवाड़ा रेल लाइन नजदीक है और बीबीएन में आने वाले समय में नालागढ़-चंडीगढ़ रेल लाइन का लाभ मिलेगा. इसके अलावा रोजगार के अवसर पैदा होंगे और हिमाचल की आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी. सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हिमाचल प्रदेश दुनिया के फार्मा नक्शे पर सबसे अहम केंद्र बनकर उभरेगा.

दो साल पहले हिमाचल प्रदेश के लिए इस परियोजना के रुप में एक खुशखबरी आई थी. हिमाचल प्रदेश के पास उद्योगों के लिए 16 सौ एकड़ भूमि के तौर पर लैंड बैंक है. हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा के लिए तय जमीन उपलब्ध करवाने की औपचारिक्ताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं. नवंबर 2019 में इस परियोजना को सैद्धांतिक रूप से अनुमति मिली थी.

शुरूआत में राज्य सरकार ने मई 2020 में केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि इस परियोजना की आवश्यक शर्तों में हिमाचल को छूट दी जाए. कारण यह था कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल के पास संसाधन सीमित हैं. बल्क ड्रग फार्मा पार्क के लिए 1600 एकड़ जमीन की आवश्यक शर्त है. हिमाचल शर्त है हिमाचल सरकार ने इस शर्त में छूट का आग्रह किया है. हिमाचल चाहता है कि 1600 एकड़ की इस शर्त को घटनाकर 300 से 400 एकड़ कर दिया जाए.

वैसे हिमाचल के बीबीएन में स्थित एशिया के फार्मा हब में काम कर रही दवा कंपनियों ने भी वहीं पर बल्क ड्रग पार्क की स्थापना में रुचि दिखाई है. वर्ष 2020 के अक्तूबर महीने में राज्य सरकार ने फार्मा सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी. उस बैठक में हिमाचल के उद्योग विभाग ने बताया था कि ऊना में उक्त परियोजना के लिए सभी तरह की सुविधाएं हैं.

फिर 2020 में ही नवंबर महीने में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला आए भारत में अमेरिकी राजदूत से आग्रह किया था कि उनका देश हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा में निवेश करे. इस तरह हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से परियोजना का ऐलान होने के बाद अपनी ओर से प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी से बल्क ड्रग फार्मा पार्क के लिए केंद्रीय मदद का फिर से आग्रह किया था. इसके साथ ही नालागढ़ में 270 करोड़ रुपए के मेडिकल डिवाइस पार्क को मंजूरी मिल चुकी है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि इस परियोजना के लिए केंद्र की ओर से 100 अंकों का पैरामीटर तय किया गया है. इसमें से 10 नंबर जमीन की उपलब्धता, 10 नंबर बिजली, 10 नंबर पानी के अलावा सड़क, हवाई और रेल के सुविधा के अलग-अलग नंबर तय किए हैं. हिमाचल प्रदेश सभी पैरामीटर्स को पूरा करता है. हिमाचल के बीबीएन में 700 से अधिक दवा कंपनियां उत्पादन कर रही हैं. यहां सालाना 50 हजार करोड़ की दवाइयां तैयार की जाती हैं. इस तरह बल्क ड्रग पार्क के लिए यहां का वातावरण उपयुक्त है. हिमाचल में बिजली की कोई कमी नहीं है और कानून व्यवस्था भी देश के अन्य राज्यों से बेहतर है ऐसे में हिमाचल की दावेदारी सबसे पुख्ता है.

हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा पार्क (Bulk Drug Pharma Park in Himachal) के आधारभूत ढांचे पर एक हजार करोड़ खर्च होने हैं. परियोजना शुरू होने पर यहां 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और कुल टर्न ओवर सालाना 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का होगा. इससे अधिकतम 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. ऊना जिले का हरोली इलाका मैदानी इलाका है यहां एक साथ जमीन उपलब्ध है. राज्य सरकार ने हरोली में 1405 एकड़ जमीन इस पार्क के लिए जरूरी औपचारिकताओं सहित तय कर ली है. यह जमीन उद्योग विभाग की हो चुकी है.

कोरोना संकट के कारण थमी हुई गतिविधियां अब फिर से शुरु हुई हैं. ऐसे में हिमाचल सरकार ने भी बल्क ड्रग फार्मा के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. राज्य सरकार के उद्योग विभाग के मुखिया राकेश प्रजापति ने दिल्ली में संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क कर राज्य की तैयारियों की जानकारी दी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दिशा निर्देशों के अनुसार उद्योग विभाग ने केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय को बताया कि केंद्र की तरफ से बताई गई आवश्यक शर्तों को करीब-करीब पूरा कर लिया गया है.

ऊना के हरोली क्षेत्र के पांच से अधिक गांवों की सरकारी भूमि चिन्हित की गई है. वहां कुछ निजी जमीन भी खरीदकर उद्योग विभाग के नाम की गई है. प्रथम चरण में केंद्र सरकार की तरफ से एक हजार करोड़ रुपए का बजट मिलेगा. कुल निवेश आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक का होगा. कुछ समय पहले उद्योग विभाग के निदेशक इस परियोजना से जुड़ी सभी फाइलों को लेकर दिल्ली गए और वहां इस संदर्भ में आयोजित विभिन्न विभागीय बैठकों में शामिल हुए.

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दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल के हिस्से उक्त प्रोजेक्ट आ चुका है, लेकिन इस परियोजना के रास्ते में अभी भी कई बॉटलनेक हैं. एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस प्रोजेक्ट को लेकर जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली हिमाचल की भाजपा सरकार ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के विधानसभा क्षेत्र हरोली को चुना है.

हिमाचल सरकार इस प्रोजेक्ट की जरूरी शर्तों को लेकर केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ निरंतर पत्राचार कर रही है. खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर सहित राज्य के संबंधित विभाग के अधिकारी दिल्ली दौरे के दौरान केंद्र सरकार से बल्क ड्रग फार्मा प्रोजेक्ट की गति बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन रास्ते की बाधाएं अभी दूर नहीं हुई हैं. उल्लेखनीय है कि देश में ऐसे तीन पार्क स्थापित होने हैं.

हिमाचल के लिहाज से यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है. यहां देश और विदेश की नामी दवा कंपनियां कारोबार कर रही हैं. इसके अलावा दवा उद्योग के लिए जरूरी रेल नेटवर्क भी हिमाचल में तैयार हो रहा है. हरोली से नंगल-तलवाड़ा रेल लाइन नजदीक है और बीबीएन में आने वाले समय में नालागढ़-चंडीगढ़ रेल लाइन का लाभ मिलेगा. इसके अलावा रोजगार के अवसर पैदा होंगे और हिमाचल की आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी. सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हिमाचल प्रदेश दुनिया के फार्मा नक्शे पर सबसे अहम केंद्र बनकर उभरेगा.

दो साल पहले हिमाचल प्रदेश के लिए इस परियोजना के रुप में एक खुशखबरी आई थी. हिमाचल प्रदेश के पास उद्योगों के लिए 16 सौ एकड़ भूमि के तौर पर लैंड बैंक है. हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा के लिए तय जमीन उपलब्ध करवाने की औपचारिक्ताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं. नवंबर 2019 में इस परियोजना को सैद्धांतिक रूप से अनुमति मिली थी.

शुरूआत में राज्य सरकार ने मई 2020 में केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि इस परियोजना की आवश्यक शर्तों में हिमाचल को छूट दी जाए. कारण यह था कि पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल के पास संसाधन सीमित हैं. बल्क ड्रग फार्मा पार्क के लिए 1600 एकड़ जमीन की आवश्यक शर्त है. हिमाचल शर्त है हिमाचल सरकार ने इस शर्त में छूट का आग्रह किया है. हिमाचल चाहता है कि 1600 एकड़ की इस शर्त को घटनाकर 300 से 400 एकड़ कर दिया जाए.

वैसे हिमाचल के बीबीएन में स्थित एशिया के फार्मा हब में काम कर रही दवा कंपनियों ने भी वहीं पर बल्क ड्रग पार्क की स्थापना में रुचि दिखाई है. वर्ष 2020 के अक्तूबर महीने में राज्य सरकार ने फार्मा सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी. उस बैठक में हिमाचल के उद्योग विभाग ने बताया था कि ऊना में उक्त परियोजना के लिए सभी तरह की सुविधाएं हैं.

फिर 2020 में ही नवंबर महीने में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला आए भारत में अमेरिकी राजदूत से आग्रह किया था कि उनका देश हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा में निवेश करे. इस तरह हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से परियोजना का ऐलान होने के बाद अपनी ओर से प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी से बल्क ड्रग फार्मा पार्क के लिए केंद्रीय मदद का फिर से आग्रह किया था. इसके साथ ही नालागढ़ में 270 करोड़ रुपए के मेडिकल डिवाइस पार्क को मंजूरी मिल चुकी है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि इस परियोजना के लिए केंद्र की ओर से 100 अंकों का पैरामीटर तय किया गया है. इसमें से 10 नंबर जमीन की उपलब्धता, 10 नंबर बिजली, 10 नंबर पानी के अलावा सड़क, हवाई और रेल के सुविधा के अलग-अलग नंबर तय किए हैं. हिमाचल प्रदेश सभी पैरामीटर्स को पूरा करता है. हिमाचल के बीबीएन में 700 से अधिक दवा कंपनियां उत्पादन कर रही हैं. यहां सालाना 50 हजार करोड़ की दवाइयां तैयार की जाती हैं. इस तरह बल्क ड्रग पार्क के लिए यहां का वातावरण उपयुक्त है. हिमाचल में बिजली की कोई कमी नहीं है और कानून व्यवस्था भी देश के अन्य राज्यों से बेहतर है ऐसे में हिमाचल की दावेदारी सबसे पुख्ता है.

हिमाचल में बल्क ड्रग फार्मा पार्क (Bulk Drug Pharma Park in Himachal) के आधारभूत ढांचे पर एक हजार करोड़ खर्च होने हैं. परियोजना शुरू होने पर यहां 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और कुल टर्न ओवर सालाना 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक का होगा. इससे अधिकतम 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. ऊना जिले का हरोली इलाका मैदानी इलाका है यहां एक साथ जमीन उपलब्ध है. राज्य सरकार ने हरोली में 1405 एकड़ जमीन इस पार्क के लिए जरूरी औपचारिकताओं सहित तय कर ली है. यह जमीन उद्योग विभाग की हो चुकी है.

कोरोना संकट के कारण थमी हुई गतिविधियां अब फिर से शुरु हुई हैं. ऐसे में हिमाचल सरकार ने भी बल्क ड्रग फार्मा के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. राज्य सरकार के उद्योग विभाग के मुखिया राकेश प्रजापति ने दिल्ली में संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क कर राज्य की तैयारियों की जानकारी दी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दिशा निर्देशों के अनुसार उद्योग विभाग ने केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्रालय को बताया कि केंद्र की तरफ से बताई गई आवश्यक शर्तों को करीब-करीब पूरा कर लिया गया है.

ऊना के हरोली क्षेत्र के पांच से अधिक गांवों की सरकारी भूमि चिन्हित की गई है. वहां कुछ निजी जमीन भी खरीदकर उद्योग विभाग के नाम की गई है. प्रथम चरण में केंद्र सरकार की तरफ से एक हजार करोड़ रुपए का बजट मिलेगा. कुल निवेश आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक का होगा. कुछ समय पहले उद्योग विभाग के निदेशक इस परियोजना से जुड़ी सभी फाइलों को लेकर दिल्ली गए और वहां इस संदर्भ में आयोजित विभिन्न विभागीय बैठकों में शामिल हुए.

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