शिमला: यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर व गोवा में फिर से सत्ता में लौटी भाजपा एक नए जोश में (himachal assembly election 2022) दिख रही है. इस साल गुजरात के साथ हिमाचल में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. गुजरात में भाजपा लंबे समय से सत्ता में है. हिमाचल में करीब चार दशक से कोई सरकार मिशन रिपीट में सफल नहीं हो पाई (BJP Mission Repeat in himachal) है. लेकिन इस बार भाजपा पूर्व के मुकाबले मिशन रिपीट को लेकर गंभीर है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में निरंतर संगठन के साथ बैठक (Saudan Singh having meeting in himachal) कर रहे हैं.
आम पार्टी कार्यकर्ताओं से भी फीडबैक लिया जा रहा है. इससे पूर्व भाजपा ने 2021 में ही मौजूदा विधायकों से रिपोर्ट कार्ड लेना शुरू कर दिया था. यानी भारतीय जनता पार्टी टिकट वितरण को लेकर लंबी और विस्तृत प्रक्रिया का पालन करेगी. टिकट वितरण के दौरान इस बार सख्ती भी की जाएगी. इसका संकेत चार राज्यों में शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से भी मिलता है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पार्टी में परिवारवाद को हतोत्साहित किया जाएगा.
इस बार कई सिटिंग विधायकों के टिकट पर तलवार लटकना तय है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह हाईकमान के आदेश से मिशन रिपीट का रोडमैप फाइनल कर रहे हैं. इसी सिलसिले में वे एक पखवाड़े से भी अधिक समय तक हिमाचल प्रवास पर हैं. हिमाचल के बारे में बात करें तो यहां तीन विधानसभा व एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका मंडी संसदीय सीट पर हार के रूप में था.
राम स्वरूप शर्मा के संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था. सत्ता में होते हुए भी भाजपा यहां से चुनाव हार गई. बड़ी बात यह थी कि मंडी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है और यहां की लगभग सभी विधानसभा सीटें भाजपा के पक्ष में हैं. एक तरह से सीएम जयराम की छवि दांव पर थी. भाजपा बेशक उपचुनाव हारने के बाद मनोवैज्ञानिक रूप से पस्त थी, लेकिन चार राज्यों में मिशन रिपीट के बाद हिमाचल भाजपा को संजीवनी मिली है. खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह साबित हो गया है कि सरकार के बाद सरकार बनती है, भाजपा के बाद भाजपा आती है.
अब हिमाचल में मिशन रिपीट को लेकर सरकार और संगठन ने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. सबसे पहले पार्टी कार्यकर्ताओं और मंडल स्तर पर पदाधिकारियों से सरकार के कामकाज का फीडबैक लिया गया है. कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी सुना जा रहा है. इसके साथ सरकार के बेहतर कार्यों जैसे सामाजिक सुरक्षा पेंशन, सहारा योजना, विभिन्न वर्गों के मानदेय में बढ़ोतरी आदि को जनता के बीच ले जाने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है. भाजपा ग्रामीण इलाकों में और बेहतर वोट पाने की आशा कर रही है.
चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों के कुछ मसले भी सुलझाने पर बात हो रही है. भाजपा के समक्ष पहली सीढ़ी टिकट वितरण के रूप में हैं. हिमाचल की राजनीति में आम आदमी पार्टी के आगमन के बाद राजनीतिक दलों में भगदड़ के आसार हैं. भाजपा से टिकट के तलबगार मौका ना मिलने की सूरत में आम आदमी पार्टी के पाले में जा सकते हैं. भाजपा के पक्ष में सबसे मजबूत पहलू पार्टी कैडर है. चुनाव के समय जिन क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति कमजोर होने का एहसास होगा, वहां पीएम नरेंद्र मोदी की सभाएं करने पर जोर रहेगा.
सौदान सिंह इन्हीं पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा का कहना है कि पार्टी हर समय कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को सक्रिय रखती है. आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के लिए अभी से काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यूपी की तरह हिमाचल में भी इतिहास दोहराया जाएगा. भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि जयराम सरकार की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब तक के कार्यकाल में सरकार में सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम किया है.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी राजेश मंढोत्रा के अनुसार भाजपा के समक्ष कई चुनौतियां हैं. प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद यहां की परिस्थितियों में बदलाव आएगा. हालांकि भाजपा सोच समझ कर अपनी चाल चल रही है और चार राज्यों के चुनाव परिणाम से मिले अनुभवों का लाभ भी उसे होगा, फिर भी राज्य की सत्ता विरोधी परंपरा से पार पाना इतना आसान नहीं है. यह देखना भी दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी आने वाले समय में किस तरह के लोगों को अपने साथ जोड़ने में सफल रहती है. अभी की परिस्थितियों के अनुसार ऐसा नहीं लग रहा है कि पार्टी सीएम फेस का ऐलान करेगी. लेकिन चार राज्यों के परिणाम ने कैडर बेस्ड भाजपा को जरूर जोश दिलाया है.
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