शिमला: हिमाचल प्रदेश कर्ज के जाल में फंस चुका है. प्रदेश पर 61492 करोड़ रुपए का कर्ज है. साल के अंत तक ये बढ़कर 62211 करोड़ रुपए से अधिक हो जाने का अनुमान है. कैग रिपोर्ट में कर्ज के इस आंकड़े का खुलासा हुआ है. यही नहीं, कर्ज में फंसी सरकार विभिन्न मदों का 437 करोड़ रुपए का टैक्स ही नहीं वसूल पाई है. कैग की रिपोर्ट में हिमाचल सरकार की कार्य प्रणाली पर कई प्रतिकूल टिप्पणियां की गई हैं.
हिमाचल सरकार की राजस्व प्राप्तियां 30742 करोड़ पाई गई हैं. प्रदेश को वित्त आयोग से 8617 करोड़ का अनुदान मिला है. इसके अलावा केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्य को 4915 करोड़ रुपए से अधिक की रकम मिली है. कैग की रिपोर्ट में हिमाचल पर बढ़ते कर्ज को लेकर चेताया गया है. राज्य सरकार को खर्च में कमी लाने की सलाह दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमाचल सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में 2830 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया, लेकिन कोरोना काल में इसमें गिरावट आई. वित्त वर्ष 2019-20 में राजस्व प्राप्तियां कम हुई. ये आंकड़ा गिर कर 2501 करोड़ रुपए पहुंच गया.
राज्य सरकार ने 6580 करोड़ रुपए का मार्केट लोन लिया. इसी तरह आरबीआई से 3443 करोड़ रुपए का लोन लिया. ऐसे में सरकार कर्ज के मकडज़ाल में फंस रही है. वर्ष 2018-19 में सरकार ने 4218 रुपए मार्केट लोन लिया था. इससे साफ है कि मार्केट लोन भी बढ़ा है. हिमाचल सरकार की खुद की राजस्व प्राप्तियों में गिरावट आने के कारण सरकार की केंद्र पर निर्भरता 66 फीसदी बढ़ गई है. इस समय राज्य सरकार का कर्मचारियों के वेतन पर 11477 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है.पेंशन पर खर्च 5489 करोड़ रुपए सालाना है. ऐसे में सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा वेतन व पेंशन पर जा रहा है.
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में प्रदेश सरकार की राजस्व प्राप्तियां 30742.41 करोड़ रुपए थी. इसमें 7623.82 करोड़ रुपए टैक्स तथा 2501 करोड़ गैर कर राजस्व शामिल था. साथ ही केंद्र से मिलने वाली ग्रांट के एवज मिलने वाली 15939 करोड़ की रकम भी शामिल थी. इसके मुकाबले सरकार ने 30730.43 करोड़ खर्च किया. सरकार ने वेतन पर 11477 करोड़ तथा पेंशन पर 5489 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की. इसी तरह उपदान पर 1067 तथा ग्रांट इन एड पर 34.96 करोड़ की रकम खर्च हुई. ब्याज के भुगतान पर 4234 करोड़ की राशि सरकार ने साल में खर्च की. वहीं, सरकार टैक्स वसूलने में भी नाकाम रही है. सरकार ने 437 करोड़ रुपए का टैक्स वसूलने में सक्रियता नहीं दिखाई. कुल 1168 मामलों में समग्र तौर पर 437 करोड़ रुपए कम वसूले गए.
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