शिमला: हिमाचल प्रदेश में पावर प्रोजेक्ट के निर्माण से जुड़ी कंपनियों के लिए सरकार ने राहत दी है. एक दशक से हिमाचल में पावर सेक्टर में आई शिथिलता के कारण प्रोजेक्ट निर्माण कंपनियां अपनी परियोजनाओं को पूरा करने में दिक्कतों का सामना कर रही हैं. ऐसे में हिमाचल में लंबे समय से 224 छोटी बड़ी परियोजनाएं लंबित हैं. इन परियोजनाओं में से 191 ने सरकार के आश्वासन पर नए सिरे से काम करने में रुचि दिखाई है. हिमाचल सरकार ने कंपनियों को नवंबर 2020 में एकमुश्त रियायत यानी वन टाइम एमनेस्टी स्कीम का ऐलान किया था. सरकार ने इसमें अब और राहत दी है. जिन परियोजनाओं में कनेक्शन एग्रीमेंट और पावर परचेज एग्रीमेंट साइन नहीं हुए हैं उन्हें अब इसके लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया है.
कैबिनेट ने भी इस संदर्भ में कई फैसले लिए हैं. कैबिनेट में सरकार द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार यदि किसी कारणवश पावर प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कंपनी कनेक्शन एग्रीमेंट और लांग टर्म ओपन एक्सेस एग्रीमेंट अथवा पावर परचेज एग्रीमेंट 31 जुलाई 2022 तक भी साइन नहीं कर पाता है तो भी उसे राहत मिलेगी. यह राहत उस स्थिति में दी जाएगी अगर समझौता हस्ताक्षरित करने में हुई देरी के लिए संबंधित कंपनी जिम्मेदार ना हो. ऐसे में संबंधित प्रशासनिक विभाग कंपनी को अतिरिक्त समय देने के लिए अधिकृत होगा.
कैबिनेट ने फैसला लिया है कि एकमुश्त रियायत से वंचित रही 6 पावर प्रोजेक्ट कंपनियों को भी उक्त योजना में शामिल किया गया है और उन्हें भी लाभ दिया जाएगा. इसी तरह सरकार ने 26 कंपनियों को दिए गए प्रोजेक्ट रद्द करने का भी फैसला लिया है. ये कंपनियां ना तो उक्त रियायत के प्रति गंभीर देखी गई और ना ही उन्होंने इस योजना में हस्ताक्षर किए. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में हाइड्रो पावर सेक्टर (hydro power sector) में कुछ समय से मंदी का दौर है हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन की क्षमता है इसमें से अभी तक 11 हजार मेगावाट का भी दोहन नहीं हो पाया है.
हिमाचल में 10600 मेगावाट के करीब जल विद्युत का दोहन हुआ है. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी (Energy Minister Sukhram Choudhary) का कहना है कि हिमाचल को ऊर्जा राज्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. प्रदेश सरकार उद्योगपतियों को हिमाचल में पावर प्रोजेक्ट (power project in himachal) लगाने में कई प्रकार की रियायतें दी हैं ताकि आने वाले समय में प्रदेश को भी लाभ मिले और देश की ऊर्जा जरूरतें भी पूरी हो सके.