शिमला: आज सोशल मीडिया लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. सोशल मीडिया आज मनोरंजन से लेकर जानकारियां पाने, दोस्तों के साथ जुड़े रहने और अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने तक का जरिया है. सोशल मीडिया आज अभिव्यक्ति का ऐसा जरिया है जिसके सहारे अपनी आवाज या अपनी राय को पलभर में तस्वीरों, लेख, वीडियो आदि के सहारे दुनियाभर में पहुंचाया जा सकता है. लेकिन इस सोशल मीडिया का सहारा लेकर ठग हनीट्रैप का जाल बिछाकर ब्लैकमेल करते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं.
हनीट्रैप में फंसाकर ठगे 70 हजार
शिमला में ठगों ने एक महिला के सहारे एक शख्स को फोन करवाया. रॉन्ग नंबर के बावजूद शख्स और महिला के बीच बातचीत हुई. धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला वीडियो कॉल तक पहुंचा और इसी दौरान उस शख्स का न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर लिया गया. जिसके बाद महिला ने शख्स को ब्लैकमेल करना शुरू किया और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की बात कहकर पैसों की मांग की. बदनामी के डर से पीड़ित शख्स ने 70 हजार रुपये ठगों के बताए ई-वॉलेट में ट्रांसफर कर दिए.
मामला साइबर पुलिस तक पहुंचा. जांच के दौरान पुलिस उस ई-वॉलेट तक पहुंची जिसमें रुपये जमा करवाए गए थे. पुलिस के पहुंचने तक ई-वॉलेट में सिर्फ 25 हजार रुपये बचे थे, जिन्हें पीड़ित को वापस लौटाया गया.
हनीट्रैप में कैसे फंसाते हैं ठग ?
शिमला साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह कहते हैं कि आजकल ज्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन हैं और ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. जिसका फायदा साइबर ठग हनीट्रैप में फंसाने के लिए करते हैं.
नरवीर सिंह के मुताबिक हनीट्रैप के मामलों में ठग पहले अपने शिकार की तलाश करते हैं. ये सब रॉन्ग नबंर या किसी दूसरे बहाने से फोन करके अंजाम दिया जाता है. जिसके बाद धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाया जाता है. शिकार पुरुष हुआ तो महिला फोन करती हैं और महिला हुई तो पुरुष फोन करता है. बातचीत के दौरान शिकार को पूरी तरह से भरोसे में लिया जाता है.
इसके बाद वीडियो कॉल पर भी बातचीत होती है. वीडियो कॉल फोन से लेकर वाट्सएप या अन्य माध्यमों से की जाती है. वीडियो कॉल के दौरान ही शख्स से कपड़े उतरवाए जाते हैं और उसे रिकॉर्ड कर लिया जाता है. अगर कोई शख्स न्यूड होने से मना करता है तो उसकी फोटो को एडिट करके न्यूड कर दिया जाता है. फिर इन वीडियो और तस्वीरों के सहारे उसे ब्लैकमेल किया जाता है पैसों की मांग की जाती है. रुपये ना देने पर वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी जाती है और फिर बदनामी के डर से पीड़ित शख्स रुपये दे देता है.
आपकी सावधानी, आपका हथियार
साइबर एक्सपर्ट्स की मानें को हनीट्रैप जैसे मामलों में आपकी सतर्कता और सावधानी ही ऐसे शातिरों को सबक सिखा सकती है. आज सोशल मीडिया पर हम अनजान लोगों से दोस्ती कर लेते हैं. जिसका फायदा साइबर ठग उठा लेते हैं.
- सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती ना करें.
- अंजान लोगों के साथ चैटिंग या वीडियो चैट ना करें.
- ठग आपका वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं.
- आपकी फोटो को एडिट करके न्यूड कर सकते हैं.
- हनीट्रैप में फंसे शख्स को ठग दिखाते हैं बदनामी का डर.
- डरकर ठगों को पैसे देने जैसी मांग को स्वीकार ना करें.
- डर का फायदा उठाकर भविष्य में भी ठग ब्लैकमेल कर सकते हैं.
- हनीट्रैप में फंसने पर तुरंत इसकी शिकायत साइबर सेल को दें.
एएसपी नरवीर सिंह कहते हैं कि हनीट्रैप में फंसाने के लिए ठग ज्यादातर युवाओं को चुनते हैं. हनीट्रैप के वो आसान शिकार होते हैं और ठगों की मांग मानने में जल्दी ना करें. ऐसे मामलों में ठग लोगों के डर का फायदा उठाते हैं. ब्लैकमेलिंग करने वाले ठग की मांगें मानने पर वो भविष्य में भी आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं.
हनीट्रैप में फंसने पर क्या करें ?
एएसपी नरवीर सिंह कहते हैं कि हनीट्रैप या इस जैसी स्थिति में फंसने पर घबराएं नहीं और डरकर ठगों या ब्लैकमेलर्स की बातों में ना आएं. इसलिए ऐसा होने पर हनीट्रैप के जाल में फंसने पर तुरंत साइबर सेल में शिकायत करें.
हनीट्रैप में फंसने जैसी स्थिति में तुरंत दोस्तों और घरवालों को भी बताएं ताकि आपकी दुविधा कम हो. ताकि समस्या से बाहर निकलने का बेहतर हल निकले. मामले से जुडे़ मैसेज, कॉल रिकॉर्ड डिलीट ना करें. ये सब मामला दर्ज करने और जांच में अहम सबूत होते हैं. इसके अलावा ब्लैकमेलर अगर सोशल मिडाया का फेक अकाउंट से ऐसे काम को अंजाम देता है तो अपनी करतूत में सफल होने और केस दर्ज होने की स्थिति में ये फेक अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिए जाते हैं. जिसके कारण बाद में चैट नहीं दिखती इसलिये उस फेक अकाउंट का स्क्रीनशॉट जरूर लें. स्क्रीनशॉट लेने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि स्क्रीनशॉट के साथ टाइम और डेट स्टैंप भी आ जाए.
एएसपी नरवीर सिंह के मुताबिक साल 2021 की शुरूआत में ही हनीट्रैप या ब्लैकमेलिंग के जरिये लोगों को शिकार बनाने के 4 से 5 मामले साइबर पुलिस के पास दर्ज हो चुके हैं. साइबर क्राइम के फैलते जाल को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में ये जाल और भी फैलता जाएगा.
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