शिमला: हिमाचल प्रदेश का एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब में शुमार होता है. प्रदेश में करीब 700 दवा उद्योग स्थापित हैं. जिनमें से 200 से ज्यादा ईयू अप्रूव्ड, 200 से ज्यादा डब्ल्यूएचओ व जीएमपी और कई उद्योग यूएसएफडीए अप्रूव्ड हैं. लॉकडाउन के बीच फार्मा हब को दवाओं की उत्पादन के लिए मिली छूट और स्थिति पर सीएम जयराम ठाकुर ने प्रकाश डाला है.
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि "एशिया का नंबर वन फार्मा हब हिमाचल में हैं. कुछ एक दवाइयों के उत्पादन पर हमनें छूट दे रखी है. आने वाले समय में हम कोशिश करेंगे कि हिमाचल में कम से कम देश विदेश में भेजी जाने वाली दवाइयों के उत्पादन में कोई कमी ना आए. इसके लिए सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं."
दवा उद्योग से जुड़े जानकारों की मानें तो हिमाचल में दवा उद्योगों के पास फिलहाल नाम मात्र की इन्वेंटरी बची है. लॉकडाउन के बीच अगर आपूर्ति ऐसे ही बाधित रही तो दवा बाजार के 70 फीसदी हिस्से पर इसका असर देखने को मिल सकता है. उद्योगो तक कच्चे माल की सप्लाई नियमित नहीं होने से बीपी, डायबिटीज, सहित अन्य दवाओं की किल्लत होने के आसार नजर आ रहे हैं.
आपको बता दें कि लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को बीबीएन में स्थापित जिड्स, कैडिला, सिपला, टोरेंट फार्मा और डॉ. रेड्डी लैब को दवाओं के उत्पादन में आ रही सभी दिक्कतों को दूर करने के निर्देश दिए थे. यही कारण है कि प्रशासन ने इनके साथ-साथ अन्य फार्मा उद्योगों को दूसरे राज्यों और प्रदेश के अन्य जिलों में फंसे कर्मचारियों को लाने के लिए वन टाइम अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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