शिमला: प्रदेश में सेब सीजन शुरू हो गया है. इस दौरान बागवानों को किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) ने सेब को प्रमोट करने के लिए निजी कंपनियों से करार करेगी. इससे प्रदेश के बागवानों को सेब बेचने में आसानी होगी. यह जानकारी एपीएमसी शिमला-किन्नौर के अध्यक्ष नरेश शर्मा ने रविवार को दी. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों से भी संपर्क किया गया है और वह इस बार ट्रायल बेस पर सब्जी व सेब खरीदेंगे.
नरेश शर्मा का कहना था कि इसका लाभ यह होगा कि प्रदेश के बागवान को आढ़तियों के चक्कर से छुटकारा मिल जाएगा. वे सीधे अपने फसल को बेच सकेंगे. इसके लिए प्रदेश की सभी मंडियों को ऑनलाइन किया गया है. रोहड़ू में 20 करोड़ के लागत से फल मंडी का निर्माण किया जा रहा है. वहीं, प्राला मंडी का भी विस्तार किया जा रहा है. शिलारू में एक 20 करोड़ की लागत से मंडी बनाई जा रही है. बागवानों को लाभ पहुंचाने के लिए शिमला और किन्नौर में 138 करोड़ से निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिससे बागवानों को परेशानी न उठानी पड़े.
प्रदेश की सेब मंडियों में 6 करोड़ सेब पैकिंग के लिए रखे गए हैं. बागवानों को सेब पैकिंग के लिए कार्टन बहुत महंगा पड़ता है, ऐसे में एपीएमसी ने बागवानों को राहत देने के लिए कैरेट सिस्टम शुरू करेगा, जिसकी कीमत 80 से 90 रुपये है. बागवानों को कैरेट खरीदने के लिए 50 फीसदी राशि एपीएमसी की ओर से मिलेगी.
बागवानों के साथ बहुत से ठगी के मामले सामने आ चुके हैं. जिसमें आढ़ती सेब तो खरीद लेते हैं, लेकिन बदले में किसानों को उसकी पेमेंट नहीं करते हैं. ऐसे में एपीएसमी ने घोषणा की है कि यदि कोई बागवान किसी आढ़ती के खिलाफ शिकायत कर दे तो उस आढ़ती का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. बीते साल 238 आढ़तियों के लाइसेंस थे, जबकि अभी तक 153 ही लाइसेंस रिन्यूअल हुए हैं, बाकी के सही दस्तावेज आने पर रिन्यूअल किया जाएगा.
नरेश शर्मा ने बताया कि सभी बेरियर पर एपीएसमी के काउंटर रहेंगे. खासकर शोघी बेरियर पर पुलिस चौकी के साथ एपीएमसी के काउंटर बनाए जाएंगे. अगर किसी बागवान के पास मान्य दस्तावेज होंगे तो उससे कोई भी मार्केट फीस नहीं ले सकता है. अगर कोई किसी प्रकार की फीस लेता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाएगा.
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