शिमला: हिमाचल में ड्रोन (Drone in Himachal) से जुड़ी हुई सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए गरुड़ परियोजना (Himachal Garud Project) शुरू की गई है. प्रदेश सरकार ने विभागों में ड्रोन को बतौर उत्पाद और सेवा के रूप में उपयोग में लाने के लिए प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम को इसकी खरीद दरें निर्धारित करने का कार्य दिया है. प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के माध्यम से इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं.
4 कंपनियों से करार: प्रवक्ता ने बताया कि ड्रोन की खरीद और उनकी सेवाओं के लिए 6 विक्रेताओं को सूचीबद्ध किया गया है. निगम ने इनमें से 4 सूचीबद्ध विक्रेताओं के साथ ड्रोन के माध्यम से निगरानी, सर्वे, आपदा प्रबंधन, कृषि के लिए ड्रोन के माध्यम से स्प्रे तथा अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए समझौता हस्ताक्षरित किया है. उन्होंने कहा कि निगम विभिन्न सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इत्यादि को सूचीबद्ध विक्रेताओं के माध्यम से विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराएगा. उन्होंने कहा कि ड्रोन हिमाचल प्रदेश में विशेष तौर पर दुर्गम और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
ड्रोन पालिसी बनाने वाला पहला राज्य हिमाचल: बता दें कि हिमाचल प्रदेश ड्रोन उड़ाने को लेकर नीति तैयार (Himachal Drone Policy 2022) करने वाला देश का पहला राज्य है. जयराम कैबिनेट ने इसको लेकर मंजूरी दी थी. जानकारी के मुताबिक यह नीति मुख्य रूप से ड्रोन और ड्रोन-सक्षम प्रौद्योगिकी के निर्माण तथा लाइसेंस प्राप्त मानव शक्ति के सृजन पर केंद्रित है और इसके लिए ड्रोन फ्लांइग प्रशिक्षण स्कूल स्थापित कर विभिन्न ड्रोन संबंधित पाठयक्रमों के माध्यम से उनका कौशल विकास किया जाएगा.
इसके माध्यम से सुदृढ़ आधारभूत संरचना, अनुसंधान एवं विकास, ड्रोन विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित होगी. यह नीति पहाड़ी प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी. माना जा रहा है कि कंपनियों से करार के बाद प्रदेश में ड्रोन जल्द उड़ते दिखाई देंगे.
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