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वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा हिमाचल के बजट का बड़ा हिस्सा, विकास के लिए केंद्र के समक्ष झोली फैलाएगा हिमाचल

नए वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा है. पुलिस पे बैंड की अधिसूचना भी जारी हो गई है. ऐसे में खजाने पर (Himachal budget spent on salary and pension) 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक सालाना का बोझ पड़ गया है. इन परिस्थितियों में विकास की रकम और कम हो जाएगी.

cm jairam thakur
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर
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Published : Apr 21, 2022, 10:26 PM IST

शिमला: नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद हिमाचल सरकार के खजाने पर सालाना 6 हजार करोड़ का बोझ पड़ा है. हिमाचल प्रदेश के बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. विकास के लिए सरकार के पास बहुत कम बजट बचता है. ऐसे में राज्य में विकास की (Himachal budget spent on salary and pension) रफ्तार बरकरार रखने के लिए हिमाचल सरकार केंद्र की इंट्रस्ट फ्री लोन का लाभ लेने की जुगत में है. वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष राज्य की आर्थिक स्थिति की प्रेजेंटेशन दी है. इस बार हिमाचल का बजट 51 हजार 365 करोड़ रुपए का है. यदि बजट में 100 रुपए को मानक माना जाए तो विकास के लिए सिर्फ 29 रुपए बचते हैं.

पुलिस पे बैंड से हिमाचल के खजाने पर अतिरिक्त बोझ: हाल ही में नए वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा है. पुलिस पे बैंड की अधिसूचना (Himachal Police Pay Band Notification) भी जारी हो गई है. ऐसे में खजाने पर 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक सालाना का बोझ पड़ गया है. इन परिस्थितियों में विकास की रकम और कम हो जाएगी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन सारी स्थितियों से अवगत हैं. लिहाजा सरकार में विभिन्न स्तरों पर विचार विमर्श के बाद केंद्र सरकारी की इंट्रस्ट फ्री लोन स्कीम का फायदा उठाने पर सहमति बनी है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बजट में राज्यों को इंट्र्स्ट फ्री लोन के लिए एक लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है.

केंद्र से मदद लेने की तैयारी: इस योजना में राज्यों को 50 साल तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने का प्रावधान है इसके लिए राज्यों को अपने यहां से डीपीआर तैयार कर केंद्र सरकार के पास भेजना जरूरी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हाल ही में शिमला में कैबिनेट मंत्रियों और विभागों के सचिवों के साथ बैठक हुई है. इस मीटिंग में विभिन्न विभागों के तहत होने वाले विकास कार्यों की सूची तैयार की गई है. लोक निर्माण विभाग से लेकर अन्य विभागों के बड़े प्रोजेक्ट लिस्ट आउट किए गए हैं, जिनके लिए केंद्र से मदद ली जा सकती है. उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष में हिमाचल सरकार की लोन लिमिट 9400 करोड़ रुपए थी. इसमें से राज्य सरकार ने केवल 4 हजार करोड़ रुपए का ही लोन लिया. सरकार 5400 करोड़ रुपए और लोन ले सकती थी लेकिन ब्याज दर अधिक होने के कारण भाजपा सरकार ने कर्ज लेने से हाथ खींच लिए.

हिमाचल पर करीब 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज: उल्लेखनीय है कि हिमाचल पर करीब 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. चिंता की बात है कि (debt on Himachal) सरकार को अपने बजट का 11 फीसदी हिस्सा कर्ज की अदायगी पर चुकाना पड़ता है. इसके अलावा 10 फीसदी हिस्सा लिए गए कर्ज के ब्याज में चला जाता है. यानी 100 रुपए के बजट में 21 रुपए कर्ज की अदायगी और कर्ज पर बनने वाले ब्याज की अदायगी में खर्च हो जाता है. हिमाचल सरकार को केंद्र की कई योजनाओं से लाभ भी मिल रहा है. अकेले जल शक्ति विभाग में जल जीवन मिशन के तहत बेहतर काम करने पर हिमाचल को साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का इंसेंटिव मिल चुका है. हिमाचल में एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स से भी करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा है. डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की बागवानी विकास परियोजना के अलावा एडीबी और विश्व बैंक की मदद से भी विकास योजनाएं चल रही हैं.

हिमाचल को उदार आर्थिक सहायता की जरूरत: हिमाचल में लोक निर्माण विभाग में नेशनल हाइवे केंद्र की मदद से बन रहे हैं. इसके अलावा पर्यटन सेक्टर में भी केंद्र और बाह्य वित्त पोषित योजनाओं से सहयोग मिल रहा है. इसके बावजूद आधारभूत ढांचे के लिए हिमाचल को उदार आर्थिक सहायता की जरूरत हैं. हिमाचल में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के अलावा बल्क ड्रग फार्मा जैसी योजनाएं केंद्र के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. चूंकि हिमाचल सरकार अढाई लाख सरकारी कर्मचारियों और पौने दो लाख पेंशनर्स पर खर्च होने वाली रकम का कोई विकल्प नहीं निकाल सकती, लिहाजा विकास योजनाओं के लिए खजाने में केंद्र की मदद जरूरी है. हिमाचल सरकार एक हजार करोड़ से अधिक के लोन में भी यदि ब्याज दर अधिक हो तो उसे चुकाने के लिए खुद को असमर्थ पाती है, लिहाजा सरकार बड़े लोन लेने की स्थिति में नहीं है.

क्या कहते हैं पूर्व वित्त सचिव केआर भारती: वित्त विभाग से परामर्श मिला है कि सरकार को केंद्र की 50 साल तक ब्याज मुक्त लोन योजना का लाभ लेना चाहिए. अब सरकार ने विभिन्न विभागों को अपने बड़े प्रोजेक्ट्स की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हिमाचल को समय-समय पर उदार आर्थिक सहायता दी है. राज्य सरकार केंद्र की मदद से विकास की रफ्तार बनाए रखेगी. इसके लिए रोडमैप तैयार किया गया है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती भी मानते हैं कि अकेला हिमाचल प्रदेश अपने संसाधनों से ना तो कर्ज चुका सकता है और ना ही विकास योजनाओं के लिए अधिक व्यवस्था कर सकता है. भारती का कहना है कि केंद्र की नई ब्याज मुक्त कर्ज योजना हिमाचल के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है.

ये भी पढ़ें:भाजपा ने नहीं कांग्रेस ने हिमाचल को कर्ज में डुबोया: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

शिमला: नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद हिमाचल सरकार के खजाने पर सालाना 6 हजार करोड़ का बोझ पड़ा है. हिमाचल प्रदेश के बजट का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. विकास के लिए सरकार के पास बहुत कम बजट बचता है. ऐसे में राज्य में विकास की (Himachal budget spent on salary and pension) रफ्तार बरकरार रखने के लिए हिमाचल सरकार केंद्र की इंट्रस्ट फ्री लोन का लाभ लेने की जुगत में है. वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष राज्य की आर्थिक स्थिति की प्रेजेंटेशन दी है. इस बार हिमाचल का बजट 51 हजार 365 करोड़ रुपए का है. यदि बजट में 100 रुपए को मानक माना जाए तो विकास के लिए सिर्फ 29 रुपए बचते हैं.

पुलिस पे बैंड से हिमाचल के खजाने पर अतिरिक्त बोझ: हाल ही में नए वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा है. पुलिस पे बैंड की अधिसूचना (Himachal Police Pay Band Notification) भी जारी हो गई है. ऐसे में खजाने पर 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक सालाना का बोझ पड़ गया है. इन परिस्थितियों में विकास की रकम और कम हो जाएगी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन सारी स्थितियों से अवगत हैं. लिहाजा सरकार में विभिन्न स्तरों पर विचार विमर्श के बाद केंद्र सरकारी की इंट्रस्ट फ्री लोन स्कीम का फायदा उठाने पर सहमति बनी है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बजट में राज्यों को इंट्र्स्ट फ्री लोन के लिए एक लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है.

केंद्र से मदद लेने की तैयारी: इस योजना में राज्यों को 50 साल तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने का प्रावधान है इसके लिए राज्यों को अपने यहां से डीपीआर तैयार कर केंद्र सरकार के पास भेजना जरूरी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हाल ही में शिमला में कैबिनेट मंत्रियों और विभागों के सचिवों के साथ बैठक हुई है. इस मीटिंग में विभिन्न विभागों के तहत होने वाले विकास कार्यों की सूची तैयार की गई है. लोक निर्माण विभाग से लेकर अन्य विभागों के बड़े प्रोजेक्ट लिस्ट आउट किए गए हैं, जिनके लिए केंद्र से मदद ली जा सकती है. उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष में हिमाचल सरकार की लोन लिमिट 9400 करोड़ रुपए थी. इसमें से राज्य सरकार ने केवल 4 हजार करोड़ रुपए का ही लोन लिया. सरकार 5400 करोड़ रुपए और लोन ले सकती थी लेकिन ब्याज दर अधिक होने के कारण भाजपा सरकार ने कर्ज लेने से हाथ खींच लिए.

हिमाचल पर करीब 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज: उल्लेखनीय है कि हिमाचल पर करीब 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. चिंता की बात है कि (debt on Himachal) सरकार को अपने बजट का 11 फीसदी हिस्सा कर्ज की अदायगी पर चुकाना पड़ता है. इसके अलावा 10 फीसदी हिस्सा लिए गए कर्ज के ब्याज में चला जाता है. यानी 100 रुपए के बजट में 21 रुपए कर्ज की अदायगी और कर्ज पर बनने वाले ब्याज की अदायगी में खर्च हो जाता है. हिमाचल सरकार को केंद्र की कई योजनाओं से लाभ भी मिल रहा है. अकेले जल शक्ति विभाग में जल जीवन मिशन के तहत बेहतर काम करने पर हिमाचल को साढ़े सात सौ करोड़ रुपए का इंसेंटिव मिल चुका है. हिमाचल में एक्सटर्नल एडिड प्रोजेक्ट्स से भी करोड़ों रुपए का फंड मिल रहा है. डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक की बागवानी विकास परियोजना के अलावा एडीबी और विश्व बैंक की मदद से भी विकास योजनाएं चल रही हैं.

हिमाचल को उदार आर्थिक सहायता की जरूरत: हिमाचल में लोक निर्माण विभाग में नेशनल हाइवे केंद्र की मदद से बन रहे हैं. इसके अलावा पर्यटन सेक्टर में भी केंद्र और बाह्य वित्त पोषित योजनाओं से सहयोग मिल रहा है. इसके बावजूद आधारभूत ढांचे के लिए हिमाचल को उदार आर्थिक सहायता की जरूरत हैं. हिमाचल में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के अलावा बल्क ड्रग फार्मा जैसी योजनाएं केंद्र के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. चूंकि हिमाचल सरकार अढाई लाख सरकारी कर्मचारियों और पौने दो लाख पेंशनर्स पर खर्च होने वाली रकम का कोई विकल्प नहीं निकाल सकती, लिहाजा विकास योजनाओं के लिए खजाने में केंद्र की मदद जरूरी है. हिमाचल सरकार एक हजार करोड़ से अधिक के लोन में भी यदि ब्याज दर अधिक हो तो उसे चुकाने के लिए खुद को असमर्थ पाती है, लिहाजा सरकार बड़े लोन लेने की स्थिति में नहीं है.

क्या कहते हैं पूर्व वित्त सचिव केआर भारती: वित्त विभाग से परामर्श मिला है कि सरकार को केंद्र की 50 साल तक ब्याज मुक्त लोन योजना का लाभ लेना चाहिए. अब सरकार ने विभिन्न विभागों को अपने बड़े प्रोजेक्ट्स की डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हिमाचल को समय-समय पर उदार आर्थिक सहायता दी है. राज्य सरकार केंद्र की मदद से विकास की रफ्तार बनाए रखेगी. इसके लिए रोडमैप तैयार किया गया है. पूर्व वित्त सचिव केआर भारती भी मानते हैं कि अकेला हिमाचल प्रदेश अपने संसाधनों से ना तो कर्ज चुका सकता है और ना ही विकास योजनाओं के लिए अधिक व्यवस्था कर सकता है. भारती का कहना है कि केंद्र की नई ब्याज मुक्त कर्ज योजना हिमाचल के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है.

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