शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 54 करोड़ रुपये का चूना लगा है. कसुम्पटी एसबीआई के बैंक प्रबंधक देवेंद्र कुमार संधू की शिकायत पर सीबीआई ने शिमला में 4 लोगों पर केस दर्ज किया है. बैंक प्रबंधक की ओर से दर्ज शिकायत के अनुसार कंपनी प्रबंधक तुषार शर्मा और उसकी पत्नी श्वेता शर्मा ने अपनी अलग-अलग चार कंपनियों के नाम से जाली दस्तावेजों के आधार पर कर्ज लिया, लेकिन वापस नहीं किया.
बैंक प्रबंधक की शिकायत पर सीबीआई ने शिमला के एंटी करप्शन ब्यूरो में चार अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं. तुषार शर्मा, उसकी पत्नी श्वेता शर्मा, गारंटी देने वाले राकेश शर्मा और उसकी पत्नी पूनम शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 और एंटी करप्शन अधिनियम की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया है. एंटी करप्शन ब्यूरो शिमला ने 29 अगस्त को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें कांगड़ा के नगरोटा बगवां में स्थित मैगमा ऑटोलिक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अलावा कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर तुषार शर्मा, डायरेक्टर श्वेता शर्मा, गारंटी देने वाले राकेश कुमार और पूनम शर्मा का नाम शामिल है. इसके अलावा एक अज्ञात सरकारी अधिकारी को भी आरोपी बनाया गया था.
मामले की जांच का जिम्मा इंस्पेक्टर राजेश पराशर को सौंपा गया है. आरोपियों ने कर्ज एसबीआई की गुटकर मंडी, गंखेलतर बैजनाथ, नगरोटा बगवां और ऊना की झलेड़ा शाखा से लिया. वहीं, बैंक प्रबंधक ने शिकायत में बताया कि तुषार और उसकी पत्नी ने कांगड़ा में मगमा ऑटोलिंक के नाम से कंपनी खोली थी. होंडा कार की डीलरशिप के लिए उसने बैंक से 38.19 करोड़ रुपये का कर्ज लिया.
इसके लिए उनके ही रिश्तेदारों पूनम शर्मा और राकेश शर्मा ने गारंटी दी. कंपनी ने सारे वाहन बेच दिए, लेकिन बैंक का पैसा नहीं लौटाया. इसी तरह भगत राम मोटर कंपनी के नाम पर आठ करोड़ रुपये, श्वेता गोल्डन फूड्ज के नाम पर 5.91 करोड़ और तनिष्का एग्रो के नाम पर दो करोड़ रुपये का कर्ज लिया है.
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