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कोविड-19 के दौरान 4000 एफआईआर, सरकार की देरी से कोर्ट गए मामले

उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थीं. इन एफआईआर पर सरकार को फैसला लेना होता है कि निपटारा कैसे किया जाए. तय समय में कोई फैसला न होने से मामलों को कोर्ट भेजना पड़ता है. ऐसे 4 हजार मामले कोर्ट पहुंच गए हैं. अब अदालत की कार्यवाही से जनता भी परेशान होगी और प्रशासनिक अधिकारियों को भी कोर्ट जाना पड़ेगा.

4000 FIR cases registered in Corona era sent to court due to government delay
फोटो.
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Published : Mar 22, 2021, 2:20 PM IST

शिमला: हिमाचल में कोरोना काल शुरू होने के बाद से अब तक डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत चार हजार एफआईआर दर्ज हुई. चूंकि राज्य सरकार की मशीनरी ने समय रहते इन एफआईआर पर कोई फैसला नहीं लिया, लिहाजा अब ये मामले कोर्ट में पहुंच गए हैं. हर जिला के डीसी ने तय समय के बाद मामलों को कोर्ट में भेज दिया.

दरअसल, ये मामले डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की विभिन्न धाराओं में हुए. जैसे कोविड महामारी के समय कोई ऐसा काम करना जिससे संक्रमण दूसरों को हो जाए, प्रशासन की निषेधाज्ञा का उल्लंघन करना आदि. ये मामले हर जिला में आए थे.

चार हजार मामले पहुंचे कोर्ट

उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थीं. इन एफआईआर पर सरकार को फैसला लेना होता है कि निपटारा कैसे किया जाए. तय समय में कोई फैसला न होने से मामलों को कोर्ट भेजना पड़ता है. ऐसे 4 हजार मामले कोर्ट पहुंच गए हैं. अब अदालत की कार्यवाही से जनता भी परेशान होगी और प्रशासनिक अधिकारियों को भी कोर्ट जाना पड़ेगा. वो इसलिए कि शिकायतकर्ता प्रशासनिक अधिकारी ही होते हैं. अधिकांश मामले आईपीसी की धारा 188 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धाराओं में दर्ज हुए थे.

कोर्ट की पेशी पर जाएंगे प्रशासनित अधिकारी

शिकायत करने वालों में डीसी, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार आदि शामिल हैं. ये मामले निषेधाज्ञा उल्लंघन के हैं और कई जिलों से भी कहा गया था कि ये केस यदि कोर्ट गए तो पेशियों में प्रशासनिक अधिकारियों को भी जाना पड़ेगा. अभियोजन के दौरान आरोपी तो तंग होंगे ही, प्रशासनिक अमले को भी अदालत के चक्कर काटने होंगे. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में अकेले धारा 188 के उल्लंघन के 155 मामले कोर्ट पहुंचे हैं. बिलासपुर जिला से भी करीब 200 मामले अदालत आए. राज्य सरकार चाहे तो अब भी ये केस खत्म हो सकते हैं. इसके लिए सरकार को नीतिगत फैसला लेना होगा. फिर अदालत में केस जाने के बावजूद ये मामले खत्म हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय की आर्म्सडेल इमारत की बदलेंगी खिड़कियां, खर्च होंगे 1.43 करोड़

शिमला: हिमाचल में कोरोना काल शुरू होने के बाद से अब तक डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत चार हजार एफआईआर दर्ज हुई. चूंकि राज्य सरकार की मशीनरी ने समय रहते इन एफआईआर पर कोई फैसला नहीं लिया, लिहाजा अब ये मामले कोर्ट में पहुंच गए हैं. हर जिला के डीसी ने तय समय के बाद मामलों को कोर्ट में भेज दिया.

दरअसल, ये मामले डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की विभिन्न धाराओं में हुए. जैसे कोविड महामारी के समय कोई ऐसा काम करना जिससे संक्रमण दूसरों को हो जाए, प्रशासन की निषेधाज्ञा का उल्लंघन करना आदि. ये मामले हर जिला में आए थे.

चार हजार मामले पहुंचे कोर्ट

उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थीं. इन एफआईआर पर सरकार को फैसला लेना होता है कि निपटारा कैसे किया जाए. तय समय में कोई फैसला न होने से मामलों को कोर्ट भेजना पड़ता है. ऐसे 4 हजार मामले कोर्ट पहुंच गए हैं. अब अदालत की कार्यवाही से जनता भी परेशान होगी और प्रशासनिक अधिकारियों को भी कोर्ट जाना पड़ेगा. वो इसलिए कि शिकायतकर्ता प्रशासनिक अधिकारी ही होते हैं. अधिकांश मामले आईपीसी की धारा 188 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धाराओं में दर्ज हुए थे.

कोर्ट की पेशी पर जाएंगे प्रशासनित अधिकारी

शिकायत करने वालों में डीसी, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार आदि शामिल हैं. ये मामले निषेधाज्ञा उल्लंघन के हैं और कई जिलों से भी कहा गया था कि ये केस यदि कोर्ट गए तो पेशियों में प्रशासनिक अधिकारियों को भी जाना पड़ेगा. अभियोजन के दौरान आरोपी तो तंग होंगे ही, प्रशासनिक अमले को भी अदालत के चक्कर काटने होंगे. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में अकेले धारा 188 के उल्लंघन के 155 मामले कोर्ट पहुंचे हैं. बिलासपुर जिला से भी करीब 200 मामले अदालत आए. राज्य सरकार चाहे तो अब भी ये केस खत्म हो सकते हैं. इसके लिए सरकार को नीतिगत फैसला लेना होगा. फिर अदालत में केस जाने के बावजूद ये मामले खत्म हो सकते हैं.

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