ETV Bharat / city

शिमला में कोरोना संक्रमण को रोकने की तैयारियां, 3 रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन

author img

By

Published : Apr 23, 2020, 7:44 AM IST

Updated : Apr 23, 2020, 7:54 AM IST

शिमला शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 3 रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है. शहरी क्षेत्र के अंदर कोरोना संक्रमित पाए जाने पर टीम के द्वारा उस क्षेत्र में क्वारंटाइन, स्क्रीनिंग एवं कांटेक्ट ट्रेसिंग का पूरा जायजा लिया जाएगा.

rapid response team in Shimla
rapid response team in Shimla

शिमलाः राजधानी शिमला के शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की रोकथाम की तैयारियों को लेकर पुलिस, स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपमंडलाधिकारी शिमला (शहरी) नीरज चांदला ने की.

शिमला शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 3 रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने पर उस क्षेत्र में क्वारंटाइन, स्क्रीनिंग एवं कांटेक्ट ट्रेसिंग का पूरा जायजा लिया जाएगा. हर टीम में 5 सदस्य शामिल है, जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन के सदस्यों का चयन किया गया है.

नीरज चंदला ने बताया कि रैपिड रिस्पांस टीम का गठन शिमला शहरी में थाना एवं सर्कल के हिसाब से किया गया है, जिसमें सदर थाना, बालूगंज सर्कल और छोटा शिमला सर्कल शामिल है. इसके अतिरिक्त एक क्विक रिस्पांस टीम का गठन भी किया गया है जिसमें डॉ. चेतन को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

जिला निगरानी अधिकारी डॉ. राकेश ने इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों को मास्क के उपयोग और मास्क लगाने की विधि के बारे में भी बताया.

उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि अगर कोई व्यक्ति क्षेत्र के अंदर कोरोना संक्रमित पाया जाता है, तो स्थिति से कैसे निपटा जाए. डॉ. राकेश ने उपस्थित अधिकारियों को कंटेनमेंट जोन और बफर जोन के बारे में भी विस्तृत से बताया गया.

डॉ. राकेश ने बताया कि किसी क्षेत्र में कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसके 3 किलोमीटर के दायरे के अंदर को कंटेनमेंट जॉन में रखा जाएगा और उसके 7 किलोमीटर के दायरे के अंदर आने वाले क्षेत्र को बफर जोन में रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कंटेनमेंट जोन के अंदर अचानक से सांस लेने में तकलीफ आती है तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए.

उन्होंने बताया कि तैयार की गई रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा कंटेनमेंट जोन के अंदर 28 दिनों तक रोज सभी लोगों से सर्दी, जुखाम, खांसी के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी.

डॉ. राकेश ने कांटेक्ट ट्रेसिंग पर विस्तृत से अपनी बात रखी कि किस तरह से कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति का प्राइमरी और सेकेंडरी कांटेक्ट ट्रेसिंग की जानी है. कोरोना वायरस के मरीजों का सैंपल किस तरह से एकत्रित किया जाना है और उस सैंपल को लैब तक कैसे पहुंचाया जाना है. इसके अतिरिक्त पीपीई किट के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई कि किस स्थिति में कौन से किट की जरूरत है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यदि किसी क्षेत्र में कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उस क्षेत्र को 4 घंटे के अंदर कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाए और उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशानुसार ही अधिकारी काम करें ताकि किसी भी प्रकार की अफरा-तफरी का माहौल न बने.

ये भी पढ़ें- नेता प्रतिपक्ष ने विधायकों के साथ वीडियों कान्फ्रेंसिंग से की बैठक, वीरभद्र सिंह भी हुए शामिल

शिमलाः राजधानी शिमला के शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की रोकथाम की तैयारियों को लेकर पुलिस, स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपमंडलाधिकारी शिमला (शहरी) नीरज चांदला ने की.

शिमला शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए 3 रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के संक्रमित पाए जाने पर उस क्षेत्र में क्वारंटाइन, स्क्रीनिंग एवं कांटेक्ट ट्रेसिंग का पूरा जायजा लिया जाएगा. हर टीम में 5 सदस्य शामिल है, जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन के सदस्यों का चयन किया गया है.

नीरज चंदला ने बताया कि रैपिड रिस्पांस टीम का गठन शिमला शहरी में थाना एवं सर्कल के हिसाब से किया गया है, जिसमें सदर थाना, बालूगंज सर्कल और छोटा शिमला सर्कल शामिल है. इसके अतिरिक्त एक क्विक रिस्पांस टीम का गठन भी किया गया है जिसमें डॉ. चेतन को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

जिला निगरानी अधिकारी डॉ. राकेश ने इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों को मास्क के उपयोग और मास्क लगाने की विधि के बारे में भी बताया.

उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि अगर कोई व्यक्ति क्षेत्र के अंदर कोरोना संक्रमित पाया जाता है, तो स्थिति से कैसे निपटा जाए. डॉ. राकेश ने उपस्थित अधिकारियों को कंटेनमेंट जोन और बफर जोन के बारे में भी विस्तृत से बताया गया.

डॉ. राकेश ने बताया कि किसी क्षेत्र में कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उसके 3 किलोमीटर के दायरे के अंदर को कंटेनमेंट जॉन में रखा जाएगा और उसके 7 किलोमीटर के दायरे के अंदर आने वाले क्षेत्र को बफर जोन में रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कंटेनमेंट जोन के अंदर अचानक से सांस लेने में तकलीफ आती है तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए.

उन्होंने बताया कि तैयार की गई रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा कंटेनमेंट जोन के अंदर 28 दिनों तक रोज सभी लोगों से सर्दी, जुखाम, खांसी के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी.

डॉ. राकेश ने कांटेक्ट ट्रेसिंग पर विस्तृत से अपनी बात रखी कि किस तरह से कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति का प्राइमरी और सेकेंडरी कांटेक्ट ट्रेसिंग की जानी है. कोरोना वायरस के मरीजों का सैंपल किस तरह से एकत्रित किया जाना है और उस सैंपल को लैब तक कैसे पहुंचाया जाना है. इसके अतिरिक्त पीपीई किट के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई कि किस स्थिति में कौन से किट की जरूरत है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यदि किसी क्षेत्र में कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो उस क्षेत्र को 4 घंटे के अंदर कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाए और उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशानुसार ही अधिकारी काम करें ताकि किसी भी प्रकार की अफरा-तफरी का माहौल न बने.

ये भी पढ़ें- नेता प्रतिपक्ष ने विधायकों के साथ वीडियों कान्फ्रेंसिंग से की बैठक, वीरभद्र सिंह भी हुए शामिल

Last Updated : Apr 23, 2020, 7:54 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.