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कहानी आपातकाल की: इमरजेंसी के खिलाफ उन दिनों भाषण दे रहे थे 32 साल के युवा नेता राधारमण शास्त्री, पकड़ कर डाले गए जेल में..

स्मृतियों को खंगालते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं- ये समाचार जंगल की आग की तरह फैला कि इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी है. इंदिरा सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दीं. उसके बाद देश भर में आपातकाल का विरोध शुरू हो गया. अगले ही दिन प्रदेश में जगह-जगह आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे. इसी तरह का एक आयोजन शिमला के नाज नामक स्थान पर था. माल रोड व लोअर बाजार के संधि स्थल नाज पर इमरजेंसी के बाद की एक सुबह लोक संघर्ष समिति का प्रदर्शन था. डॉ. शास्त्री यहीं पर आपातकाल के खिलाफ भाषण दे रहे थे. उनका भाषण अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि पुलिस ने उन्हें जबरन पकड़ा और गाड़ी में बैठा दिया. शिमला से उन्हें सीधे सेंट्रल जेल नाहन (Central Jail Nahan) ले जाया गया. पढे़ं पूरी कहानी...

emergency in india in hindi
राधारमण शास्त्री
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Published : Jun 25, 2022, 10:37 PM IST

शिमला: करीब आधी सदी का समय होने को आया, लेकिन देश में इमरजेंसी की कड़वी यादें अभी भी ताजा हैं. हिमाचल प्रदेश के कई नामी नेता और जेपी आंदोलन से जुड़े युवा जेल में ठूंस दिए गए थे. नाहन सेंट्रल जेल में 19 महीने की कैद काटने वालों में शांता कुमार सहित कई अन्य नाम थे. ऐसे ही एक युवा नेता डॉ. राधारमण शास्त्री भी थे. राधारमण शास्त्री 1975 में महज 32 साल के थे. वर्ष 1975 में जून की 25 तारीख को बुधवार था.

दे रहे थे भाषण, पुलिस ले गई जेल: स्मृतियों को खंगालते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं- ये समाचार जंगल की आग की तरह फैला कि इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी है. इंदिरा सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दीं. उसके बाद देश भर में आपातकाल का विरोध शुरू हो गया. डॉ. शास्त्री के मुताबिक हिमाचल बेशक छोटा सा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां राजनीतिक रूप से चेतना का बहुत विस्तार था. अगले ही दिन प्रदेश में जगह-जगह आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे. इसी तरह का एक आयोजन शिमला के नाज नामक स्थान पर था.

Radharaman Shastri on emergency in india
फाइल फोटो

माल रोड व लोअर बाजार के संधि स्थल नाज पर इमरजेंसी के बाद की एक सुबह लोक संघर्ष समिति का प्रदर्शन था. ये जेपी आंदोलन से उपजी समिति थी. डॉ. शास्त्री यहीं पर आपातकाल के खिलाफ भाषण दे रहे थे. उनका भाषण अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि पुलिस ने उन्हें जबरन पकड़ा और गाड़ी में बैठा दिया. शिमला से उन्हें सीधे सेंट्रल जेल नाहन ले (Radharaman Shastri was jailed) जाया गया. राधारमण शास्त्री पूरे 19 महीने नाहन जेल में बंद रहे. बाद में साल 1977 में इमरजेंसी खत्म होने पर ही डॉ. शास्त्री जेल से बाहर आए.

जेब थी खाली, बैंक में थे अस्सी रुपए: उस समय को याद करते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं कि जिस समय वे जेल गए उनकी जेब में कोई पैसा नहीं था. बैंक में भी मात्र अस्सी रुपए की मामूली रकम थी. हिमाचल को तब नया-नया पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. वर्ष 1971 में यह 25 जनवरी का सर्द दिन था. बर्फबारी हो रही थी जब शिमला के रिज मैदान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐलान किया था. उसके ठीक चार साल बाद यानी वर्ष 1975 में जून महीने की 25 तारीख को देश में आपातकाल लागू हो (1975 Emergency Declared By Indira Gandhi ) गया.

Radharaman Shastri on emergency in india
फाइल फोटो

डॉ. शास्त्री के अनुसार जेपी आंदोलन का प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क पर था. गुरुवार 26 जून को ही राधारमण शास्त्री कुछ अन्य नेताओं के साथ नाहन जेल ले जाए गए. वहां उनके साथ शांता कुमार, दौलतराम चौहान, दुर्गा सिंह राठौर, पंडित संतराम, श्यामा शर्मा व एक अध्यापक रामदास भी थे. जेल में शांता कुमार व राधारमण शास्त्री की चारपाई साथ-साथ थी. शास्त्री के अनुसार जिस समय वे जेल गए, उनकी शादी हो चुकी थी. धर्मपत्नी विद्यावती शास्त्री के पास इंश्योरेंस एजेंसी थी. शास्त्री तो जेल चले गए, लेकिन उनके पीछे धर्मपत्नी के पास घर चलाने का संकट खड़ा हो गया. राधारमण शास्त्री याद करते हैं कि कैसे किस्मत की मेहरबानी हुई और इंश्योरेंस कंपनी के पास बकाया पड़ी कमीशन के चार हजार रुपए जारी हुए. फिर डेढ़ माह के बाद ही एरियर के 42 हजार रुपए मिले तो घर-गृहस्थी चलाने का मसला हल हो गया. विद्यावती शिमला में अपने पिता के पास रहने लगी.

जेल में होती थी राजनीतिक चर्चाएं: उधर, जेल में बंद (Central Jail Nahan) डॉ. शास्त्री अन्य नेताओं के साथ राजनीतिक चर्चा में मशगूल रहते. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि जेल में वैसे तो आराम था, पर समय काटने का उपाय तो कोई न कोई करना ही था, लिहाजा आयुर्वेद का अध्ययन शुरू किया. उस दौरान कोई चार हजार रुपए की आयुर्वेद पर आधारित किताबें मंगवाई. शांता कुमार भी अध्ययनन प्रेमी थे. उन्होंने तो आपातकाल के दौरान लेखन कार्य भी खूब किया. राधारमण शास्त्री को पाक कला का भी शौक था. वे जेल में खाना बनाने में भी हाथ बंटाते. आपातकाल के दौरान राधारमण शास्त्री अन्य लोगों के साथ जिस नाहन सेंट्रल जेल में कैद थे, उसका दरवाजा 22 फुट ऊंचा था. बाहर की दुनिया से संपर्क नहीं था. कभी-कभार जिस सिपाही से बाहर से कोई सामान वगैरा मंगवाते, उससे ही कुछ सूचनाएं मिल जाती कि जेल से बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है.

Radharaman Shastri on emergency in india
फाइल फोटो

जेल से बाहर आने के बाद चौपाल विधानसभा क्षेत्र से लड़ा चुनाव और विजयी हुए: अखबारें हिंदी की आती थीं. पंजाब केसरी व वीरप्रताप, लेकिन खबरें सेंसर होती थीं. इंडियन एक्सप्रेस में कई कॉलम ब्लैंक यानी खाली होते थे. उन पर लिखा होता था सेंसर्ड. इस तरह जेल में समय काटने का सबसे बड़ा सहारा आपस में राजनीतिक चर्चा ही रहता. कभी-कभी घर-परिवार से कोई मिलने आ जाता तो भी प्रदेश की सूचनाएं मिल जातीं. मिलने के लिए समय लेना पड़ता. मुलाकात के दौरान बातचीत पर जेल कर्मियों की नजर रहती. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी भी मिलने के लिए नाहन जेल आई थीं. तब परिवार के सदस्य घर की परेशानियों के बारे में बात नहीं करते थे. यही कहा जाता कि घर-परिवार में सब अच्छे से चल रहा है और आप अपना ख्याल रखें. इमरजेंसी खत्म होने के बाद वर्ष 1977 में शास्त्री अन्य नेताओं के साथ जेल की कैद से छूटे. सभी लोग मेंटेनेंस ऑफ इंडियन सिक्योरिटी एक्ट के तहत जेल में बंद किए गए थे. जेल से बाहर आने के बाद जनता पार्टी व अन्य समानधर्मा दलों की बैठक हुई. राधारमण शास्त्री ने चौपाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी हुए. वे बाद में हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे. प्रदेश के शिक्षा मंत्री का कार्यभार भी संभाला.

लोकतंत्र प्रहरियों की सूची:

जिला बिलासपुरजिला चंबाजिला हमीरपुरजिला कांगड़ाजिला कुल्लूजिला मंडीजिला शिमलाजिला सिरमौरजिला सोलनजिला ऊनाअन्य राज्य
नारायण सिंह स्वामीलखीणूस्व. सुदर्शन जैनशांता कुमार, पूर्व मुख्यमंत्रीस्व.चन्द्रसेन ठाकुरमुनेन्द्र पालसुरेश भारद्वाज,शहरी विकास मंत्री कन्हैया लालमहेन्द्र नाथ सोफतप्रवीण शर्माकृष्ण चन्द आहूजा (ग्रेटर मोहाली, पंजाब)
जय कुमारनोरधमुलक राज धीमानसुनील मनोचासुरेन्द्र खन्नापूर्ण प्रकाशराधा रमण शास्त्री

स्व.जगत सिंह नेगी

आशनारायण सिंह

विजय सिंह

प्रेम कुमार (पश्चिम विहार,नई दिल्ली)
स्व.राजेन्द्र कुमार हांडाभानू अशोक कुमारलाल चन्दहेमंत राज वैद्यस्व. मदन गोपाल राजेश कपूरप्रेम चन्द हीर

स्व.बिशम्बर दत्त (होशियारपुर, पंजाब)

अच्छर सिंहसाहवणू स्वराज कुमार बालीटाम्बर सिंहरमेश बन्टाभारत भूषण वैद निहाल चन्दस्व.रक्षपाल सिंह
नरोतम दत्त शास्त्रीजोतू राम स्व. गुलशन कुमारशेर सिंहस्व. रोशन लाल बालीकेशव श्रीधर
देवदत्त स्व. मोहिन्द्र सिंहजगदेव सिंहस्व. देवकीनन्दनआचार्य प्रियतोष उर्फ प्रियतोषानन्द अवधूत
देश राज बलवीर सिंह राणाहोतम रामस्व.गंगा सिंह ठाकुरस्व. मेघ राज शर्मा
नरेश चन्द मेहता रोशन लाल धीमानगोकल चन्दबलबीर कुमार शर्मास्व. दौलत राम चौहान
स्व.जय राम गोपी चन्द अग्रवाललुदर चन्द ठाकुरस्व.पुष्पराज वैद्य
स्व. हरू स्व. कुलदीप सचदेवास्व. मनी राम
स्व.चन्दू केदार नाथ बस्सीस्व. फूंचोग
स्व.सरवण कुमार नरेन्द्र नाथ
सुदेश राज कमल किशोर
शिवकर्ण राजेन्द्र अग्रवाल
जूमी राकेश भारती
स्व.टिभलू वसन्त कुमार सूद
स्व. धर्म पाल

वर्तमान में सभी को अपने विचार प्रकट करने की आजादी: शास्त्री के अनुसार अब देश के आम जनमानस में बहुत जागरूकता है. सोशल मीडिया मजबूत है. लोगों को अपने विचार प्रकट करने की पूरी आजादी है. अब कोई राजनीतिक दल इस कदर निरंकुश नहीं हो सकता कि देश को उनकी वजह से कोई संकट झेलना पड़े. 23 मार्च 1943 को शिमला जिला के चौपाल में जन्में डॉ. राधारमण शास्त्री बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. डॉ. राधारमण शास्त्री संस्कृत, हिंदी व अंग्रेजी भाषा के विद्वान हैं. वे कुछ समय के लिए पत्रकारिता से भी जुड़े रहे. जयप्रकाश के समग्र क्रांति आंदोलन में सक्रिय रहे शास्त्री ने आपातकाल के बाद चुनाव जीता. वे दो बार विधानसभा चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रहे. विधानसभा अध्यक्ष का पदभार भी संभाला. वे केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के सदस्य भी रहे. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं देने वाले राधारमण शास्त्री ने बहुत से देशों की यात्रा की. शास्त्री जी दस साल तक हिमाचल भाजपा के महासचिव भी रहे. पालमपुर में राम मंदिर निर्माण के प्रस्ताव पास होने के दौरान मंच संचालन भी उन्होंने ही किया था.

Radharaman Shastri on emergency in india
फाइल फोटो

इमरजेंसी में जेल काटने वालों को लोकतंत्र प्रहरी सम्मान, सरकार देती है 12 हजार मासिक सम्मान राशि: इमरजेंसी में जेल काटने वालों को हिमाचल सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान दिया है. इस बारे में विधानसभा में चर्चा के बाद जुलाई 2020 में सरकार ने सम्मान राशि जारी करने को कैबिनेट में मुहर लगाई थी. राज्य सरकार के फैसले के अनुसार 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल की अवधि के दौरान लोकतंत्र की सुरक्षा और लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) सहित डीआईआर यानी डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के तहत एक से 15 दिन तक जेल मेंं रहे लोगों को 8,000 रुपये प्रति माह सम्मान राशि प्रदान की जाती है. इसके अलावा 15 दिनों से अधिक अवधि तक कैद में रहने वालों को 12,000 रुपये प्रतिमाह लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि के रूप में दिए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश में अस्सी से अधिक लोगों को ये सम्मान राशि मिलती है. उनमें से कुछ दिवंगत भी हो चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरियों में शांता कुमार, राधारमण शास्त्री, सुरेश भारद्वाज, राजीव बिंदल आदि का नाम प्रमुख है.

ये भी पढ़ें: 25 June 1975 Emergency in India की वह काली रात मेरे देश में दोबारा फिर कभी न आए: डॉ. राजीव बिंदल

शिमला: करीब आधी सदी का समय होने को आया, लेकिन देश में इमरजेंसी की कड़वी यादें अभी भी ताजा हैं. हिमाचल प्रदेश के कई नामी नेता और जेपी आंदोलन से जुड़े युवा जेल में ठूंस दिए गए थे. नाहन सेंट्रल जेल में 19 महीने की कैद काटने वालों में शांता कुमार सहित कई अन्य नाम थे. ऐसे ही एक युवा नेता डॉ. राधारमण शास्त्री भी थे. राधारमण शास्त्री 1975 में महज 32 साल के थे. वर्ष 1975 में जून की 25 तारीख को बुधवार था.

दे रहे थे भाषण, पुलिस ले गई जेल: स्मृतियों को खंगालते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं- ये समाचार जंगल की आग की तरह फैला कि इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी है. इंदिरा सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दीं. उसके बाद देश भर में आपातकाल का विरोध शुरू हो गया. डॉ. शास्त्री के मुताबिक हिमाचल बेशक छोटा सा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां राजनीतिक रूप से चेतना का बहुत विस्तार था. अगले ही दिन प्रदेश में जगह-जगह आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे. इसी तरह का एक आयोजन शिमला के नाज नामक स्थान पर था.

Radharaman Shastri on emergency in india
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माल रोड व लोअर बाजार के संधि स्थल नाज पर इमरजेंसी के बाद की एक सुबह लोक संघर्ष समिति का प्रदर्शन था. ये जेपी आंदोलन से उपजी समिति थी. डॉ. शास्त्री यहीं पर आपातकाल के खिलाफ भाषण दे रहे थे. उनका भाषण अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि पुलिस ने उन्हें जबरन पकड़ा और गाड़ी में बैठा दिया. शिमला से उन्हें सीधे सेंट्रल जेल नाहन ले (Radharaman Shastri was jailed) जाया गया. राधारमण शास्त्री पूरे 19 महीने नाहन जेल में बंद रहे. बाद में साल 1977 में इमरजेंसी खत्म होने पर ही डॉ. शास्त्री जेल से बाहर आए.

जेब थी खाली, बैंक में थे अस्सी रुपए: उस समय को याद करते हुए डॉ. शास्त्री बताते हैं कि जिस समय वे जेल गए उनकी जेब में कोई पैसा नहीं था. बैंक में भी मात्र अस्सी रुपए की मामूली रकम थी. हिमाचल को तब नया-नया पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. वर्ष 1971 में यह 25 जनवरी का सर्द दिन था. बर्फबारी हो रही थी जब शिमला के रिज मैदान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐलान किया था. उसके ठीक चार साल बाद यानी वर्ष 1975 में जून महीने की 25 तारीख को देश में आपातकाल लागू हो (1975 Emergency Declared By Indira Gandhi ) गया.

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डॉ. शास्त्री के अनुसार जेपी आंदोलन का प्रभाव हमारे मन-मस्तिष्क पर था. गुरुवार 26 जून को ही राधारमण शास्त्री कुछ अन्य नेताओं के साथ नाहन जेल ले जाए गए. वहां उनके साथ शांता कुमार, दौलतराम चौहान, दुर्गा सिंह राठौर, पंडित संतराम, श्यामा शर्मा व एक अध्यापक रामदास भी थे. जेल में शांता कुमार व राधारमण शास्त्री की चारपाई साथ-साथ थी. शास्त्री के अनुसार जिस समय वे जेल गए, उनकी शादी हो चुकी थी. धर्मपत्नी विद्यावती शास्त्री के पास इंश्योरेंस एजेंसी थी. शास्त्री तो जेल चले गए, लेकिन उनके पीछे धर्मपत्नी के पास घर चलाने का संकट खड़ा हो गया. राधारमण शास्त्री याद करते हैं कि कैसे किस्मत की मेहरबानी हुई और इंश्योरेंस कंपनी के पास बकाया पड़ी कमीशन के चार हजार रुपए जारी हुए. फिर डेढ़ माह के बाद ही एरियर के 42 हजार रुपए मिले तो घर-गृहस्थी चलाने का मसला हल हो गया. विद्यावती शिमला में अपने पिता के पास रहने लगी.

जेल में होती थी राजनीतिक चर्चाएं: उधर, जेल में बंद (Central Jail Nahan) डॉ. शास्त्री अन्य नेताओं के साथ राजनीतिक चर्चा में मशगूल रहते. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि जेल में वैसे तो आराम था, पर समय काटने का उपाय तो कोई न कोई करना ही था, लिहाजा आयुर्वेद का अध्ययन शुरू किया. उस दौरान कोई चार हजार रुपए की आयुर्वेद पर आधारित किताबें मंगवाई. शांता कुमार भी अध्ययनन प्रेमी थे. उन्होंने तो आपातकाल के दौरान लेखन कार्य भी खूब किया. राधारमण शास्त्री को पाक कला का भी शौक था. वे जेल में खाना बनाने में भी हाथ बंटाते. आपातकाल के दौरान राधारमण शास्त्री अन्य लोगों के साथ जिस नाहन सेंट्रल जेल में कैद थे, उसका दरवाजा 22 फुट ऊंचा था. बाहर की दुनिया से संपर्क नहीं था. कभी-कभार जिस सिपाही से बाहर से कोई सामान वगैरा मंगवाते, उससे ही कुछ सूचनाएं मिल जाती कि जेल से बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है.

Radharaman Shastri on emergency in india
फाइल फोटो

जेल से बाहर आने के बाद चौपाल विधानसभा क्षेत्र से लड़ा चुनाव और विजयी हुए: अखबारें हिंदी की आती थीं. पंजाब केसरी व वीरप्रताप, लेकिन खबरें सेंसर होती थीं. इंडियन एक्सप्रेस में कई कॉलम ब्लैंक यानी खाली होते थे. उन पर लिखा होता था सेंसर्ड. इस तरह जेल में समय काटने का सबसे बड़ा सहारा आपस में राजनीतिक चर्चा ही रहता. कभी-कभी घर-परिवार से कोई मिलने आ जाता तो भी प्रदेश की सूचनाएं मिल जातीं. मिलने के लिए समय लेना पड़ता. मुलाकात के दौरान बातचीत पर जेल कर्मियों की नजर रहती. राधारमण शास्त्री बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी भी मिलने के लिए नाहन जेल आई थीं. तब परिवार के सदस्य घर की परेशानियों के बारे में बात नहीं करते थे. यही कहा जाता कि घर-परिवार में सब अच्छे से चल रहा है और आप अपना ख्याल रखें. इमरजेंसी खत्म होने के बाद वर्ष 1977 में शास्त्री अन्य नेताओं के साथ जेल की कैद से छूटे. सभी लोग मेंटेनेंस ऑफ इंडियन सिक्योरिटी एक्ट के तहत जेल में बंद किए गए थे. जेल से बाहर आने के बाद जनता पार्टी व अन्य समानधर्मा दलों की बैठक हुई. राधारमण शास्त्री ने चौपाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी हुए. वे बाद में हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे. प्रदेश के शिक्षा मंत्री का कार्यभार भी संभाला.

लोकतंत्र प्रहरियों की सूची:

जिला बिलासपुरजिला चंबाजिला हमीरपुरजिला कांगड़ाजिला कुल्लूजिला मंडीजिला शिमलाजिला सिरमौरजिला सोलनजिला ऊनाअन्य राज्य
नारायण सिंह स्वामीलखीणूस्व. सुदर्शन जैनशांता कुमार, पूर्व मुख्यमंत्रीस्व.चन्द्रसेन ठाकुरमुनेन्द्र पालसुरेश भारद्वाज,शहरी विकास मंत्री कन्हैया लालमहेन्द्र नाथ सोफतप्रवीण शर्माकृष्ण चन्द आहूजा (ग्रेटर मोहाली, पंजाब)
जय कुमारनोरधमुलक राज धीमानसुनील मनोचासुरेन्द्र खन्नापूर्ण प्रकाशराधा रमण शास्त्री

स्व.जगत सिंह नेगी

आशनारायण सिंह

विजय सिंह

प्रेम कुमार (पश्चिम विहार,नई दिल्ली)
स्व.राजेन्द्र कुमार हांडाभानू अशोक कुमारलाल चन्दहेमंत राज वैद्यस्व. मदन गोपाल राजेश कपूरप्रेम चन्द हीर

स्व.बिशम्बर दत्त (होशियारपुर, पंजाब)

अच्छर सिंहसाहवणू स्वराज कुमार बालीटाम्बर सिंहरमेश बन्टाभारत भूषण वैद निहाल चन्दस्व.रक्षपाल सिंह
नरोतम दत्त शास्त्रीजोतू राम स्व. गुलशन कुमारशेर सिंहस्व. रोशन लाल बालीकेशव श्रीधर
देवदत्त स्व. मोहिन्द्र सिंहजगदेव सिंहस्व. देवकीनन्दनआचार्य प्रियतोष उर्फ प्रियतोषानन्द अवधूत
देश राज बलवीर सिंह राणाहोतम रामस्व.गंगा सिंह ठाकुरस्व. मेघ राज शर्मा
नरेश चन्द मेहता रोशन लाल धीमानगोकल चन्दबलबीर कुमार शर्मास्व. दौलत राम चौहान
स्व.जय राम गोपी चन्द अग्रवाललुदर चन्द ठाकुरस्व.पुष्पराज वैद्य
स्व. हरू स्व. कुलदीप सचदेवास्व. मनी राम
स्व.चन्दू केदार नाथ बस्सीस्व. फूंचोग
स्व.सरवण कुमार नरेन्द्र नाथ
सुदेश राज कमल किशोर
शिवकर्ण राजेन्द्र अग्रवाल
जूमी राकेश भारती
स्व.टिभलू वसन्त कुमार सूद
स्व. धर्म पाल

वर्तमान में सभी को अपने विचार प्रकट करने की आजादी: शास्त्री के अनुसार अब देश के आम जनमानस में बहुत जागरूकता है. सोशल मीडिया मजबूत है. लोगों को अपने विचार प्रकट करने की पूरी आजादी है. अब कोई राजनीतिक दल इस कदर निरंकुश नहीं हो सकता कि देश को उनकी वजह से कोई संकट झेलना पड़े. 23 मार्च 1943 को शिमला जिला के चौपाल में जन्में डॉ. राधारमण शास्त्री बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. डॉ. राधारमण शास्त्री संस्कृत, हिंदी व अंग्रेजी भाषा के विद्वान हैं. वे कुछ समय के लिए पत्रकारिता से भी जुड़े रहे. जयप्रकाश के समग्र क्रांति आंदोलन में सक्रिय रहे शास्त्री ने आपातकाल के बाद चुनाव जीता. वे दो बार विधानसभा चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रहे. विधानसभा अध्यक्ष का पदभार भी संभाला. वे केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के सदस्य भी रहे. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं देने वाले राधारमण शास्त्री ने बहुत से देशों की यात्रा की. शास्त्री जी दस साल तक हिमाचल भाजपा के महासचिव भी रहे. पालमपुर में राम मंदिर निर्माण के प्रस्ताव पास होने के दौरान मंच संचालन भी उन्होंने ही किया था.

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फाइल फोटो

इमरजेंसी में जेल काटने वालों को लोकतंत्र प्रहरी सम्मान, सरकार देती है 12 हजार मासिक सम्मान राशि: इमरजेंसी में जेल काटने वालों को हिमाचल सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान दिया है. इस बारे में विधानसभा में चर्चा के बाद जुलाई 2020 में सरकार ने सम्मान राशि जारी करने को कैबिनेट में मुहर लगाई थी. राज्य सरकार के फैसले के अनुसार 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल की अवधि के दौरान लोकतंत्र की सुरक्षा और लोगों के मौलिक अधिकारों के लिए आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) सहित डीआईआर यानी डिफेंस ऑफ इंडिया रूल के तहत एक से 15 दिन तक जेल मेंं रहे लोगों को 8,000 रुपये प्रति माह सम्मान राशि प्रदान की जाती है. इसके अलावा 15 दिनों से अधिक अवधि तक कैद में रहने वालों को 12,000 रुपये प्रतिमाह लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि के रूप में दिए जाते हैं. हिमाचल प्रदेश में अस्सी से अधिक लोगों को ये सम्मान राशि मिलती है. उनमें से कुछ दिवंगत भी हो चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरियों में शांता कुमार, राधारमण शास्त्री, सुरेश भारद्वाज, राजीव बिंदल आदि का नाम प्रमुख है.

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