शिमला: हिमाचल में चलाई जा रही 108 व 102 एंबुलेंस चलाने को लेकर सरकार की एक और लापरवाही सामने आई है. दरअसल, शनिवार को सुबह से ही एंबुलेंस सेवा ठप हो गई थी और मरीजों को काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा. बता दें कि नई कंपनी मेडसवान फाउंडेशन (Medswan Foundation in Himachal) को एंबुलेंस चलाने का टेंडर दे दिया है. ऐसे में पुरानी कंपनी जीवीके ने एंबुलेंस राज्य सरकार को सुपुर्द करनी थी.
सरकार ने सभी एंबुलेंस को जिला मुख्यालय में लाने के निर्देश दिए थे, ताकि इन्हें सरकार के सुपुर्द किया जाए. ऐसे में सभी क्षेत्रों से जिला मुख्यालयों में एंबुलेंस को पहुंचाया गया, जिसके चलते एंबुलेंस सेवा लोगों को नहीं मिल पाई. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. बता दें कि हिमाचल में 108 एंबुलेंस सेवा का जिम्मा मेडसवान फाउंडेशन को आगामी 4 वर्षों के लिए दिया गया है. नई कंपनी को टेंडर मिलने के बाद जो एंबुलेंस में पुराने कर्मचारी हैं उन्हें अभी तक ऑफर लेटर भी नहीं मिले हैं. ऐसे में उन्हें नौकरी से हाथ धोना (108 company fired employees in HP) पड़ सकता है.
प्रदेश में कुल 1200 के करीब कर्मचारी हैं, इनमें प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी युनियन के साथ जो 200 कर्मचारी जुड़ें हैं उनमें से किसी को भी ऑफर लेटर नहीं मिले हैं. ऑफर लेटर न मिलने से कर्मचारियों में काफी रोष है. प्रदेश एंबुलेंस कर्मचारी युनियन के अध्यक्ष पूर्णचंद ने कहा कि कर्मचारियों के साथ अगर (108 service workers in HP) खिलवाड़ किया गया तो बदार्शत नहीं किया जाएगा. जितने कर्मचारी पहले से ही एंबुलेंस में सेवाएं दे रहे हैं उन सभी को ज्वाइनिंग लेटर मिलने चाहिए. उन्होंने कहा कि पूराने कर्मचारियों को कई सालों का अनुभव है और ये सभी कई वर्षों से अपने दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं. ऐसे में (Himachal 108 service workers demands) अगर इन्हें कंपनी द्वारा बाहर निकाला गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा.
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