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IGMC शिमला में Scrub Typhus से 1 व्यक्ति की मौत, अभी तक हो चुकी हैं 6 मौतें

आईजीएमसी शिमला में मंगलवार देर शाम एक व्यक्ति की मौत हो गई है. 57 वर्षीय व्यक्ति बिलासपुर से स्क्रब टाइफस के इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला आया था जहां व्यक्ति का इलाज चल रहा था, लेकिन मंगलवार देर शाम व्यक्ति ने एम तोड़ दिया. वहीं, अभी तक आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है.

1 person died due to Scrub Typhus in IGMC Shimla
1 person died due to Scrub Typhus in IGMC Shimla
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Published : Oct 27, 2021, 12:09 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 1:39 PM IST

शिमला: स्क्रब टाइफस संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. रोजाना ही आईजीएमसी में मामले आ रहे हैं. वहीं, स्क्रब टाइफस से मंगलवार देर शाम एक व्यक्ति की मौत हो गई है. 57 वर्षीय व्यक्ति बिलासपुर से स्क्रब टाइफस के इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला आया था जहां व्यक्ति का इलाज चल रहा था, लेकिन मंगलवार देर शाम व्यक्ति ने एम तोड़ दिया.

बता दें कि स्क्रब टाइफस के प्रतिदिन 1 से 2 मामले आईजीएमसी पहुंच रहे हैं. स्क्रब टाइफस का आंकड़ा अब 320 पहुंच गया है. ये वे मरीज हैं जिन्होंने आईजीएमसी में अपना उपचार करवाया है और करवा रहे हैं. वहीं, अभी तक आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है.

अब स्क्रब टाइफस के आ रहे मामलों को देखकर चिकित्सक भी अलर्ट हो गए हैं. चिकित्सकों ने लोगों के लिए निर्देश दिए हैं कि जैसे ही किसी लोगों को इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो नजदीकी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाएं. इससे बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी.

ध्यान रहे कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. विभागाधिकारियों का कहना है कि मॉनिटरिंग की जा रही है और रोजाना रिपोर्ट निदेशालय और सचिवालय भेजी जाती है.

चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि में न जाएं, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि इन दिनों घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा है.

स्क्रब टाइफस के लक्षण मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकंपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना. इससे बचने के उपाय लोग सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.

मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है. आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस के मामले आ रहे हैं. वहीं, 1 व्यक्ति की स्क्रब से मौत हुई है. लोगों से हमारी अपील है कि वे सावधानी बरतें. अगर स्क्रब के कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो अस्पताल में आएं और समय से अपना उपचार शुरू करें. अस्पतालों में उपचार के पूरे साधन हैं.

ये भी पढ़ें- कुल्लू के मलाणा में आग का 'तांडव', 12 मकान जलकर राख

शिमला: स्क्रब टाइफस संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. रोजाना ही आईजीएमसी में मामले आ रहे हैं. वहीं, स्क्रब टाइफस से मंगलवार देर शाम एक व्यक्ति की मौत हो गई है. 57 वर्षीय व्यक्ति बिलासपुर से स्क्रब टाइफस के इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला आया था जहां व्यक्ति का इलाज चल रहा था, लेकिन मंगलवार देर शाम व्यक्ति ने एम तोड़ दिया.

बता दें कि स्क्रब टाइफस के प्रतिदिन 1 से 2 मामले आईजीएमसी पहुंच रहे हैं. स्क्रब टाइफस का आंकड़ा अब 320 पहुंच गया है. ये वे मरीज हैं जिन्होंने आईजीएमसी में अपना उपचार करवाया है और करवा रहे हैं. वहीं, अभी तक आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है.

अब स्क्रब टाइफस के आ रहे मामलों को देखकर चिकित्सक भी अलर्ट हो गए हैं. चिकित्सकों ने लोगों के लिए निर्देश दिए हैं कि जैसे ही किसी लोगों को इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो नजदीकी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाएं. इससे बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी.

ध्यान रहे कि स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. विभागाधिकारियों का कहना है कि मॉनिटरिंग की जा रही है और रोजाना रिपोर्ट निदेशालय और सचिवालय भेजी जाती है.

चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि में न जाएं, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि इन दिनों घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा है.

स्क्रब टाइफस के लक्षण मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकंपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना. इससे बचने के उपाय लोग सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें.

मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है. आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस के मामले आ रहे हैं. वहीं, 1 व्यक्ति की स्क्रब से मौत हुई है. लोगों से हमारी अपील है कि वे सावधानी बरतें. अगर स्क्रब के कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो अस्पताल में आएं और समय से अपना उपचार शुरू करें. अस्पतालों में उपचार के पूरे साधन हैं.

ये भी पढ़ें- कुल्लू के मलाणा में आग का 'तांडव', 12 मकान जलकर राख

Last Updated : Oct 27, 2021, 1:39 PM IST
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