नाहन: सिरमौर जिले की दुर्गम शिलाई विधानसभा क्षेत्र में बीते 21 वर्षों से ग्राम पंचायत झकांडो के काकोली गांव में सड़क सुविधा (Kakoli village of Sirmaur) न मिलने से लोग सरकार ने खासे नाराज हैं. सड़क निर्माण के नाम पर सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन आज भी सैकड़ों ग्रामीण 4 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने पर मजबूर है. ऐसे में ग्रामीणों ने शुक्रवार को लोक निर्माण और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर अपना रोष प्रकट किया.
दरअसल सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन से करीब 150 किलोमीटर दूर शिलाई विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत झकांडो की लगभग आधी आबादी आज भी आदिवासियों की तरह अपनी जिंदगी गुजर बसर करने को मजबूर है. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि सरकार ने बीते 21 वर्षों से सड़क निर्माण के नाम पर यहां लाखों रुपए खर्च किए हैं. लेकिन, अरसा बीत जाने के बाद भी चुना लगाने के अलावा और कोई भी काम जमीन पर नहीं उतर पाया है. जिसके चलते बीमार, दिव्यांग और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक ले जाने के लिए स्थानीय पुरुषों को इकट्ठा करके इंसानी कंधों वाली एम्बुलेंस तैयार करनी पढ़ती है.
उन्होंने कहा कि इस चार किलोमीटर के पैदल सफर के दौरान ईलाज के आभाव में दर्द से बिलखता मरीज अगर जिंदा बच जाए, तो उसके बाद सरकारी एम्बुलेंस में अस्पताल पहुंचाया जाता है. अन्यथा इंसानी कंधो वाली एम्बुलेंस में ही अपने आखरी सफर पर निकल जाता है. बताते चले कि 21 वर्षों से निर्माणाधीन जामली से हरिजन बस्ती काकोली तक एम्बुलेंस रोड को करीब चार वर्ष पहले विधायक प्राथमिकता में भी शामिल किया गया है.
इस सम्पर्क मार्ग के बनने से झकांडो और शंखोली पंचायत (Jhakando Panchayat of Sirmaur District) के करीब 800 ग्रामीणों को एम्बुलेंस सुविधा का लाभ मिल सकता है, जिनमें से अधिकांश लोग अनुसूचित जाती से संबंध रखते है. पूरी तरह से दिव्यांग एक स्थानीय व्यक्ति सही राम ने बताया कि उन्हें बैसाखियों के सहारे चार किलोमीटर का पैदल सफर तय करके सड़क तक आना पड़ता है. दिखाते हुए शीघ्र सड़क निर्माण की मांग की है. उधर स्थानीय निवासी चमेल सिंह आदि ने एक महीने में सड़क का निर्माण कार्य शुरू न करने की सूरत में भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय नेता को पंचायत में न आने तक की धमकी दे दी है.
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