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राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर निर्माण करने वाली कंपनियों ने नदी में डंप किया मलबा, वन विभाग ने वसूला जुर्माना

कंपनी ने वन परिक्षेत्र को माध्यम बना कर हजारों घन मीटर मलबा नदी में डंप किया है. जिस पर वन विभाग ने पचास हजार जुर्माना वसूला है. अप्पर यमुना रिवर बोर्ड के चेयरमैन खुशविंदर वोहरा ने बताया कि मामला गम्भीर है, इसलिए सम्बन्धित कार्यालय को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए जा रहे हैं. वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण थोड़ी परेशानियां हैं. इसलिए 10 जून के बाद टीम गठित करके मौके पर भेजी जाएगी. नियम तोड़ने वाली कम्पनी व विभाग दोनों पर कार्रवाई होना तय है.

कंपनियों ने नदी में डंप किया मलबा
कंपनियों ने नदी में डंप किया मलबा
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Published : Jun 1, 2021, 10:45 PM IST

शिलाईः पखवाड़े से राष्ट्रीय राजमर्ग 707 के चौड़ीकरण का काम कर रही कंपनी ने वन परिक्षेत्र से होते हुए हजारों घन मीटर मलबा नदी में डंप किया है. मामला मीडिया में आने के बाद वन विभाग ने पचास हजार जुर्माना वसूलने की बात कही है. वहीं, एनएचएआई को पत्र लिखकर अवगत करवाया है.

दूसरी तरफ मामले में अप्पर यमुना रिवर बोर्ड ने सख्त रवैया अपनाते हुए देहरादून कार्यालय को जांच के आदेश जारी किये हैं. अप्पर यमुना रिवर बोर्ड कि मानें तो यमुना नदी, गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है और टोंस नदी यमुना की सहायक नदी है जो हिमाचल व उत्तराखंड के पहाड़ों से दर्जनों छोटे, बड़े सहायक नालों से मिलकर बनी है.

पहाड़ों में अधिकांश जगह नदी, नालों में मलबा डंप किया जाता है, जिसकी वजह से बरसात का मौसम आते ही दून क्षेत्रों में बाढ़ के हालात पैदा होने से हजारों लोग प्रभावित होते हैं. नदी में मलबा डालने से दर्जनों जलचर जीवों की प्रजातीयां प्रभावित होती हैं.

अप्पर यमुना रिवर बोर्ड के चेयरमैन खुशविंदर वोहरा ने बताया कि मामला गम्भीर है, इसलिए सम्बन्धित कार्यालय को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए जा रहे हैं. वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण थोड़ी परेशानियां हैं. इसलिए 10 जून के बाद टीम गठित करके मौके पर भेजी जाएगी. नियम तोड़ने वाली कम्पनी व विभाग दोनों पर कार्रवाई होना तय है.

कंस्ट्रक्शन कंपनी से 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला
वन मण्डल अधिकारी श्रेष्ठआंनद ने बताया कि नियमों का हवाला देते हुए दो माह तक मिनस में लग रहे कम्पनी के अस्थाई क्रेशर को रोके रखा, जब हल्का पटवारी व सम्बन्धित अधिकारियों ने निजी भूमि का हवाला देकर अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिए तो वह मामले पर अधिक कार्रवाई करने में असमर्थ रहे. वन परिक्षेत्र के माध्यम से टोंस नदी में डाले गए मलबे से वन विभाग को हुए नुकसान को देखते हुए कंस्ट्रक्शन कंपनी से लगभग 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है. साथ ही एनएचएआई को नोटिस किया गया है. यदि फिर से कम्पनी क्षेत्र में मलवा डंप करती है तो एनएचएआई के खिलाफ नियमानुसार चार्जशीट दर्ज की जाएगी.
सरकारी नियमों के अनुसार ही हो रहे सभी कार्य

धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी मैनेजर नरेंद्र धत्रवाल ने मामले पर बताया कि वह क्षेत्र से बाहर थे इसलिए मलवा कहां डाला जा रहा हैं, इसकी उन्हें सूचना नहीं थी. पता चलते ही सड़क से निकल रहे मलवे को बेतरतीव फैकने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. इसके अतिरिक्त उनके कार्य साफ सुथरे है और सरकारी नियमों के अनुसार ही सभी कार्य हो रहे है.

ये भी पढ़ेंः प्रदेश में ब्लैक फंगस से दो और लोगों की मौत, 4 हुआ मरने वालों का आंकड़ा

शिलाईः पखवाड़े से राष्ट्रीय राजमर्ग 707 के चौड़ीकरण का काम कर रही कंपनी ने वन परिक्षेत्र से होते हुए हजारों घन मीटर मलबा नदी में डंप किया है. मामला मीडिया में आने के बाद वन विभाग ने पचास हजार जुर्माना वसूलने की बात कही है. वहीं, एनएचएआई को पत्र लिखकर अवगत करवाया है.

दूसरी तरफ मामले में अप्पर यमुना रिवर बोर्ड ने सख्त रवैया अपनाते हुए देहरादून कार्यालय को जांच के आदेश जारी किये हैं. अप्पर यमुना रिवर बोर्ड कि मानें तो यमुना नदी, गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है और टोंस नदी यमुना की सहायक नदी है जो हिमाचल व उत्तराखंड के पहाड़ों से दर्जनों छोटे, बड़े सहायक नालों से मिलकर बनी है.

पहाड़ों में अधिकांश जगह नदी, नालों में मलबा डंप किया जाता है, जिसकी वजह से बरसात का मौसम आते ही दून क्षेत्रों में बाढ़ के हालात पैदा होने से हजारों लोग प्रभावित होते हैं. नदी में मलबा डालने से दर्जनों जलचर जीवों की प्रजातीयां प्रभावित होती हैं.

अप्पर यमुना रिवर बोर्ड के चेयरमैन खुशविंदर वोहरा ने बताया कि मामला गम्भीर है, इसलिए सम्बन्धित कार्यालय को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए जा रहे हैं. वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण थोड़ी परेशानियां हैं. इसलिए 10 जून के बाद टीम गठित करके मौके पर भेजी जाएगी. नियम तोड़ने वाली कम्पनी व विभाग दोनों पर कार्रवाई होना तय है.

कंस्ट्रक्शन कंपनी से 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला
वन मण्डल अधिकारी श्रेष्ठआंनद ने बताया कि नियमों का हवाला देते हुए दो माह तक मिनस में लग रहे कम्पनी के अस्थाई क्रेशर को रोके रखा, जब हल्का पटवारी व सम्बन्धित अधिकारियों ने निजी भूमि का हवाला देकर अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिए तो वह मामले पर अधिक कार्रवाई करने में असमर्थ रहे. वन परिक्षेत्र के माध्यम से टोंस नदी में डाले गए मलबे से वन विभाग को हुए नुकसान को देखते हुए कंस्ट्रक्शन कंपनी से लगभग 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है. साथ ही एनएचएआई को नोटिस किया गया है. यदि फिर से कम्पनी क्षेत्र में मलवा डंप करती है तो एनएचएआई के खिलाफ नियमानुसार चार्जशीट दर्ज की जाएगी.
सरकारी नियमों के अनुसार ही हो रहे सभी कार्य

धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी मैनेजर नरेंद्र धत्रवाल ने मामले पर बताया कि वह क्षेत्र से बाहर थे इसलिए मलवा कहां डाला जा रहा हैं, इसकी उन्हें सूचना नहीं थी. पता चलते ही सड़क से निकल रहे मलवे को बेतरतीव फैकने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. इसके अतिरिक्त उनके कार्य साफ सुथरे है और सरकारी नियमों के अनुसार ही सभी कार्य हो रहे है.

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