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हिमाचल के उद्योगों पर लॉकडाउन की मार, अर्श से फर्श पर पहुंचा प्रोडक्शन

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Published : Apr 27, 2020, 12:21 PM IST

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में लॉकडाउन जैसे हालात है. वहीं, हिमाचल के उद्योगों पर भी लॉकडाउन का खासा असर देखने को मिल रहा है. प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर फार्मा इंडस्ट्री पर पड़ा है. कोरोना वायरस के चलते इन उद्योगो में उत्पादन 25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया है.

production work effected in industry of himachal  due to lockdown
हिमाचल में उद्योगों पर लॉकडाउन की मार

नाहन: कोरोना वायरस की मार से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है. हिमाचल में किसान बागवानों के साथ-साथ उद्योगों पर भी इसका खासा असर पड़ है. प्रदेश में कई उद्योगों ने लॉकडाउन के चलते उत्पादन बंद कर दिया है. जिसके चलते लाखों लोग इन दिनों बेरोजगार होकर घर में बैठे हैं. हालांकि, प्रदेश सरकार केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार कुछ उद्योगों को शुरु करने के लिए सशर्त छूट दी है.

हिमाचल में 50 हजार से ज्यादा छोटे बड़े औद्योगिक इकाइयां स्थापित है. 140 बड़े उद्योग ऐसे हैं जिन्हें प्रदेश सरकार की आर्थिक ढांचे का आधार माना जाता है. इसके अलावा लघु एवं मध्यम उद्योग में सवा चार लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. इनमें काम करने वाले ज्यादातर लोग प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से हैं.

उद्योग इकाई निवेश रोजगार प्राप्त
लघु उद्योग5471532718.95373957
मध्यम उद्योग64112412.2359606
बड़े उद्योग1406957.5029588

25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया फार्मा उद्योग

हिमाचल में करीब 450 फार्मा उद्योग कार्य कर रहे हैं. जिसमें 430 ऐसे हैं जो रूरल एरिया में है. सेनिटाइजर व मास्क आदि आवश्यक सामानों के निर्माण करने वाले 175 उद्योग पहले से ही चल रहे हैं. जबकि 200 और उद्योगों को शुरू करने के लिए प्रशासन परमिशन जारी कर रहा है.

हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के चेयरमैन सीएस पुष्करणा सिरमौर जिले के कालाअंब और पांवटा साहिब में ही 80 से ज्यादा उद्योग कार्य कर रहे है. कोरोना वायरस के चलते इन उद्योगो में उत्पादन 25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. स्टॉफ की कमी के कारण भी उद्योगों में पूरी तरह से उत्पादन कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

वरव बायोजिनियेज फार्मा उद्योग के एमडी मनोज गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि उनके यहां सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार ही कार्य किया जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन, लेबर को भोजन सुविधा सहित वेतन दिया जा रहा है. मगर लेबर की कमी से कार्य प्रभावित हो रहा है. उनकी समस्याओं का भी सरकार और प्रशासन कुछ समाधान करें.

सीमेंट फैक्ट्रियों से जुड़े कारोबार भी प्रभावित

प्रदेश में वर्तमान में एसीसी सीमेंट बरमाणा बिलासपुर, अल्ट्राटेक, सीआईआई और अंबुजा समेत आठ सीमेंट प्लांट हैं. रोजाना हजारों टन का सीमेंट और क्लिंकर उत्पादन करने वाली एसीसी कंपनी को काम बंद होने से रोजाना करोड़ों की चपत लगी है. प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से इस रोजगार से जुड़े हैं. हजारों ट्रक ऑपरेटर्स और कई अन्य कार्यों में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं.

बीडीटीएस और अन्य यूनियन को मिलाकर करीब 4500 ट्रक ऑपरेटर्स पर भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन सीमेंट प्लांटों से हर रोज हजारों टन सीमेंट डिस्पैच किया जाता है. लेकिन कोरोना के बाद उद्योगों ने उत्पादन बंद कर दिया. इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए.

ये भी पढ़ें: मोदी को आई हिमाचली दोस्त की याद...पहले पूछा हालचाल फिर लिया कोरोना का फीडबैक

ये भी पढ़ें: कोरोना वॉरियर्स: बिगड़ ना जाए आपके शहर की सेहत, इसलिए सड़कों पर घूमते हैं जांबाज सफाई'जादे'

नाहन: कोरोना वायरस की मार से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है. हिमाचल में किसान बागवानों के साथ-साथ उद्योगों पर भी इसका खासा असर पड़ है. प्रदेश में कई उद्योगों ने लॉकडाउन के चलते उत्पादन बंद कर दिया है. जिसके चलते लाखों लोग इन दिनों बेरोजगार होकर घर में बैठे हैं. हालांकि, प्रदेश सरकार केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार कुछ उद्योगों को शुरु करने के लिए सशर्त छूट दी है.

हिमाचल में 50 हजार से ज्यादा छोटे बड़े औद्योगिक इकाइयां स्थापित है. 140 बड़े उद्योग ऐसे हैं जिन्हें प्रदेश सरकार की आर्थिक ढांचे का आधार माना जाता है. इसके अलावा लघु एवं मध्यम उद्योग में सवा चार लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. इनमें काम करने वाले ज्यादातर लोग प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से हैं.

उद्योग इकाई निवेश रोजगार प्राप्त
लघु उद्योग5471532718.95373957
मध्यम उद्योग64112412.2359606
बड़े उद्योग1406957.5029588

25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया फार्मा उद्योग

हिमाचल में करीब 450 फार्मा उद्योग कार्य कर रहे हैं. जिसमें 430 ऐसे हैं जो रूरल एरिया में है. सेनिटाइजर व मास्क आदि आवश्यक सामानों के निर्माण करने वाले 175 उद्योग पहले से ही चल रहे हैं. जबकि 200 और उद्योगों को शुरू करने के लिए प्रशासन परमिशन जारी कर रहा है.

हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के चेयरमैन सीएस पुष्करणा सिरमौर जिले के कालाअंब और पांवटा साहिब में ही 80 से ज्यादा उद्योग कार्य कर रहे है. कोरोना वायरस के चलते इन उद्योगो में उत्पादन 25 से 30 फीसदी तक सिमट कर रह गया है. स्टॉफ की कमी के कारण भी उद्योगों में पूरी तरह से उत्पादन कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

वरव बायोजिनियेज फार्मा उद्योग के एमडी मनोज गर्ग ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि उनके यहां सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार ही कार्य किया जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन, लेबर को भोजन सुविधा सहित वेतन दिया जा रहा है. मगर लेबर की कमी से कार्य प्रभावित हो रहा है. उनकी समस्याओं का भी सरकार और प्रशासन कुछ समाधान करें.

सीमेंट फैक्ट्रियों से जुड़े कारोबार भी प्रभावित

प्रदेश में वर्तमान में एसीसी सीमेंट बरमाणा बिलासपुर, अल्ट्राटेक, सीआईआई और अंबुजा समेत आठ सीमेंट प्लांट हैं. रोजाना हजारों टन का सीमेंट और क्लिंकर उत्पादन करने वाली एसीसी कंपनी को काम बंद होने से रोजाना करोड़ों की चपत लगी है. प्रदेश में सीमेंट फैक्ट्रियों में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से इस रोजगार से जुड़े हैं. हजारों ट्रक ऑपरेटर्स और कई अन्य कार्यों में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं.

बीडीटीएस और अन्य यूनियन को मिलाकर करीब 4500 ट्रक ऑपरेटर्स पर भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इन सीमेंट प्लांटों से हर रोज हजारों टन सीमेंट डिस्पैच किया जाता है. लेकिन कोरोना के बाद उद्योगों ने उत्पादन बंद कर दिया. इससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए.

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