राजगढ़ः क्षेत्र के बागवानों को प्लम की नई किस्मों की विश्वसनीय खेती करने में अब कोई समस्या नहीं आयेगी. इसके लिए राजगढ़ में प्लम उत्पादक संघ का गठन करने के बाद जागरूकता शिविर का आयोजन यहां के लोक निर्माण विश्राम गृह में किया गया.
शिविर में संघ के फाउंडर सदस्य दीपक सिंघा और नौणी विश्वविद्यालय से बतौर अध्यक्ष फूड एंड साइंस विभाग से सेवानिवृत डॉ. जेएस चंदेल विशेष रूप से उपस्थित हुए. प्लम उत्पादक संघ की राजगढ़ यूनिट के अध्यक्ष सनम चोपड़ा ने बताया कि प्लम ग्रोअर फॉर्म की स्थापना इक्कठे मिलकर प्लम की खेती को उत्पादन, तकनीक और मार्केटिंग के विषय में आगे ले जाने के लिए किया गया है .
आधुनिक तकनीक किस्मों के रूट स्टॉक की जानकारी
शिविर के दौरान दीपक सिंघा ने प्लम की खेती में आधुनिक तकनीक, किस्मों और रूट स्टॉक लाने पर विस्तृत जानकारी प्रदान की. सनम चोपड़ा ने बताया कि प्लम की पुरानी किस्में अधिक लाभ देने वाली नहीं थी, लेकिन नई किस्मों के लाभ की बहुत अधिक संभावनाए है.
पॉलिनेशन जैसी समस्याएं
सनम चोपड़ा ने कहा कि बागवानों के सामने अभी इन किस्मों की उपलब्धता और पॉलिनेशन जैसी समस्याएं आ रही है और संघ की ओर से इन समस्याओं को दूर करने के लिए नौणी विश्वविद्यालय के साथ तालमेल बनाया जा रहा है. जिससे वैज्ञानिक और बागवान एक मंच पर आकर प्लम की खेती को आगे ले जा सके. उन्होंने कहा कि हमारा उदेश्य प्लम की मार्केट को सेब के स्तर पर ले जाना भी है .
अच्छी नर्सरी पर ध्यान दें
इस अवसर पर डॉ. चंदेल ने कहा कि राजगढ़ क्षेत्र प्लम की खेती के लिए एक उपयुक्त स्थान है. उन्होंने प्लम की खेती को लेकर बागवानों और संघ के उत्साह को सराहा और कहा कि प्लम की सफल खेती के लिए सबसे आवश्यक चीज गुणवता वाले पौधे उपलब्ध करवाना है और इसके लिए अच्छी नर्सरी पर ध्यान देना होगा.
किस्मों की होड़ से बचने का आह्वान
इसके अलावा डॉ. चंदेल ने किस्मों की होड़ से बचने का आह्वान भी किया और जलवायु और स्थान के अनुसार ही नई किस्में लगाने की बात भी कही. डॉ. चंदेल ने सेब की तरह प्लम के लिए भी रूट स्टॉक पर काम करने की बात पर भी बल दिया और बागवानों को प्रूनिंग का पूरी जानकारी दी. इस शिविर में 60 से अधिक प्रगतिशील बागवानों ने भाग लिया.
ये भी पढ़ें: सारी प्रक्रिया ऑनलाइन, लेकिन फिर भी नहीं बन पाए दिव्यांगों के UDID कार्ड