नाहन: जिला सिरमौर में लंपी वायरस (Lumpy virus in Sirmaur) रोग की चपेट में आने के बाद अभी तक 91 पशु दम तोड़ चुके हैं, जबकि वर्तमान में भी इस वायरस से जिला सिरमौर में 2400 से ज्यादा पशु ग्रसित हैं. पशुओं में फैल रहे लंपी वायरस रोग को लेकर वीरवार को जिला मुख्यालय नाहन में किसान सभा हिमाचल प्रदेश ने एक ज्ञापन पशुपालन विभाग की उपनिदेशक को सौंपा है.
किसान सभा हिमाचल प्रदेश के संयुक्त सचिव राजेंद्र ठाकुर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि आज जिला सिरमौर के प्रत्येक क्षेत्र के पशुओ में लंपी रोग वायरस फैल चुका है. पशु मालिकों को हजारों नहीं लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने बताया कि पशु मालिकों को समय रहते दवाइयां उपलब्ध नहीं हो रही हैं. वैक्सीनेशन ठंडे बस्ते में है. हिमाचल प्रदेश में लंपी रोग वायरस से लड़ने के लिए केवल मात्र 12 लाख रुपये का बजट उपलब्ध करवाया गया है, जिसमें से जिला सिरमौर को करीब डेढ़ लाख रुपये का बजट मिला है, जो शर्मनाक है.
वहीं, पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने मीडिया (Lumpy Skin Disease) को जानकारी देते हुए बताया कि कालाअंब व पांवटा में लंपी रोग वायरस के मामले ज्यादा पाए जा रहे हैं. जिला सिरमौर में अभी तक लंपी रोग वायरस से 3961 पशु प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 91 पशुओं की मौत हो चुकी हैं. जबकि 1400 पशु इस वायरस से रिकवर हुए हैं.
उन्होंने बताया कि अभी वर्तमान में 2461 पशु लंपी रोग वायरस की चपेट में हैं. उन्होंने कहा कि वायरस की चपेट में आए पशु का दूध अच्छे से उबाल कर प्रयोग में लाएं. उन्होंने बताया कि वैक्सीन उन्ही क्षेत्रों में पशुओं को लगाई जानी है, जहां पर अभी तक यह वायरस नहीं पहुंचा है. उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में यह वायरस फैल चुका है, वहां पर विभाग पशु मालिकों को दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए लगातार कार्य कर रहा है. इसके अतिरिक्त फील्ड स्टाफ को भी इस वायरस से लड़ने के प्रति जहां ट्रेंड किया जा रहा है तो वहीं, पशु मालिकों को जागरूक करने को लेकर भी जगह-जगह जागरूकता शिविर आयोजित हो रहे हैं.
क्या है लंपी वायरस: लंपी वायरस, पशुओं (what is lampy virus) में फैलने वाला एक चर्म रोग (Lampy Skin Desease) है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका संक्रमण बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक, इस वायरस की देश में एंट्री पाकिस्तान के रास्ते हुई है. इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर पर सैकड़ों की संख्या में गांठे उभर आती हैं. साथ ही तेज बुखार, मुंह से पानी टपकना शुरू हो जाता है. इससे पशुओं को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. उसे चारा खाने और पानी पीने में भी परेशानी होती है. यह एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छर, मक्खी और जूं आदि के काटने या सीधा संपर्क में आने से फैलती है. कम प्रतिरोधक क्षमता वाली गायें शीघ्र ही इस वायरस की शिकार हो जाती है. बाद में यह वायरस एक से दूसरे पशुओं में फैल जाता है.
लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: खास (Lumpy Skin Disease Vaccine) तौर से गायों में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं. राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता (lampy Virus in Himachal) बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.
बचाव ही इलाज है-
1. इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें. इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.
2. बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.
3. रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.
4. जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.
5. पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.
6. जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.
7. मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.
8. संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.
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