पांवटा साहिब: ऐतिहासिक गुरुद्वारा पांवटा साहिब (historic Gurudwara Paonta Sahib) में बनी पुरानी बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कार्य आज सोमवार से शुरू हो गया है. बता दें, संत कश्मीर सिंह भूरी साहब वाले बाबाजी सेवा कार्य निभाएंगे, जिनकी पूरी टीम ऐतिहासिक गुरुद्वारा में पहुंच गई है और कार्य शुरू कर दिया है. सात दशक पहले बनी इस बिल्डिंग में वाह गुरुद्वारा मार्केट ,जूता घर, गुरुद्वारा कार्यालय सेवकों के ठहरने के कमरे को तोड़कर ने आधुनिक रूप से तैयार किया जाएगा.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा पांवटा साहिब की इस बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कार्य लगभग 3 साल में पूरा होने का अनुमान है. इस बिल्डिंग को देश के अन्य गुरुद्वारों में सबसे सुंदर बनाया (Gurudwara Paonta Sahib renovation) जाएगा, जिससे गुरुद्वारा के साथ-साथ पांवटा साहिब शहर को भी चार चांद लगेंगे और बाहरी राज्यों से पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ेगी.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा पांवटा साहिब प्रबंधक कमेटी के मैनेजर का कहना है कि गुरद्वारा साहिब के मुख्य प्रवेश द्वार सुंदर बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बिल्डिंग में संगतों की सुविधाओं के लिए 500 के लगभग कार पार्किंग, रिहायश, समेत अन्य सुविधाएं भी श्रद्धालुओं को उपसब्ध करवाई जाएगी ताकि उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और दूरदराज से आने वाली संगतों को यहां बेहतर सुविधाएं मिल सकें
वहीं, पांवटा साहिब के वरिष्ठ नागरिक तरसेम सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा यह बिल्डिंग काफी पुरानी थी जिसका अब जीर्णोद्धार किया जा रहा है और आज से ही इसका कार्य शुरू कर दिया गया (Paonta Gurudwara renovation work started) है. उन्होंने बताया कि इस बिल्डिंग में सरकारी विद्यालय की कक्षाएं भी लगाई जाती थी. साठ के दशक में बनी इस बिल्डिंग को अब तोड़कर नई बिल्डिंग बनाई जा रही है इस बिल्डिंग के बनते ही पांवटा साहिब शहर को चार चांद लगेंगे.
1742 संवत को रखी गई थी पांवटा साहिब की नींव: गुरु गोबिंद सिंह का यमुना नदी के तट पर बसाया नगर पांवटा साहिब इतिहास की कई महान घटनाओं को संजोए हुए है. एक तरफ जहां सिख धर्म के इतिहास में विशेष स्थान रखता है. तो दूसरी तरफ सिखों के गौरवमयी इतिहास की यादों को ताजा करता है. इस धरती पर पांवटा साहिब ही एक ऐसा नगर है. जिसका नामकरण स्वयं गुरु गोबिंद सिंह ने किया है. इतिहास में लिखा है कि गुरु गोबिंद सिंह 17 वैशाख संवत 1742 को 1685 ई. को नाहन पहुंचे तथा संक्राति 1742 संवत को पांवटा साहिब की नींव रखी, गुरु गोबिंद सिंह साढ़े 4 साल तक पांवटा साहिब में रहे.