नाहन: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में लहसुन की व्यवसायिक (Garlic Production in Sirmaur) खेती होती है. उच्च गुणवत्ता के लहसुन की वजह से दक्षिण भारत सहित देश की विभिन्न मंडियों तक इसकी बड़ी डिमांड रहती है, लेकिन इस बार लहसुन दामों में गिरावट आई है. दरअसल जिले में लगभग 4 हजार हेक्टेयर भूमि पर लहसुन उगाया जाता है. यहां का लहसुन विशेष रूप से तमिलनाडु, चेन्नई, मुम्बई व दिल्ली इत्यादि भेजा जाता है. सिरमौर के लहसुन की यहां खास मांग रहती है. इस वर्ष भी लहसुन स्थानीय मंडियों में आना शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक बाजारों में इसके अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं. इस समय ए-ग्रेड लहसुन भी 70 से 75 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. जबकि छोटे आकार का लहसुन 35 से 50 के बीच में बिक रहा है.
श्री रेणुका जी की ददाहू सब्जी मंडी (Sabzi Mandi Dadahu) में भी इन दिनों किसान अपने माल को लेकर पहुंच रहे हैं, जहां फसल की छंटाई और ग्रेडिंग की जा रही है. मगर लहसुन का साइज व गुणवत्ता की कमी के चलते दाम पिछले वर्ष की तुलना में कम मिल रहे हैं. आढ़त से जुड़े लोगों व किसानों ने बताया कि इस बार लहसुन का आकार छोटा है और दूसरा गुणवता में भी कमी आई है. जबकि फसल ठीक हुई है, लेकिन इस कारण से दाम कम मिल रहे हैं. इस वर्ष अचानक से मौसम काफी गर्म हो गया था, जिसके चलते लहसुन का आकार भी नहीं बन पाया है. वहीं, कृषि विभाग भी मान रहा है कि मौसम में अचानक तापमान बढ़ने से लहसुन अंडर साइज हुआ है, जिसके चलते इसकी गुणवत्ता में भी कमी आई है.
ददाहू सब्जी मंडी के आढ़ती विक्रम सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र का लहसुन अधिकतर दक्षिण भारत के राज्यों को भेजा जाता है, लेकिन इस बार पिछले वर्ष की तुलना में दाम कुछ कम मिल रहे हैं. वहीं, एक अन्य आढ़ती गीता राम के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में दाम कम हैं. ए-ग्रेड का माल भी 70 से 80 के बीच बिक रहा है, जोकि पिछले वर्ष 100 रूपए से ऊपर रहा था.
वहीं, बातचीत में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र से ददाहू सब्जी मंडी में अपनी लहसुन की फसल बेचने के लिए आए किसान भगत राम व अमर सिंह तोमर ने बताया कि इस बार फसल तो बहुत हुई है, लेकिन साइज छोटा रह गया है, जिसके चलते उन्हें फसल के कम दाम मिल रहे हैं. किसानों ने बताया कि इस वर्ष छोटा साइज का लहसुन 35 से 50 के बीच, जबकि ए-ग्रेड का 70 से 75 रूपए बिक रहा है. जबकि पिछले वर्ष उन्हें लहसुन के बड़े अच्छे दाम मिले थे.
वहीं, सिरमौर जिले के कृषि उपनिदेशक डॉ. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि लहसुन की फसल के दौरान अचानक तापमान में वृद्धि हुई. लिहाजा इसके चलते यह फसल अंडर साइज हुई है. उन्होंने बताया कि (Garlic Production in Sirmaur) जिले में इस वर्ष विभाग को 60 हजार मीट्रिक टन की उम्मीद थी, लेकिन अभी सही आंकड़े आना बाकी है. इतना जरूर है कि इस बार उत्पादन में कमी आई है. उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि भविष्य में बीज हमेशा सर्टिफाइड विक्रेता से ही लें. कुल मिलाकर इस वर्ष जिले में लहसुन की फसल के दाम कम मिलने से किसानों में मायूसी है और उन्हें आशा है कि सरकार उनकी मदद को आगे आएगी.
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