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ये कोई प्राइमरी स्कूल नहीं है, ये डिग्री कॉलेज है...CM साहब! '4 साल हो गए कुछ तो करो'

सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम क्षेत्र रोनहाट के सरकारी डिग्री कॉलेज की हालत देखकर आप भी दंग रहे जाएंगे. चार सालों से सरकार का ये कॉलेज सिर्फ एक ही क्लास रूम में चल रहा है. कॉलेज में करीब 200 विद्यार्थियों में 120 से अधिक गरीब घरों की छात्राएं पढ़ती हैं. वोटों की राजनीति शिक्षा को कैसे प्रभावित करती है, दुर्गम इलाके का रोनहाट डिग्री कॉलेज इसका जीवंत उदाहरण है.

Ronhat Degree College, रोनहाट डिग्री कॉलेज
Ronhat Degree College
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Published : Sep 21, 2021, 6:01 PM IST

रोनहाट (सिरमौर): ये तस्वीरें सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम क्षेत्र रोनहाट के सरकारी डिग्री कॉलेज की है. जहां बीते चार सालों से सरकार का ये कॉलेज सिर्फ एक ही क्लास रूम में चल रहा है. कॉलेज में करीब 200 विद्यार्थियों में 120 से अधिक गरीब घरों की छात्राएं पढ़ती हैं. जो सरकार के बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का असल चेहरा और गुणात्मक शिक्षा के सरकारी दावों की हकीकत को ब्यान कर रही है.

वोटों की राजनीति शिक्षा को कैसे प्रभावित करती है, दुर्गम इलाके का रोनहाट डिग्री कॉलेज इसका जीवंत उदाहरण है. न सिर्फ रोनहाट कॉलेज बल्कि भरली डिग्री कॉलेज और कफोटा डिग्री कॉलेज भी राजनीति का शिकार हुए हैं. मगर इन तीनों कॉलेजों में रोनहाट कॉलेज के हालात सबसे बदतर हैं. यहां तीन कमरों के एक भवन में कॉलेज चलाया जा रहा है.

एक कमरे में प्रधानाचार्य का कार्यालय दूसरे कमरे में कॉलेज के स्टाफ का कार्यालय और तीसरे और एकमात्र कमरे को क्लास रूम बनाया गया है. प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के सैकड़ों बच्चे इसी क्लास रूम में कक्षाएं लगाते हैं. खुद ही अंदाजा लगाइए, यहां बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाते हैं और प्राचार्य कैसे पढ़ा पाते होंगे. मजबूरन बच्चे बाहर बरामदे और इधर उधर बैठकर समय बिताते हैं.

Ronhat Degree College
रोनहाट डिग्री कॉलेज.

सर्दी गर्मी या बरसात मौसम कोई भी हो यहां पिछले 4 सालों से कक्षाएं इसी क्रम में चल रही हैं. कॉलेज के विद्यार्थियों में 80 फीसदी संख्या लड़कियों की है. दूसरी हैरानी की बात ही है कॉलेज के लगभग 200 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो प्राचार्य ही सेवारत हैं इसके अलावा कॉलेज स्टाफ के दर्जनों पद भी बीते चार वर्षों से खाली पड़े हुए हैं.

मात्र नाम के डिग्री कॉलेज में ना तो अपना भवन है, ना पुस्तकालय है, न कॉलेज में प्रधानाचार्य है, न सभी विषयों के प्राचार्य हैं, न ऑफिशियल स्टाफ है. कॉलेज में यदि कुछ है तो गुणात्मक शिक्षा ग्रहण करने का सपना पाले गरीब परिवारों के बच्चे हैं और उनके सपने, जो सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं.

इन विद्यार्थियों की विडंबना यह है कि कॉलेज के भवन को स्थानीय लोग 4 साल पहले जमीन प्रदान कर चुके हैं. बजट का कुछ भाग भी विभाग को जारी कर दिया गया है, लेकिन बावजूद इसके कॉलेज भवन का काम शुरू नहीं हो पाया है.

रोनहाट में तत्कालीन मुख्यमंत्री के समक्ष कॉलेज खोलने की मांग उठाने वाले पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष दिलीप चौहान दुखी मन से कहते हैं कि कॉलेज भवन निर्माण की सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद भवन का कार्य शुरू नहीं किया जा रहा है. दिलीप चौहान कहते हैं बच्चों के भविष्य के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए. भवन का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना चाहिए.

Ronhat Degree College
रोनहाट डिग्री कॉलेज.

दरअसल वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी वर्ष में रोनहाट सहित संगड़ाह, भरली और कफोटा में कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. इनमें संगड़ाह कॉलेज का भवन बनकर तैयार हो गया है, और उसमें कक्षाएं लगनी भी शुरू हो गई है, जबकि कफोटा और भरली कॉलेजों के भवन फिलहाल अधर में लटके हुए हैं. सबसे अधिक परेशानी रोनहाट कॉलेज के बच्चों को उठानी पड़ रही है.

उम्मीद जताई जा रही है की जयराम सरकार देश के भविष्य को वोट बैंक की राजनीति का शिकार होने से जरूर बचाएगी और जल्द कॉलेज में स्टाफ की उपलब्धता और भवन के निर्माण का कार्य शुरू करवाएगी.

ये भी पढ़ें- मंडी के एक बोर्डिंग स्कूल में 40 बच्चे कोरोना पॉजिटिव, सभी को किया गया आइसोलेट

रोनहाट (सिरमौर): ये तस्वीरें सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम क्षेत्र रोनहाट के सरकारी डिग्री कॉलेज की है. जहां बीते चार सालों से सरकार का ये कॉलेज सिर्फ एक ही क्लास रूम में चल रहा है. कॉलेज में करीब 200 विद्यार्थियों में 120 से अधिक गरीब घरों की छात्राएं पढ़ती हैं. जो सरकार के बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का असल चेहरा और गुणात्मक शिक्षा के सरकारी दावों की हकीकत को ब्यान कर रही है.

वोटों की राजनीति शिक्षा को कैसे प्रभावित करती है, दुर्गम इलाके का रोनहाट डिग्री कॉलेज इसका जीवंत उदाहरण है. न सिर्फ रोनहाट कॉलेज बल्कि भरली डिग्री कॉलेज और कफोटा डिग्री कॉलेज भी राजनीति का शिकार हुए हैं. मगर इन तीनों कॉलेजों में रोनहाट कॉलेज के हालात सबसे बदतर हैं. यहां तीन कमरों के एक भवन में कॉलेज चलाया जा रहा है.

एक कमरे में प्रधानाचार्य का कार्यालय दूसरे कमरे में कॉलेज के स्टाफ का कार्यालय और तीसरे और एकमात्र कमरे को क्लास रूम बनाया गया है. प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के सैकड़ों बच्चे इसी क्लास रूम में कक्षाएं लगाते हैं. खुद ही अंदाजा लगाइए, यहां बच्चे कैसे पढ़ाई कर पाते हैं और प्राचार्य कैसे पढ़ा पाते होंगे. मजबूरन बच्चे बाहर बरामदे और इधर उधर बैठकर समय बिताते हैं.

Ronhat Degree College
रोनहाट डिग्री कॉलेज.

सर्दी गर्मी या बरसात मौसम कोई भी हो यहां पिछले 4 सालों से कक्षाएं इसी क्रम में चल रही हैं. कॉलेज के विद्यार्थियों में 80 फीसदी संख्या लड़कियों की है. दूसरी हैरानी की बात ही है कॉलेज के लगभग 200 बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो प्राचार्य ही सेवारत हैं इसके अलावा कॉलेज स्टाफ के दर्जनों पद भी बीते चार वर्षों से खाली पड़े हुए हैं.

मात्र नाम के डिग्री कॉलेज में ना तो अपना भवन है, ना पुस्तकालय है, न कॉलेज में प्रधानाचार्य है, न सभी विषयों के प्राचार्य हैं, न ऑफिशियल स्टाफ है. कॉलेज में यदि कुछ है तो गुणात्मक शिक्षा ग्रहण करने का सपना पाले गरीब परिवारों के बच्चे हैं और उनके सपने, जो सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं.

इन विद्यार्थियों की विडंबना यह है कि कॉलेज के भवन को स्थानीय लोग 4 साल पहले जमीन प्रदान कर चुके हैं. बजट का कुछ भाग भी विभाग को जारी कर दिया गया है, लेकिन बावजूद इसके कॉलेज भवन का काम शुरू नहीं हो पाया है.

रोनहाट में तत्कालीन मुख्यमंत्री के समक्ष कॉलेज खोलने की मांग उठाने वाले पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष दिलीप चौहान दुखी मन से कहते हैं कि कॉलेज भवन निर्माण की सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद भवन का कार्य शुरू नहीं किया जा रहा है. दिलीप चौहान कहते हैं बच्चों के भविष्य के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए. भवन का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना चाहिए.

Ronhat Degree College
रोनहाट डिग्री कॉलेज.

दरअसल वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी वर्ष में रोनहाट सहित संगड़ाह, भरली और कफोटा में कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. इनमें संगड़ाह कॉलेज का भवन बनकर तैयार हो गया है, और उसमें कक्षाएं लगनी भी शुरू हो गई है, जबकि कफोटा और भरली कॉलेजों के भवन फिलहाल अधर में लटके हुए हैं. सबसे अधिक परेशानी रोनहाट कॉलेज के बच्चों को उठानी पड़ रही है.

उम्मीद जताई जा रही है की जयराम सरकार देश के भविष्य को वोट बैंक की राजनीति का शिकार होने से जरूर बचाएगी और जल्द कॉलेज में स्टाफ की उपलब्धता और भवन के निर्माण का कार्य शुरू करवाएगी.

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