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School Children Activities: सिरमौर में इस स्कूल के बच्चों ने तैयार की ऐसी तकनीक, हफ्ते भर बाद भी तरोताजा रहेंगे सब्जी-फल

नौरंगाबाद स्कूल के बच्चों ने स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री के मार्गदर्शन में मिट्टी, शैवाल, भूसे व साल के वृक्ष की पत्तियों को मिलाकर देसी नेचुरल प्रिजर्वेटर तैयार (GOVT High School Naurangabad) किए हैं. मिट्टी के इन पात्रों में 7-7 दिनों के लिए अधिक जल वाली सब्जियों व फलों को बंद करके रखा गया. सप्ताह भर बाद जब इन्हें खोला गया, तो सब्जियां पूरी तरह से तरोताजा निकली और इनके स्वाद में भी कोई अंतर नहीं था.

GOVT High School Naurangabad
राजकीय उच्च विद्यालय नौरंगाबाद
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Published : Jun 8, 2022, 8:50 PM IST

नाहन: कहते हैं कि विज्ञान एक वरदान है और इसको यदि सकारात्मक रूप से प्रयोग किया जाए, तो यह लाभप्रद भी साबित हो सकता है. जी हां ऐसा ही कुछ सिरमौर जिले के माजरा शिक्षा खंड के अंतर्गत आने वाले राजकीय उच्च विद्यालय नौरंगाबाद के स्कूली (GOVT High School Naurangabad) बच्चों ने कर दिखाया है. दरअसल नौरंगाबाद स्कूल के बच्चों ने स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री के मार्गदर्शन में मिट्टी, शैवाल, भूसे व साल के वृक्ष की पत्तियों को मिलाकर देसी नेचुरल प्रिजर्वेटर तैयार किए हैं.

मिट्टी के इन पात्रों में 7-7 दिनों के लिए अधिक (GOVT High School Naurangabad) जल वाली सब्जियों व फलों को बंद करके रखा गया. सप्ताह भर बाद जब इन्हें खोला गया, तो सब्जियां पूरी तरह से तरोताजा निकली और इनके स्वाद में भी कोई अंतर नहीं था. यहां यह भी बता दें कि यह स्कूल निर्धन गुज्जर बाहुल्य क्षेत्र में है. स्कूली बच्चे धीरे-धीरे सभी सब्जियों व फलों पर प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में यदि यह प्रयोग कामयाब होता है, तो स्थानीय स्तर पर भी लोग इसे कोल्ड स्टोर या प्रिजर्वेटर के तौर पर प्रयोग में ला सकेंगे.

वीडियो.

स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि स्कूल के (children activities of Naurangabad School) इको क्लब के तहत वह अनेक ऐसी गतिविधियां करते हैं. इस बार उन्होंने मिटटी के गुणों पर आधारित यह नेचुरल प्रिजर्वेटर बनाए हैं और अभी तक इनके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं. अभी इस दिशा में और अधिक कार्य किया जाना है. उन्होंने बताया कि मिट्टी के गुणों के अनुसार इन्हें तैयार किया गया है.

उन्होंने बताया कि सबसे पहले इन पात्रों को ऐसे फलों व सब्जियों को प्रयोग के लिए चुना गया, जिनमें पानी की अधिकता होती है. जैस हरे टमाटर, भिंडी, अंगूर आदि. इन्हें पांच से सात दिनों तक इन पात्रों में रखा गया और खोलने पर ये सब ठीक अवस्था में पाए गए. अब इस दिशा में और प्रयोग किए जाएंगे. कुल मिलाकर नौरंगाबाद स्कूल का यह प्रयोग खासकर निर्धन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. अलबत्ता अभी स्कूली बच्चे अधिक जल वाली सब्जियों व फलों पर इसका प्रयोग कर रहे हैं, स्कूल प्रबंधन को इसके बेहतर परिणाम की उम्मीद भी है.

ये भी पढ़ें: Xylem Water Filter: शिमला में पर्यावरण दिवस पर वंदना फिर पेश करेगी जाइलम फिल्टर, बेहद कम खर्च में ऐसे पी सकते हैं शुद्ध पानी

नाहन: कहते हैं कि विज्ञान एक वरदान है और इसको यदि सकारात्मक रूप से प्रयोग किया जाए, तो यह लाभप्रद भी साबित हो सकता है. जी हां ऐसा ही कुछ सिरमौर जिले के माजरा शिक्षा खंड के अंतर्गत आने वाले राजकीय उच्च विद्यालय नौरंगाबाद के स्कूली (GOVT High School Naurangabad) बच्चों ने कर दिखाया है. दरअसल नौरंगाबाद स्कूल के बच्चों ने स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री के मार्गदर्शन में मिट्टी, शैवाल, भूसे व साल के वृक्ष की पत्तियों को मिलाकर देसी नेचुरल प्रिजर्वेटर तैयार किए हैं.

मिट्टी के इन पात्रों में 7-7 दिनों के लिए अधिक (GOVT High School Naurangabad) जल वाली सब्जियों व फलों को बंद करके रखा गया. सप्ताह भर बाद जब इन्हें खोला गया, तो सब्जियां पूरी तरह से तरोताजा निकली और इनके स्वाद में भी कोई अंतर नहीं था. यहां यह भी बता दें कि यह स्कूल निर्धन गुज्जर बाहुल्य क्षेत्र में है. स्कूली बच्चे धीरे-धीरे सभी सब्जियों व फलों पर प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में यदि यह प्रयोग कामयाब होता है, तो स्थानीय स्तर पर भी लोग इसे कोल्ड स्टोर या प्रिजर्वेटर के तौर पर प्रयोग में ला सकेंगे.

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स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि स्कूल के (children activities of Naurangabad School) इको क्लब के तहत वह अनेक ऐसी गतिविधियां करते हैं. इस बार उन्होंने मिटटी के गुणों पर आधारित यह नेचुरल प्रिजर्वेटर बनाए हैं और अभी तक इनके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं. अभी इस दिशा में और अधिक कार्य किया जाना है. उन्होंने बताया कि मिट्टी के गुणों के अनुसार इन्हें तैयार किया गया है.

उन्होंने बताया कि सबसे पहले इन पात्रों को ऐसे फलों व सब्जियों को प्रयोग के लिए चुना गया, जिनमें पानी की अधिकता होती है. जैस हरे टमाटर, भिंडी, अंगूर आदि. इन्हें पांच से सात दिनों तक इन पात्रों में रखा गया और खोलने पर ये सब ठीक अवस्था में पाए गए. अब इस दिशा में और प्रयोग किए जाएंगे. कुल मिलाकर नौरंगाबाद स्कूल का यह प्रयोग खासकर निर्धन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. अलबत्ता अभी स्कूली बच्चे अधिक जल वाली सब्जियों व फलों पर इसका प्रयोग कर रहे हैं, स्कूल प्रबंधन को इसके बेहतर परिणाम की उम्मीद भी है.

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