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सिरमौर बनेगा प्रदेश का पहला अनुकूल जलवायु परिवर्तन वाला जिला, खर्च की जा रही करोड़ों की राशि

सिरमौर जिला के तीन विकास खंड पच्छाद, संगड़ाह व पांवटा साहिब में राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत 20 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जा रही है.

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Published : Jun 26, 2019, 5:24 PM IST

खेत.

नाहन: सिरमौर जिला के तीन विकास खंड पच्छाद, संगड़ाह व पांवटा साहिब में राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत 20 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जा रही है. इस परियोजना के निर्धारित लक्ष्य को दिसंबर 2020 तक प्राप्त कर लिया जाएगा.

दरअसल राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत किसानों को जलवायु के आधार पर फसलें उगाने व फसलों की आधुनिक तकनीक व वैज्ञानिक ढंग से फसलों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी जा रही है. इसके अलावा किसानों को जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए पारंपरिक फसलों को अपनाने बारे भी जागरूक किया जा रहा है.

जानकारी देते डीसी सिरमौर ललित जैन

डीसी सिरमौर ललित जैन ने बताया कि प्रदेश में सिरमौर ही एक ऐसा जिला है, जहां राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु का प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. ये एक यूनिक प्रोजेक्ट है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में 20 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा रही है, ताकि जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोका जा सके.

डीसी ने बताया कि उक्त प्रोजेक्ट के तहत जिला के तीन ब्लाकों में छोटे-छोटे टैंक बनाए जा रहे हैं, ताकि उनमें जल भंडारण किया जा सके. साथ ही नई-नई फसलों के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जीरो बजट खेती के लिए राज्यपाल द्वारा जो दिशा निर्देश दिए गए थे, उसी के तहत 100 मॉडल फार्म्स तैयार किए जाएंगे.

बता दें कि राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत जिला के तीन विकास खंडों के चयनित क्षेत्रों में लघु सिंचाई योजनाएं, चल रही सिंचाई योजनाओं के संर्वधन और तालाबों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है. इस परियोजना से तीन विकास खंडों के लगभग 18 हजार किसान लाभान्वित होंगे.

नाहन: सिरमौर जिला के तीन विकास खंड पच्छाद, संगड़ाह व पांवटा साहिब में राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत 20 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जा रही है. इस परियोजना के निर्धारित लक्ष्य को दिसंबर 2020 तक प्राप्त कर लिया जाएगा.

दरअसल राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत किसानों को जलवायु के आधार पर फसलें उगाने व फसलों की आधुनिक तकनीक व वैज्ञानिक ढंग से फसलों के उत्पादन के बारे में जानकारी दी जा रही है. इसके अलावा किसानों को जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए पारंपरिक फसलों को अपनाने बारे भी जागरूक किया जा रहा है.

जानकारी देते डीसी सिरमौर ललित जैन

डीसी सिरमौर ललित जैन ने बताया कि प्रदेश में सिरमौर ही एक ऐसा जिला है, जहां राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु का प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. ये एक यूनिक प्रोजेक्ट है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में 20 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा रही है, ताकि जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोका जा सके.

डीसी ने बताया कि उक्त प्रोजेक्ट के तहत जिला के तीन ब्लाकों में छोटे-छोटे टैंक बनाए जा रहे हैं, ताकि उनमें जल भंडारण किया जा सके. साथ ही नई-नई फसलों के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. जीरो बजट खेती के लिए राज्यपाल द्वारा जो दिशा निर्देश दिए गए थे, उसी के तहत 100 मॉडल फार्म्स तैयार किए जाएंगे.

बता दें कि राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत जिला के तीन विकास खंडों के चयनित क्षेत्रों में लघु सिंचाई योजनाएं, चल रही सिंचाई योजनाओं के संर्वधन और तालाबों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है. इस परियोजना से तीन विकास खंडों के लगभग 18 हजार किसान लाभान्वित होंगे.

Intro: -जलवायु परिवर्तन परियोजना के तहत सिरमौर में 90 प्रतिश कार्य पूरा
-किसानों को आधुनिक तकनीक के साथ-साथ नई-नई फसलों को लेकर किया जा रहा जागरूक 
नाहन। सिरमौर जिला के तीन विकास खंडों पच्छाद, संगड़ाह व पांवटा साहिब में राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु परियोजना के तहत 20 करोड़ रूपए की राशि व्यय की जा रही है। इस परियोजना के तहत 90 प्रतिशत कार्य पूरे कर लिए गए है। इस परियेजना के निर्धारित लक्ष्य को दिसंबर 2020 तक प्राप्त कर लिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में केवल सिरमौर ही एक ऐसा जिला है, जहां पर यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।


Body:दरअसल इस परियोजना के तहत किसानों को जलवायु के आधार पर फसलें उगाने बारे भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही उन्हें फसलों की आधुनिक तकनीक व वैज्ञानिक ढंग से फसलों के उत्पादन बारे जानकारी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त किसानों को जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए पारंपरिक फसलों को अपनाने बारे भी जागरूक किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत जिला के तीन विकास खंडों के चयनित क्षेत्रों में लघु सिंचाई योजनाएं, चल रही सिंचाई योजनाओं के संर्वधन और तालाबों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है। इस परियोजना से इन तीनों विकास खंडों के लगभग 18 हजार किसान लाभान्वित होंगे। 
डीसी सिरमौर ललित जैन ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में सिरमौर ही एक ऐसा जिला है, जहां राष्ट्रीय अनुकूलन जलवायु का यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। यह एक यूनिक प्रोजेक्ट है। उन्होंने बताया कि 20 करोड़ रूपए की राशि जिला के अंदर खर्च की जा रही है, ताकि किस प्रकार से जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोका जा सके। डीसी ने बताया कि उक्त प्रोजेक्ट के तहत जिला के तीन ब्लाकों में छोटे-छोटे टैंक बनाए जा रहे हैं, ताकि उनमें जल भंडारण किया जा सके। साथ ही नई-नई फसलों के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात है, जीरो बजट खेती के लिए, जिसके लिए राज्यपाल द्वारा दिशा निर्देश दिए गए थे, इसी प्रोजेक्ट के तहत 100 माॅडल फार्मस तैयार किए जाएंगे।
बाइट: ललित जैन, डीसी सिरमौर 


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