मंडी: हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति, मेले, उत्सव और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है. यह सारे त्यौहार लोगों को अपनों से जोड़े रखने का काम करते हैं. वहीं, हिमाचली जनता के लिए यह एक रोजगार का अवसर भी उपलब्ध करवाते हैं.
भारतीय देसी महीनों के बदलने और नए महीने के शुरू होने के पहले दिन को सक्रांति कहा जाता है. लगभग हर सक्रांति पर हिमाचल प्रदेश में कोई ना कोई उत्सव मनाया जाता है, जो हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी संस्कृति को दर्शाता है.
अश्विन महीने की सक्रांति को हिमाचल प्रदेश में शायर का त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है. सायर का त्यौहार पास आते ही शहर के सेरी मंच पर अखरोट की दुकानें सजना शुरू हो जाती हैं.
कोरोना संक्रमण महामारी के चलते अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर भागों से लोग अखरोट की फसल बाजारों तक नहीं पहुंचा रहे हैं. इस बार शायर का त्यौहार 17 सितंबर को मनाया जा रहा है. सायर पूजन के लिए धान, मक्की, ककड़ी, गलगल, पेठू, अखरोट, आदि सामान बाजार में बिकना शुरू हो गया है.
अखरोट बेच रहे दुकानदार का कहना कि वह हर वर्ष शायर के तोहार से पहले सेरी मंच पर अपनी दुकानें लगाते हैं. उन्होंने कहा कि लोग मोलभाव कर अखरोट खरीद रहे हैं. दुकानदार ने कहा कि इस वर्ष 200 से लेकर 400 तक प्रति सैकड़ा अखरोट बिक रहे हैं.
इस दौरान मंडी स्थानीय निवासी सरिता हंडा ने बताया कि सायर के त्यौहार में हिमाचल प्रदेश में लोग इष्ट देवता की पूजा अर्चना के बाद शायर पूजन करते हैं. उन्होंने कहा कि इस दिन नवविवाहिता एक काला माह काटकर मायके से ससुराल लौटती हैं और अपने सास-ससुर तथा बड़ों का आशीर्वाद लेती है. उन्होंने कहा कि शायर के त्यौहार में हर घर में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं.
आपको बता दें कि वर्षा ऋतु की खत्म व बसंत ऋतु के शुरू होने के उपलक्ष में शायर का त्यौहार मनाया जाता है, शायर के त्यौहार में फसलों के कुछ अंश और मौसमी फलों का पूजन किया जाता है. इस खुशी के मौके पर दिनभर मेहमान नवाजी का दौर चलता है और मंडी जनपद में यह परंपरा आज भी इसी तरह कायम है. वहीं, इसके बाद खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो जाती है.