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Mandi Shivratri Mela 2022: पड्डल मैदान में इस बार 31 देवी देवताओं के बदलेंगे स्थान, इस वजह से लिया गया फैसला

मंडी के वल्लभ कॉलेज में निर्माण कार्य के चलते शिवरात्रि महोत्सव (Mandi Shivratri Mela 2022) में इस बार 31 देवी-देवताओं के स्थान बदले जाएंगे. भवन निर्माण के चलते सर्व देवता समिति ने रविवार को यह फैसला लिया. इसके साथ ही समिति ने देवी-देवताओं को स्थाई स्थान मुहैया करवाने को लेकर सरकार से मांग भी उठाई है.

Paddal Maidan Mandi
पड्डल मैदान मंडी
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Published : Feb 13, 2022, 8:57 PM IST

मंडी: वल्लभ कॉलेज मंडी में कॉलेज केंपस के निर्माण कार्य के चलते शिवरात्रि महोत्सव में पधारने वाले 31 पंजीकृत देवी देवताओं के स्थान में बदलाव किया जाएगा. इन देवताओं को क्लस्टर यूनिवर्सिटी (Cluster University Mandi) के कैंपस के बाहर स्थान दिया जाएगा. यह फैसला रविवार को शहर के भ्योली में सर्व देवता समिति की बैठक में लिया गया. बैठक में मंडी जनपद के देवी-देवताओं के 250 के करीब कारदारों ने भाग लिया.

बैठक में जहां सर्व देवता समिति के द्वारा शिवरात्रि महोत्सव (Mandi Shivratri Mela 2022) को लेकर आगामी रणनीति तैयार की गई, वहीं शिवरात्रि महोत्सव के दौरान पेश होने वाली समस्याओं के निदान पर भी चर्चा की गई. बैठक के उपरांत सर्व देवता समिति (Sarva Devta Samiti mandi) के पदाधिकारियों व पड्डल ग्राउंड (Paddal ground mandi) में देवताओं के बैठने के स्थान भी चिन्हित किए. इस मौके पर सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मंडी जनपद के सभी देवता पड्डल मैदान में विराजमान होते हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से देवी-देवताओं के बैठने के स्थान बदले जा रहे हैं. जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार से देवी-देवताओं को स्थाई स्थान मुहैया करवाने की अपील की गई है. उन्होंने कहा कि भवन निर्माण के चलते जिन देवी देवताओं का स्थान प्रभावित हुआ है, उनके लिए पड्डल मैदान के साथ ही व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही अपंजीकृत देवी देवताओं और बजंत्री वाद्य यंत्र प्रतियोगिता (Musical instrument competition Mandi) की व्यवस्था भी क्लस्टर यूनिवर्सिटी के कैंपस के बाहर ही की जाएगी.

वहीं, सर्व देवता समिति ने जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार के द्वारा उनकी मांगों पर गौर न किए जाने की भी चिंता जाहिर की. शिवपाल शर्मा ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर कई बार जिला प्रशासन अधिकारियों व मुख्यमंत्री को भी अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक उन मांगों पर कोई गौर नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि जो देवी देवता सदियों से सरकारी भूमि पर बैठे हैं, वह जगह देवी देवताओं को स्वीकृत की जाए. इसके अलावा भवन निर्माण के लिए जो धनराशि देवी देवताओं को पंचायत के माध्यम से दी जाती है, उसको सीधे तौर पर देवी देवताओं की पंजीकृत समितियों को दिया जाए.
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मंडी: वल्लभ कॉलेज मंडी में कॉलेज केंपस के निर्माण कार्य के चलते शिवरात्रि महोत्सव में पधारने वाले 31 पंजीकृत देवी देवताओं के स्थान में बदलाव किया जाएगा. इन देवताओं को क्लस्टर यूनिवर्सिटी (Cluster University Mandi) के कैंपस के बाहर स्थान दिया जाएगा. यह फैसला रविवार को शहर के भ्योली में सर्व देवता समिति की बैठक में लिया गया. बैठक में मंडी जनपद के देवी-देवताओं के 250 के करीब कारदारों ने भाग लिया.

बैठक में जहां सर्व देवता समिति के द्वारा शिवरात्रि महोत्सव (Mandi Shivratri Mela 2022) को लेकर आगामी रणनीति तैयार की गई, वहीं शिवरात्रि महोत्सव के दौरान पेश होने वाली समस्याओं के निदान पर भी चर्चा की गई. बैठक के उपरांत सर्व देवता समिति (Sarva Devta Samiti mandi) के पदाधिकारियों व पड्डल ग्राउंड (Paddal ground mandi) में देवताओं के बैठने के स्थान भी चिन्हित किए. इस मौके पर सर्व देवता समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मंडी जनपद के सभी देवता पड्डल मैदान में विराजमान होते हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से देवी-देवताओं के बैठने के स्थान बदले जा रहे हैं. जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार से देवी-देवताओं को स्थाई स्थान मुहैया करवाने की अपील की गई है. उन्होंने कहा कि भवन निर्माण के चलते जिन देवी देवताओं का स्थान प्रभावित हुआ है, उनके लिए पड्डल मैदान के साथ ही व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही अपंजीकृत देवी देवताओं और बजंत्री वाद्य यंत्र प्रतियोगिता (Musical instrument competition Mandi) की व्यवस्था भी क्लस्टर यूनिवर्सिटी के कैंपस के बाहर ही की जाएगी.

वहीं, सर्व देवता समिति ने जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार के द्वारा उनकी मांगों पर गौर न किए जाने की भी चिंता जाहिर की. शिवपाल शर्मा ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर कई बार जिला प्रशासन अधिकारियों व मुख्यमंत्री को भी अवगत करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक उन मांगों पर कोई गौर नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि जो देवी देवता सदियों से सरकारी भूमि पर बैठे हैं, वह जगह देवी देवताओं को स्वीकृत की जाए. इसके अलावा भवन निर्माण के लिए जो धनराशि देवी देवताओं को पंचायत के माध्यम से दी जाती है, उसको सीधे तौर पर देवी देवताओं की पंजीकृत समितियों को दिया जाए.
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