करसोग: आधुनिकता के दौर में भले ही अब कई पुरानी परंपराओं की बलि चढ़ गई हो, लेकिन जिला मंडी के करसोग में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में धान की रोपाई पारंपरिक तरीके से की जाती (Paddy plantation in Karsog) है. जो आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल लोगों के लिए प्रेरणा है. तहसील मुख्यालय के समीप भण्डारनु पंचायत में आज भी धान की रोपाई बिना मजदूरी के आपसी सहयोग की जाती हैं.
गांव में जब भी किसी किसान के यहां धान की रोपाई की जाती है तो एक दिन पहले संदेश देकर महिलाओं को धान की रोपाई के लिए बुलाया जाता है. अगली सुबह हर घर से एक महिला धान की रोपाई के लिए खेतों में पहुंचती (karsog people planting paddy) हैं. ऐसे में नारी शक्ति आपसी सहयोग की भावना से एक दूसरे की सहायता कर धान की रोपाई करती हैं. इस दौरान रोपाई के साथ महिलाएं लोकगीतों की मधुर धुनों से मनोरंजन भी करती हैं.
धान की रोपाई के दिन गांव में धाम का भी आयोजन होता है. जिसमें करसोग की मशहूर धुली माह की दाल, राजमाह, मटर पनीर, खट्टी रोगी व मोठा व्यंजन परोसे जाते हैं. हालांकि मौसम में लगातार हो रहे बदलाव से खड्डों में जल स्तर गिरने लगा (Paddy plantation in Bhandarnu village) है, जिससे बहुत से ग्रामीण धान की खेती छोड़ सेब की पैदावार कर रहे हैं. कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी धान की पारंपरिक खेती हो रही है, लेकिन अंतर ये है कि खड्डों में अधिक पानी होने से पहले गर्मियों के मौसम में धान की रोपाई का कार्य शुरू होता था.
अब किसानों को बरसात का इंतजार करना पड़ता है. भण्डारनु पंचायत (Bhandarnu village in karsog) की वनिता गौतम का कहना है कि इन दिनों धान की रोपाई का कार्य चल रहा है. गांव की सभी महिलाएं धान की रूहणी लगाने में सहयोग कर रही हैं. उन्होंने कहा करसोग में बिना मजदूरी धान की रोपाई की सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है.