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प्राकृतिक खेती के लिए ऑनलाइन जागरूकता शिविर, 3 हजार किसान जहर वाली खेती को कह चुके हैं बाय-बाय

सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक से जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (Agricultural Technology Management Agency) ने जिला मंडी में प्राकृतिक खेती पर ऑनलाइन जागरूकता शिविर (online awareness camp) का आयोजन किया गया. 3 हजार किसान जहर वाली खेती को करना छोड़ चुके हैं.

online awareness camp in karsog
करसोग में प्राकृतिक खेती के लिए ऑनलाइन जागरूकता शिविर.
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Published : Jul 14, 2022, 6:00 PM IST

करसोग: किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (Agricultural Technology Management Agency) ने जिला मंडी में प्राकृतिक खेती पर ऑनलाइन जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस शिवार में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण परियोजना के उप परियोजना निर्देशक डॉ. जगदीश जंजीहा ने पंचायत प्रधानों को प्राकृतिक खेती के टिप्स (Natural Farming tips) दिए.

ऑनलाइन जागरूकता शिविर (online awareness camp) में सभी प्रधानों को प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले घटकों की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई. साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों से अपनी अपनी पंचायतों में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए प्रेरित किए जाने का आग्रह भी किया गया. इस शिविर में विभिन्न पंचायतों के करीब 110 प्रधानों ने हिस्सा लिया. पंचायत प्रतिनिधियों ने इस खेती को अपनाने और किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए अपनी सहमति जताई.

बता दें कि करसोग में पिछले तीन सालों में बहुत से किसान जहर वाली खेती छोड़ कर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (Subhash Palekar Natural Farming) की तकनीक से जुड़ चुके हैं. इस तकनीक से जुड़ने के बाद किसान कम लागत से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. यही नहीं रासायनिक खेती छोड़ने से भूमि की उर्वकता क्षमता भी बढ़ रही (Fertility of the land is increasing) है. ऐसे में प्राकृतिक खेती के कई फायदों को देखते हुए उपमंडल में अब तक 3 हजार किसान जहर वाली खेती को करना छोड़ चुके हैं.

पज्यानु गांव के किसान सोम कृष्ण ने ऑनलाइन जागरूकता शिविर (online awareness camp) में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि, वो पिछले कई सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़कर हर साल लाखों की कमाई करने के साथ करसोग के सैकड़ों किसानों को घर-घर जाकर प्राकृतिक खेती के टिप्स भी देते हैं. उन्होंने कहा उनके पास विदेशों से भी हर साल छात्र प्राकृतिक खेती के टिप्स लेने के लिए आते हैं. वो किसानों को प्राकृतिक खेती की राह दिखा रहे हैं.

करसोग: किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीक से जोड़ने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (Agricultural Technology Management Agency) ने जिला मंडी में प्राकृतिक खेती पर ऑनलाइन जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस शिवार में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण परियोजना के उप परियोजना निर्देशक डॉ. जगदीश जंजीहा ने पंचायत प्रधानों को प्राकृतिक खेती के टिप्स (Natural Farming tips) दिए.

ऑनलाइन जागरूकता शिविर (online awareness camp) में सभी प्रधानों को प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले घटकों की विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई. साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों से अपनी अपनी पंचायतों में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए प्रेरित किए जाने का आग्रह भी किया गया. इस शिविर में विभिन्न पंचायतों के करीब 110 प्रधानों ने हिस्सा लिया. पंचायत प्रतिनिधियों ने इस खेती को अपनाने और किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए अपनी सहमति जताई.

बता दें कि करसोग में पिछले तीन सालों में बहुत से किसान जहर वाली खेती छोड़ कर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती (Subhash Palekar Natural Farming) की तकनीक से जुड़ चुके हैं. इस तकनीक से जुड़ने के बाद किसान कम लागत से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. यही नहीं रासायनिक खेती छोड़ने से भूमि की उर्वकता क्षमता भी बढ़ रही (Fertility of the land is increasing) है. ऐसे में प्राकृतिक खेती के कई फायदों को देखते हुए उपमंडल में अब तक 3 हजार किसान जहर वाली खेती को करना छोड़ चुके हैं.

पज्यानु गांव के किसान सोम कृष्ण ने ऑनलाइन जागरूकता शिविर (online awareness camp) में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि, वो पिछले कई सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़कर हर साल लाखों की कमाई करने के साथ करसोग के सैकड़ों किसानों को घर-घर जाकर प्राकृतिक खेती के टिप्स भी देते हैं. उन्होंने कहा उनके पास विदेशों से भी हर साल छात्र प्राकृतिक खेती के टिप्स लेने के लिए आते हैं. वो किसानों को प्राकृतिक खेती की राह दिखा रहे हैं.

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