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शिखर की ओर हिमाचल! सीएम के गृह जिला में ऐसे अस्पताल पहुंचाए जाते हैं मरीज - करसोग में सड़क सुविधा की समस्या

मंडी जिला की मशोग पंचायत का थाची गांव सड़क सुविधा से वंचित है और आज भी लोग कुर्सी में दो लकड़ी बांधकर बीमार व्यक्ति को मुख्यमार्ग तक पहुंचाते हैं. 55 वर्षीय महिला बिहारो देवी को घर में काम करते वक्त चक्कर आ गया और वो बेहोश हो गई, जिससे गांव के लोग इलाज के लिए उन्हें कुर्सी में लकड़ी बांधकर अस्पताल लेकर गए.

no road facility in Thachi village Mandi
no road facility in Thachi village Mandi
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Published : Jan 17, 2020, 10:58 AM IST

करसोग: जिला मंडी की मशोग पंचायत के थाची गांव को सरकार आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा नहीं दे सकी है. जिससे स्थानीय लोग कुर्सी में दो लकड़ी बांधकर बीमार व्यक्ति को मुख्यमार्ग तक लाते हैं और फिर उसको अस्पताल पहुंचाते हैं.

दरअसल मशोग पंचायत के थाची गांव निवासी 55 वर्षीय महिला बिहारो देवी को घर में काम करते वक्त चक्कर आ गया और वो बेहोश हो गई, जिससे गांव के लोग इलाज के लिए उन्हें कुर्सी में लकड़ी बांधकर अस्पताल लेकर गए. वर्तमान में अभी पांगणा से पनयाडू तक तो सड़क बनी हुई है, लेकिन इससे आगे गांव थाना धार, मशैली, बलिंडी व फलोग के लिए करीब तीन किलोमीटर तक सड़क का निर्माण होना बाकी है.

बता दें कि लोगों को तीन किलोमीटर के तंग और खतरनाक पैदल मार्ग से होकर मुख्य सड़क तक पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता है. सीधी पहाड़ी उतरने के बाद इस मार्ग के बीच में खतरनाक खड्ड भी पड़ती है, जिसे क्रॉस करने के बाद फिर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद लोग मुख्यमार्ग पनयाडू तक पहुंचते हैं.

वीडियो

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ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई मरीजों को इसी तरह से कुर्सी में बैठाकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाया है, जोकि आज के आधुनिक दौर में खेद का विषय है. उन्होंने कहा कि सरकार हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का दावा तो करती है, लेकिन करसोग विधानसभा क्षेत्र में आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां अभी तक एबुलेंस के लिए सड़क सुविधा नहीं है.

स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल ने बताया कि इस समस्या से पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के अवगत कराया गया, लेकिन अभी तक इस मसले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सड़क निर्माण कार्य जल्द कराने की बात कही, ताकि लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल सके.

ये भी पढ़ें: भरमौर में भारी भूस्खलन, मलबे में दबने से टावर लाइन बिछाते हुए मजदूर की मौत

स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल का कहना है कि एम्बुलेंस मार्ग के निर्माण की मांग को कई मंचों के माध्यम से उठाया जा चुका है, लेकिन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया.

विधायक हीरालाल ने बताया कि अगर ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए जमीन देते हैं, तो क्षेत्र में जल्द ही सड़क निर्माण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही इस परेशानी का हल निकाला जाएगा.

करसोग: जिला मंडी की मशोग पंचायत के थाची गांव को सरकार आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा नहीं दे सकी है. जिससे स्थानीय लोग कुर्सी में दो लकड़ी बांधकर बीमार व्यक्ति को मुख्यमार्ग तक लाते हैं और फिर उसको अस्पताल पहुंचाते हैं.

दरअसल मशोग पंचायत के थाची गांव निवासी 55 वर्षीय महिला बिहारो देवी को घर में काम करते वक्त चक्कर आ गया और वो बेहोश हो गई, जिससे गांव के लोग इलाज के लिए उन्हें कुर्सी में लकड़ी बांधकर अस्पताल लेकर गए. वर्तमान में अभी पांगणा से पनयाडू तक तो सड़क बनी हुई है, लेकिन इससे आगे गांव थाना धार, मशैली, बलिंडी व फलोग के लिए करीब तीन किलोमीटर तक सड़क का निर्माण होना बाकी है.

बता दें कि लोगों को तीन किलोमीटर के तंग और खतरनाक पैदल मार्ग से होकर मुख्य सड़क तक पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता है. सीधी पहाड़ी उतरने के बाद इस मार्ग के बीच में खतरनाक खड्ड भी पड़ती है, जिसे क्रॉस करने के बाद फिर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद लोग मुख्यमार्ग पनयाडू तक पहुंचते हैं.

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ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई मरीजों को इसी तरह से कुर्सी में बैठाकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाया है, जोकि आज के आधुनिक दौर में खेद का विषय है. उन्होंने कहा कि सरकार हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का दावा तो करती है, लेकिन करसोग विधानसभा क्षेत्र में आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां अभी तक एबुलेंस के लिए सड़क सुविधा नहीं है.

स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल ने बताया कि इस समस्या से पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के अवगत कराया गया, लेकिन अभी तक इस मसले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सड़क निर्माण कार्य जल्द कराने की बात कही, ताकि लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल सके.

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स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल का कहना है कि एम्बुलेंस मार्ग के निर्माण की मांग को कई मंचों के माध्यम से उठाया जा चुका है, लेकिन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया.

विधायक हीरालाल ने बताया कि अगर ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए जमीन देते हैं, तो क्षेत्र में जल्द ही सड़क निर्माण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही इस परेशानी का हल निकाला जाएगा.

Intro:सरकार आजादी के सात दशक बाद भी मशोग पंचायत के थाची गांव को एक एम्बुलेंस रोड तक नहीं बना पाई। लोगों को आज भी कुर्सी में दो लकड़ी बांधकर बीमार ब्यक्ति को मुख्यमार्ग तक लाना पड़ता है। ऐसा ही एक गांव थाची, जहां घर मे काम करते वक्त चक्कर आने से गिर कर बेहोश हो गई और गांव के लोगों ने उसे कुर्सी में लकड़ी बांधकर अस्पताल पहुंचाया।Body:
प्रदेश भर सड़कों का जाल बिछाने का दम भरने वाली सरकार के लिए दूरदराज के गांव की तस्वीरें आईना दिखाने वाली है। उपमंडल करसोग में आजादी के सात दशक बाद भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो आज भी एंबुलेंस रोड की सुविधा तक के लिए तरस रहे हैं, दूरदराज के इन क्षेत्रों में बस योग्य सड़क सुविधा मिलना तो खुली आँखों के सपने देखना जैसे है। ऐसा ही क्षेत्र है मशोग पंचायत के तहत पड़ने वाला थाची गांव यहां आज भी लोग एबुलेंस रोड के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस गांव में सड़क सुविधा न होने से मरीजों को कुर्सी में बिठाकर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है। बुधवार को यहां घर मे काम करते 55 वर्षीय महिला बिहारो देवी चक्कर आने से गिर गई। इस कारण महिला के सिर में चोट आ गई और वो बेहोश हो गई। इसके बाद परिवार वालों ने गांव के लोगों को इकठ्ठा किया और बिहारो देवी को कुर्सी में बिठाकर मुख्य मार्ग पनयाडू तक लाना पड़ा। लोगों को 3 किलोमीटर के तंग और खतरनाक पैदल मार्ग से होकर मुख्य सड़क तक पहुंचने में 45 मिनट से भी अधिक समय लग गया। सीधी पहाड़ी उतरने के बाद इस मार्ग के बीच के खतरनाक खड्ड भी पड़ती है, जिसे क्रॉस करने के बाद फिर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद लोग मुख्यमार्ग में पहुंचते है। यहां से इस महिला को गाड़ी में बिठाकर पांगणा के एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाने के लिए लाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई मरीजों को इसी तरह से कुर्सी में बिठाकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाया गय। जोकि आज के आधुनिक दौर में एक बहुत ही खेद का विषय है। सरकार हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के दावे तो कर रही है, लेकिन करसोग विधान सभा क्षेत्र में आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां अभी तक एबुलेंस रोड तक भी सुविधा नहीं है। वर्तमान में अभी पांगणा से पनयाडू तक तो सड़क निकाली जा चुकी है, लेकिन इससे आगे गांव थाना धार, मशैली, बलिंडी व फलोग के लिए करीब 3 किलोमीटर सड़क निकाली जानी बाकी है, प्रदेश में कई सरकारें बदलने के बाद भी ये सड़क पनयाडू से आगे नहीं निकल पाई है। लोगों का ये भी कहना है कि कई बार इमरजेंसी होने पर गांव में लोग घर से बाहर होने के कारण इकठ्ठे नहीं हो पाते हैं, ऐसे में यहां कुछ भी बड़ी घटना घट सकती है। इस मामले को विधायक सहित कई बार पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों उठाया जा चुका है, लेकिन अभी तक लोगों की कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई है। लोगों ने अभी मंडी जिला से पहली बार मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर से जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू किए जाने की मांग की है ताकि लोगों को इस तरह की बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सके। स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल का कहना है कि एम्बुलेंस मार्ग के निर्माण की मांग को कई मंचों के माध्यम से उठाया जा चुका है, लेकिन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने सरकार से जल्द सड़क निर्माण को लेकर कदम उठाए जाने की मांग की है।



Conclusion:विधायक हीरालाल का कहना है कि
ये मामला ध्यान में है। अगर लोग सड़क निर्माण के लिए जमीन देते हैं तो इसके लिए तुरन्त की बजट का प्रावधान किया जाएगा।
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