करसोग: जिला मंडी की मशोग पंचायत के थाची गांव को सरकार आजादी के सात दशक बाद भी सड़क सुविधा नहीं दे सकी है. जिससे स्थानीय लोग कुर्सी में दो लकड़ी बांधकर बीमार व्यक्ति को मुख्यमार्ग तक लाते हैं और फिर उसको अस्पताल पहुंचाते हैं.
दरअसल मशोग पंचायत के थाची गांव निवासी 55 वर्षीय महिला बिहारो देवी को घर में काम करते वक्त चक्कर आ गया और वो बेहोश हो गई, जिससे गांव के लोग इलाज के लिए उन्हें कुर्सी में लकड़ी बांधकर अस्पताल लेकर गए. वर्तमान में अभी पांगणा से पनयाडू तक तो सड़क बनी हुई है, लेकिन इससे आगे गांव थाना धार, मशैली, बलिंडी व फलोग के लिए करीब तीन किलोमीटर तक सड़क का निर्माण होना बाकी है.
बता दें कि लोगों को तीन किलोमीटर के तंग और खतरनाक पैदल मार्ग से होकर मुख्य सड़क तक पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता है. सीधी पहाड़ी उतरने के बाद इस मार्ग के बीच में खतरनाक खड्ड भी पड़ती है, जिसे क्रॉस करने के बाद फिर खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद लोग मुख्यमार्ग पनयाडू तक पहुंचते हैं.
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ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कई मरीजों को इसी तरह से कुर्सी में बैठाकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाया है, जोकि आज के आधुनिक दौर में खेद का विषय है. उन्होंने कहा कि सरकार हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का दावा तो करती है, लेकिन करसोग विधानसभा क्षेत्र में आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां अभी तक एबुलेंस के लिए सड़क सुविधा नहीं है.
स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल ने बताया कि इस समस्या से पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के अवगत कराया गया, लेकिन अभी तक इस मसले में कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सड़क निर्माण कार्य जल्द कराने की बात कही, ताकि लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिल सके.
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स्थानीय निवासी जोगिन्द्र पाल का कहना है कि एम्बुलेंस मार्ग के निर्माण की मांग को कई मंचों के माध्यम से उठाया जा चुका है, लेकिन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया.
विधायक हीरालाल ने बताया कि अगर ग्रामीण सड़क निर्माण के लिए जमीन देते हैं, तो क्षेत्र में जल्द ही सड़क निर्माण किया जाएगा. उन्होंने बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही इस परेशानी का हल निकाला जाएगा.