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पैसे के अभाव में नहीं हो पा रहा बेटी का इलाज, बेबस मां ने लगाई मदद की गुहार

ग्राम पंचायत त्रयाम्बली के भनवाड़ गांव की 32 वर्षीय भवना को मदद की दरकार है. भवना की मां ठाकरी देवी ने बताया कि उसे अपनी बेटी की दवाईयों के लिए हर महीने 1500 से 2000 की दरकार रहती है. आज के दौर में इतनी छोटी सी रकम को अर्जित कर पाना भी उसके लिए संभव नहीं है.

बेबस मां नहीं लगाई मदद की गुहार
बेबस मां नहीं लगाई मदद की गुहार
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Published : Aug 25, 2021, 2:21 PM IST

मंडी: द्रंग उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत त्रयाम्बली के भनवाड़ गांव की 32 वर्षीय भवना को मदद की दरकार है. भवना देवी जब 8 वर्ष की थी, तब से उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. कुछ वर्ष पहले भावना को मिर्गी का दौरा पड़ा और वह गिर गई. इस दौरान वह आग की चपेट में आ गई. हाथ और पैर बुरी तरह से जल गया. इसके बाद भवना पूरी तरह से चलने-फिरने में असमर्थ हो गई और अब बिस्तर पर ही पड़ी हुई है.

भवना की मां ठाकरी देवी ने बताया कि उसे अपनी बेटी की दवाईयों के लिए हर महीने 1500 से 2000 की दरकार रहती है. आज के दौर में इतनी छोटी सी रकम को अर्जित कर पाना भी उसके लिए संभव नहीं है. आईआरडीपी परिवार से संबंध रखने वाली ठाकरी देवी का कहना है कि उसका सारा दिन बेटी की देखभाल में ही गुजर जाता है. जिस कारण वो कोई भी काम नहीं कर पा रही हैं.

वीडियो

ठाकरी देवी के पति का चार वर्ष पूर्व देहांत हो गया. दो बेटे हैं, जिनकी भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ठाकरी देवी ने बताया कि बेटी के उपचार के लिए वो चंडीगढ़ तक गई, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. इन्होंने सरकार और अन्य दानी सज्जनों से मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें: जज्बे को सलाम! गरीब बच्चों के लिए मसीहा बने देवी सिंह, करीब 20 सालों से उठा रहे पढ़ाई का खर्चा

मंडी: द्रंग उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत त्रयाम्बली के भनवाड़ गांव की 32 वर्षीय भवना को मदद की दरकार है. भवना देवी जब 8 वर्ष की थी, तब से उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. कुछ वर्ष पहले भावना को मिर्गी का दौरा पड़ा और वह गिर गई. इस दौरान वह आग की चपेट में आ गई. हाथ और पैर बुरी तरह से जल गया. इसके बाद भवना पूरी तरह से चलने-फिरने में असमर्थ हो गई और अब बिस्तर पर ही पड़ी हुई है.

भवना की मां ठाकरी देवी ने बताया कि उसे अपनी बेटी की दवाईयों के लिए हर महीने 1500 से 2000 की दरकार रहती है. आज के दौर में इतनी छोटी सी रकम को अर्जित कर पाना भी उसके लिए संभव नहीं है. आईआरडीपी परिवार से संबंध रखने वाली ठाकरी देवी का कहना है कि उसका सारा दिन बेटी की देखभाल में ही गुजर जाता है. जिस कारण वो कोई भी काम नहीं कर पा रही हैं.

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ठाकरी देवी के पति का चार वर्ष पूर्व देहांत हो गया. दो बेटे हैं, जिनकी भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ठाकरी देवी ने बताया कि बेटी के उपचार के लिए वो चंडीगढ़ तक गई, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. इन्होंने सरकार और अन्य दानी सज्जनों से मदद की गुहार लगाई है.

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