मंडीः कैंसर जैसे आसाध्य रोग को दूर करने के औषधीय गुणों से भरपूर छरमा (सीबकथोर्न) में हिमाचल के लाहौल स्पीति में पैदा होता है. सीबकथोर्न हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के जनजातीय क्षेत्र में रोजगार सृजन और सतत आजीविका उपलब्ध करवा कर कृषि आर्थिकी का चेहरा बदलने की कुव्वत रखता है.
इसके चलते आने वाले समय में छरमा को हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों में उगाने की योजना बनाई जा रही है. यह बात हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा ने मंडी में छरमा से बने कुकीज की लॉन्चिंग के दौरान कही. उन्होंने कहा कि छरमा कुदरती तौर पर जिला लाहौल स्पीति में पैदा होता है.
छरमा की कल्टिवेशन के बारे में किया जाएगा जागरूक
तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा ने जानकारी देते हुए बताया कि छरमा को वोकल फॉर लोकल के साथ जोड़कर घरातल पर इसकी कल्टिवेशन के बारे में जागरूक किया जाएगा और खाली पड़ी भूमि या फिर नदी के किनारों पर इसे तैयार करवाया जाएगा. इससे किसानों को मुनाफा मिलने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि औषधिय गुणों से भरपूर छरमा, ब्राम्ही, शंख पुष्पी और शीलाजीत से बने बिस्किट के अलग-अलग फ्लेवर शुक्रवार मंडी में लॉन्च किए गए हैं, जो आने वाले समय में हिमाचल के बाजारों में उतारे जाएंगे.
लाहौल स्पीती के किसानों को मिलेगा लाभ
रामलाल मारकंडा ने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि आने वाले समय में छरमा के प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा भारतीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी उतारे जाएंगें. इसके साथ ही छरमा के उत्तम किस्म की प्रजाति को हिमाचल में तैयार करके लाहौल स्पीती के किसानों को भी उसका लाभ दिया जाएगा.
छरमा पौधा औषधीय गुणों से भरपूर
बता दें कि छरमा एक प्रकार का दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है, जो मात्र कुछ चुनिंदा जगहों पर ही पाया जाता है. छरमा के संपूर्ण पौधे में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिनका अब आम जनता को भी लाभ मिलने की उम्मीद है.
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