मंडी: गर्मी के दिन में पानी की उपलब्धता किसी भी सरकार के लिए चिंता का विषय होता है. गर्मी की दस्तक के साथ ही जहां शहरों और गांवों में पानी की किल्लत बढ़ जाती है, वहीं, जल शक्ति विभाग के पास भी तमाम तरह की शिकायतें भी पहुंचना शुरू हो जाती हैं.
छोटी काशी मंडी की बात करें तो यहां पर लोगों की समस्याओं का निपटारा करने के लिए जल शक्ति विभाग ने शिकायत कक्ष बनाया है. इसके अलावा विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर लोग अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं.
समस्याएं दूर करने के लिए बनाया गया शिकायत कक्ष
जिले में लोगों की पानी से जुड़ी समस्याओं के निपटारे के लिए जल शक्ति विभाग ने स्कोडी पुल के पास शिकायत कक्ष बनाया है. इसके अलावा विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर भी लोग अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं. विभाग के पास रोजाना 10 से 15 शिकायतें आती हैं. जिनका 24 घटें के भीतर निपटारा करने का विभाग दावा कर रहा है.
शिकायतों की रोजाना होती है मॉनिटरिंग
जल शक्ति विभाग मंडी के सहायक अभियंता भानु प्रताप का कहना है कि विभाग को मिलने वाली शिकायतों में सड़कों और गलियों की पाइपों में लीकेज, पानी की कम सप्लाई व मीटर में खराबी इत्यादि शामिल हैं. उपभोक्ताओं से मिलने वाली शिकायतों की रोजाना मॉनिटरिंग की जा रही है. इसकी रिपोर्ट हर रोज शाम के समय विभाग को भेजी जा रही है.
237 स्कीमों से हो रही पानी की पूर्ति
मंडी शहर और ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की सप्लाई 237 स्कीमों के जरिए की जा रही है. साथ ही शहर में दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किए गए हैं ताकि, पानी की शुद्धता को बरकरार रखा जा सके. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में लोग प्राकृतिक स्रोतों से आने वाले पानी का भी इस्तेमाल करते हैं.
उपभोक्ताओं के लिए तैयार किया गया एप्लीकेशन
जल शक्ति विभाग के सहायक अभियंता बताते हैं कि मंडी डिवीजन ने एक एप्लीकेशन तैयार किया है. जिसकी मदद से उपभोक्ता अपने एरिया की पानी के टैंकों की क्षमता, पानी की आपूर्ति की समय सारणी के साथ अन्य तरह की जानकारी ले सकते हैं. विभाग द्वारा जिले में लोगों को स्वच्छ पानी पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
जिले में हर साल हजारों होते हैं डायरिया के शिकार
जोनल अस्पताल मंडी के एमओएच डॉक्टर दिनेश बताते हैं कि पानी से होने वाली बीमारियों का मुख्य कारण दूषित जल होता है. जिले में हर साल डायरिया के हजारों मरीज आते हैं. इतना ही नहीं दूषित जल की वजह से हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस सी, टाइफाइड, हैजा जैसे रोग भी व्यक्ति को घेर लेते हैं. ऐसे में जल शक्ति विभाग पानी की क्लोरिनेशन की जाती है. लेकिन परंपरागत स्रोतों में क्लोरिनेशन ना होने के कारण जल दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है.