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अब एग्रो केमिकल उद्योग नहीं करेंगे वातावरण प्रदूषित, IIT मंडी ने कैटलिस्ट को किया विकसित - रॉयल केमिकल सोसायटी

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के विशेषज्ञों ने पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और किफायती कैटलिस्ट विकसित किया है. रॉयल केमिकल सोसायटी ने इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल ग्रीन केमिस्ट्री में प्रकाशित किए हैं.

iit mandi
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Published : Oct 9, 2020, 1:49 PM IST

मंडी: आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के विशेषज्ञों ने पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और किफायती कैटलिस्ट विकसित किया है. सुलभ कार्बन आधारित यह कैटलिस्ट विशेष प्रक्रिया के लिए बना है. यह उद्योगों से निकलने वाले रसायनों के दुष्प्रभावों को वातावरण की दृष्टि से कम करता है.

रॉयल केमिकल सोसायटी ने इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल ग्रीन केमिस्ट्री में प्रकाशित किए हैं. स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के डॉ. वेंकट कृष्णन के इस शोध पत्र में डॉ. प्रियंका चैधरी, डॉ. आशीष बहुगुणा, डॉ. अजय कुमार और आईआईटी रोपड़ में रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीएम नागराजा ने मदद की है. हिमाचल में फार्मा हब के रूप में विकसित बीबीएन में सर्वाधिक फार्मा और कॉस्मेटिक उद्योग हैं.

इसके अलावा पांवटा साहिब, ऊना, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर में भी उद्योग हैं. इन जगहों में दूषित रसायन प्रदूषण का अहम कारक हैं और एनजीटी भी ऐसे उद्योगों पर सख्त है. डॉ. कृष्णन ने बताया कि हमारे जीवन में उपयोगी लगभग सभी सिंथेटिक उत्पादों की औद्योगिक प्रक्रियाओं में कैटलिस्ट का उपयोग होता है. उद्योगों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के पर्यावरण पर बुरे प्रभाव को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ रही है. पर्यावरण अनुकूल कैटलिस्ट विकसित करने की अत्यधिक आवश्यकता है.

विशेषज्ञों के अनुसार कैटलाइसिस के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड को चुना है. यह लक्षित प्रतिक्रिया के लिए धातु रहित कैटलिस्ट है, जिसमें दिलचस्प रासायनिक और भौतिक गुण हैं. हाल ही में पूरी दुनिया में महंगे धातु के कैटलिस्ट के बदले सरल, विशिष्ट कार्बन-आधारित सामग्रियों को विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाओं के बेहतर विकल्प के रूप में मान्यता दी गई है.

ये भी पढ़ें: अटल टनल की सुरक्षा अब हिमाचल पुलिस के हवाले, निगरानी तंत्र से मैनेज होगी ट्रैफिक

मंडी: आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के विशेषज्ञों ने पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और किफायती कैटलिस्ट विकसित किया है. सुलभ कार्बन आधारित यह कैटलिस्ट विशेष प्रक्रिया के लिए बना है. यह उद्योगों से निकलने वाले रसायनों के दुष्प्रभावों को वातावरण की दृष्टि से कम करता है.

रॉयल केमिकल सोसायटी ने इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल ग्रीन केमिस्ट्री में प्रकाशित किए हैं. स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के डॉ. वेंकट कृष्णन के इस शोध पत्र में डॉ. प्रियंका चैधरी, डॉ. आशीष बहुगुणा, डॉ. अजय कुमार और आईआईटी रोपड़ में रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीएम नागराजा ने मदद की है. हिमाचल में फार्मा हब के रूप में विकसित बीबीएन में सर्वाधिक फार्मा और कॉस्मेटिक उद्योग हैं.

इसके अलावा पांवटा साहिब, ऊना, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर में भी उद्योग हैं. इन जगहों में दूषित रसायन प्रदूषण का अहम कारक हैं और एनजीटी भी ऐसे उद्योगों पर सख्त है. डॉ. कृष्णन ने बताया कि हमारे जीवन में उपयोगी लगभग सभी सिंथेटिक उत्पादों की औद्योगिक प्रक्रियाओं में कैटलिस्ट का उपयोग होता है. उद्योगों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के पर्यावरण पर बुरे प्रभाव को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ रही है. पर्यावरण अनुकूल कैटलिस्ट विकसित करने की अत्यधिक आवश्यकता है.

विशेषज्ञों के अनुसार कैटलाइसिस के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड को चुना है. यह लक्षित प्रतिक्रिया के लिए धातु रहित कैटलिस्ट है, जिसमें दिलचस्प रासायनिक और भौतिक गुण हैं. हाल ही में पूरी दुनिया में महंगे धातु के कैटलिस्ट के बदले सरल, विशिष्ट कार्बन-आधारित सामग्रियों को विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाओं के बेहतर विकल्प के रूप में मान्यता दी गई है.

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