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स्मार्ट मीटर लगाने के खिलाफ हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन, सरकार से की ये मांग

हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन ने प्रदेश सरकार व विद्युत विभाग पर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को उपभोक्ताओं से लूट करार दिया है.

हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन
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Published : Aug 11, 2019, 11:30 AM IST

Updated : Aug 11, 2019, 1:49 PM IST

मंडी: हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन ने सरकार व विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर आरोप लगाया है कि स्मार्ट मीटर लगाने की योजना से उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है. हिमाचल पेंशनर फेडरेशन सुंदरनगर के अध्यक्ष निरंजन सिंह वर्मा ने प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को उपभोक्ताओं से लूट करार दिया है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विद्युत विभाग में चोरी की रोकथाम की आड़ लेकर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना की हिमाचल राज्य में कोई आवश्यकता नहीं है. प्रदेश में बिजली की कोई चोरी नहीं होती उपभोक्ता सामान्य रूप से 300-400 यूनिट बिजली से अधिक खर्च भी नहीं करते है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने से शुरू में भले ही सरकार योगदान कर रही हो, लेकिन बाद में खराबी आने पर मरम्मत करने पर वह दोबारा मीटर बदलने व लगाने के लिए उपभोक्ता एक-एक मीटर पर तीन-तीन हजार की राशि खर्च नहीं कर सकता.

उन्होंने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार व विभाग अपने लाभ के लिए ऐसे हथकंडे अपनाकर गरीबों को लूट रहा है, जो अनुचित है. उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार इस पर विचार करें और तुरंत प्रभाव से इसे रद्द किया जाए नहीं तो वे सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

मंडी: हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन ने सरकार व विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर आरोप लगाया है कि स्मार्ट मीटर लगाने की योजना से उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है. हिमाचल पेंशनर फेडरेशन सुंदरनगर के अध्यक्ष निरंजन सिंह वर्मा ने प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को उपभोक्ताओं से लूट करार दिया है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विद्युत विभाग में चोरी की रोकथाम की आड़ लेकर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना की हिमाचल राज्य में कोई आवश्यकता नहीं है. प्रदेश में बिजली की कोई चोरी नहीं होती उपभोक्ता सामान्य रूप से 300-400 यूनिट बिजली से अधिक खर्च भी नहीं करते है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने से शुरू में भले ही सरकार योगदान कर रही हो, लेकिन बाद में खराबी आने पर मरम्मत करने पर वह दोबारा मीटर बदलने व लगाने के लिए उपभोक्ता एक-एक मीटर पर तीन-तीन हजार की राशि खर्च नहीं कर सकता.

उन्होंने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार व विभाग अपने लाभ के लिए ऐसे हथकंडे अपनाकर गरीबों को लूट रहा है, जो अनुचित है. उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार इस पर विचार करें और तुरंत प्रभाव से इसे रद्द किया जाए नहीं तो वे सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे.

Intro:हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन ने सरकार व विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर उठाये सवाल,
प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को उपभोक्ताओं से दिया लूट करार,
विद्युत विभाग में चोरी की रोकथाम की आड़ में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर, उपभोगताओ जो चोर समझना गलत,
प्रदेश में नहीं होती बिजली की चोरी, ना ही बिजली की होती है अधिक खपत,
सरकार व विभाग अपने लाभ के लिए नए-नए हथकंडे अपनाकर गरीबों को लूटने का कर काम,
की मांग तुरंत प्रभाव से रद्द करे फेंसला नहीं तो उपभोक्ता सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ करेगे प्रदर्शन,Body:एकर : विश्राम गृह सुंदरनगर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए सुधार सभा सुंदरनगर के अध्यक्ष निरंजन सिंह वर्मा, हिमाचल पेंशनर्स फेडरेशन मंडी के जिला संयुक्त सचिव रमन गुप्ता, हिमाचल पेंशनर फेडरेशन सुंदरनगर के प्रधान लक्ष्मण सिंह और वरिष्ठ उप प्रधान विनोद स्वरूप ने प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को उपभोक्ताओं से लूट करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के दो जिलों में शुरू हो रहा है, फिर प्रदेश में शुरू होगा। प्रदेश में 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स खपत के मुल्य पर लगना चाहिए, जबकि विभाग इसे फ्लैट रेट प्रति मीटर बसूल रहा है, जोकि सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विद्युत विभाग में चोरी की रोकथाम की आड़ लेकर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना की हिमाचल राच्य में कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग ने पहले भी इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए और यही आड़ लेकर डिजिटल मीटर लगा लिए, जिसका भार उपभोक्ताओं के उपर पड़ा है। उन्होंने कहाकि यह मीटर सफलतापूर्वक प्रदेश में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली की कोई चोरी नहीं होती उपभोक्ता सामान्य रूप से तीन 400 यूनिट बिजली से अधिक खर्च भी नहीं करते। उन्होंने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगाने से शुरू में भले ही सरकार योगदान कर रही हो, लेकिन बाद में खराबी आने पर मरम्मत करने पर वह दोबारा मीटर बदलने व लगाने के लिए उपभोक्ता एक एक मीटर के तीन तीन हजार की राशि खर्च नहीं कर सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले भी डिजिटल के नाम से जब मीटर बदला तो कीमत 400 की बजाय साढे 900 बताई गई। उन्होंने कड़ा विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि अब उपभोक्ताओं को चोर समझकर फिर से 3000 रूपये की कीमत का मीटर लगाने जा रहे है। जबकि वास्तविकता यह है कि यहां ना बिजली की चोरी होती है, और ना ही उस तर्ज पर बिजली की अधिक खपत होती है। सरकार व विभाग अपने लाभ के लिए ऐसे हथकंडे अपनाकर गरीबों को लूट रहा है, जो अनुचित है। उन्होंने मांग उठाई है कि सरकार इस पर विचार करें और तुरंत प्रभाव से इसे रद्द किया जाए अन्यथा उपभोक्ता सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने से गुरेज नहीं करेगा। Conclusion:बाइट : कृषि विभाग से सेवानिवृत एव सुधार सभा सुंदरनगर के अध्यक्ष निरंजन सिंह वर्मा
Last Updated : Aug 11, 2019, 1:49 PM IST
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