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इस साल भाइयों की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखी, बहनों ने चाइना मेड उत्पाद का किया विरोध

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहे जाने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहनों ने बार चाइना मेड राखियों का बहिष्कार करके अपने भाइयों की कलाई पर

rakshabandhan festival
मंडी
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Published : Aug 2, 2020, 5:35 PM IST

मंडी: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण रक्षाबंधन के त्यौहार पर बाजारों में लोगों की कम ही भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन फिर भी बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए मार्केट जाकर स्वदेशी रखियां खरीद रही हैं.

बता दें कि रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं. इस दिन राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है. इसलिए बहने अपने भाई के हाथों पर रेशमी धागे से बनी राखी या रक्षासूत्र बाधंती हैं.

बाजारों में सोने, चांदी से लेकर रेशम के धागे की राखियां मौजूद हैं और पूरे देश में इस बार स्वदेशी राखी ही बिक रही है. साथ ही इस साल जिला में कुछ संस्थाओं द्वारा वैदिक राखियां भी तैयार की गई है जो कि बाजारों में हाथों-हाथ बिक रही हैं.

वीडियो.

ग्राहक शबनम ठाकुर ने बताया कि इस बार चाइना मेड राखियों का बहिष्कार करके स्वदेशी राखी ही खरीद रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न सीमाओं पर तैनात फौजी भाइयों को भी हाथ से निर्मित राखियां भेजी गई हैं, ताकि वो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहे जाने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर अपने हाथों पर राखी बांध सके.

गौर रहे कि भारत चीन एलएसी सीमा में हुए विवाद के बाद पूरे देश में चीन की वस्तुओं का बहिष्कार किया गया है और चीन के सामान को ना खरीदने की अपील भी लोगों से की गई है. इस साल दुकानदार सहित ग्राहक भी चीन के समान का विरोध कर रहे हैं, इसलिए इस बार स्वदेशी राखियों की ज्यादा डिंमाड है.

ये भी पढ़ें: चीड़ की पत्तियों से राखी बना रही हैं धर्मशाला की सुदर्शना, बचपन में जल गए थे दोनों हाथ

मंडी: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण रक्षाबंधन के त्यौहार पर बाजारों में लोगों की कम ही भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन फिर भी बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए मार्केट जाकर स्वदेशी रखियां खरीद रही हैं.

बता दें कि रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं. इस दिन राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है. इसलिए बहने अपने भाई के हाथों पर रेशमी धागे से बनी राखी या रक्षासूत्र बाधंती हैं.

बाजारों में सोने, चांदी से लेकर रेशम के धागे की राखियां मौजूद हैं और पूरे देश में इस बार स्वदेशी राखी ही बिक रही है. साथ ही इस साल जिला में कुछ संस्थाओं द्वारा वैदिक राखियां भी तैयार की गई है जो कि बाजारों में हाथों-हाथ बिक रही हैं.

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ग्राहक शबनम ठाकुर ने बताया कि इस बार चाइना मेड राखियों का बहिष्कार करके स्वदेशी राखी ही खरीद रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न सीमाओं पर तैनात फौजी भाइयों को भी हाथ से निर्मित राखियां भेजी गई हैं, ताकि वो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहे जाने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर अपने हाथों पर राखी बांध सके.

गौर रहे कि भारत चीन एलएसी सीमा में हुए विवाद के बाद पूरे देश में चीन की वस्तुओं का बहिष्कार किया गया है और चीन के सामान को ना खरीदने की अपील भी लोगों से की गई है. इस साल दुकानदार सहित ग्राहक भी चीन के समान का विरोध कर रहे हैं, इसलिए इस बार स्वदेशी राखियों की ज्यादा डिंमाड है.

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