मंडी: जिला को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए पंचायत स्तर पर 'टीबी फोरम' टीम गठित की जाएंगी. सब की भागीदारी के साथ एक व्यापक अभियान चलाकर दिसंबर 2021 तक मंडी जिला को पूर्णत क्षय रोग मुक्त जिला बनाने के लिए लक्षित प्रयास किए जाएंगे. अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने ये बात राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 'मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण' योजना की समीक्षा बैठक के दौरान कही.
अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि इस अभियान को तीव्र गति देने के लिए आयुर्वेद विभाग, आशा कार्यकर्ताओं और पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों व प्रतिनिधियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य की पूर्ति के लिए समस्त सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी लिया जाएगा. साथ ही कहा कि हर तीन माह में इस अभियान की समीक्षा की जाएगी, ताकि लक्ष्य को समय पर निर्धारित किया जा सके.
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत जिला में 2018 से अब तक लगभग 2 करोड़ की राशि पौष्टिक आहार पर व्यय की गई है. इसके अतिरिक्त ज्यादा गंभीर रोगियों (एमडीआर) को प्रतिमाह 2000 व अन्य सभी को 500 रुपये प्रति माह की राशि भी प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि क्षय रोग में ज्यादा गंभीर पीड़ित रोगी की 6 माह की दवा किट पर 18 लाख की राशि व्यय की जाती है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि टीबी का आधुनिक और पूरा इलाज सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में बिल्कुल मुफ्त है. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को दो हफ्ते से लगातार खांसी, बुखार, पसीना आना, भूख न लगना और वजन में लगातार गिरावट है, तो उस व्यक्ति को तुरंत अपनी जांच करवानी चाहिए. उन्होंने कहा कि टीबी नैट टैस्टिंग लैब सुविधा क्षेत्रीय अस्पताल मंडी और मेडिकल कॉलेज नेरचौक में उपलब्ध है, जबकि जल्द ही ये सुविधा सरकाघाट सिविल अस्पताल में भी उपलब्ध होगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन सलाहकार डॉ. रविन्द्र कुमार ने अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भारत वर्ष को 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वहीं, बैठक में क्षय रोग वीरों को विशेष तौर पर आमंत्रित कर उनके अनुभवों को साझा किया गया.
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