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मुख्यमंत्री के गृह जिला में सरकारी आदेशों को ठेंगा, 4 डॉक्टरों ने अभी तक नहीं किया ज्वाइन

करसोग का सिविल हॉस्पिटल में सरकार ने 25 जुलाई को विभिन्न विभागों के 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला है. जिससे मरीजो को परेशानियां झेलनी पड़ रही है.

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Published : Aug 7, 2019, 6:31 PM IST

मंडीः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में ही डॉक्टरों ने सरकारी आदेशों को अनसुना किया है. इसका बड़ा उदाहरण करोड़ों की लागत से निर्मित करसोग का सिविल हॉस्पिटल है. यहां डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 25 जुलाई को विभिन्न विभागों के 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला है. ये लापरवाही करसोग विधानसभा के क्षेत्र के लोगों के स्वाथ्य पर भारी पड़ रही है.
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण मजबूरन लोगों को इलाज करवाने के लिए जिला स्तरीय अस्पताल मंडी और आईजीएमसी जाना पड़ रहा है. जिससे लोगों का कीमती समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है.

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150 बिस्तरों का अस्पताल, 5 डॉक्टरों के सहारे
करोड़ों की लागत से निर्मित अस्पताल में 150 बिस्तरों की सुविधा है. इसको देखते हुए सरकार ने करसोग अस्पताल के लिए 16 डॉक्टरों के पद सेंक्शन किए हैं, लेकिन इतने पद स्वीकृत होने के बाद भी अस्पताल में केवल 6 डॉक्टर है. इसमें भी एक डॉक्टर मातृत्व अवकाश पर है. इस तरह से वर्तमान में स्वास्थ्य व्यवस्था केवल 5 डॉक्टरों के सहारे है. लोगों को घंटों बाहर खड़े रह कर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है. क्षेत्र की जनता ने पिछले साल 1 जुलाई को माहूंनाग में आयोजित हुए जनमंच कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के सामने भी इस मामले को उठाया था, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी डॉक्टरों को कमी जस की तस है.

एक डॉक्टर रोजाना देखता है 100 मरीज
करसोग अस्पताल में रोजाना ओपीडी में 500 मरीज आते हैं, जबकि अस्पताल में कुल 5 डॉक्टर है. ऐसे में 1 डॉक्टर को रोजाना 100 मरीजों को देखना पड़ रहा है. इससे मरीजों को तो अपनी बारी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है, डॉक्टरों पर भी काम का अधिक बोझ है. जिससे डॉक्टरों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है. मरीज भी यहां आने पर सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं.


इन विभागों के लिए विशेषज्ञों के आदेश
सरकार ने करसोग अस्पताल में 4 विभागों में विशेषज्ञों की तैनाती के आदेश जारी किए थे, इसमें सर्जरी, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ व एनथीसिया प्रमुख थे. डॉक्टरों की तैनाती की आदेश 25 जुलाई को जारी किए गए था. लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने अपने आदेश में डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने को कहा था.

उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया जायेगा: बीएमओ
बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है. उन्होंने माना है कि सरकार ने 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे.
बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है.

ये भी पढ़े- प्रदेश में नहीं थम रहे स्क्रब टायफस का कहर, IGMC में 13 मामले पॉजिटीव

मंडीः मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में ही डॉक्टरों ने सरकारी आदेशों को अनसुना किया है. इसका बड़ा उदाहरण करोड़ों की लागत से निर्मित करसोग का सिविल हॉस्पिटल है. यहां डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 25 जुलाई को विभिन्न विभागों के 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला है. ये लापरवाही करसोग विधानसभा के क्षेत्र के लोगों के स्वाथ्य पर भारी पड़ रही है.
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण मजबूरन लोगों को इलाज करवाने के लिए जिला स्तरीय अस्पताल मंडी और आईजीएमसी जाना पड़ रहा है. जिससे लोगों का कीमती समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है.

वीडियो

150 बिस्तरों का अस्पताल, 5 डॉक्टरों के सहारे
करोड़ों की लागत से निर्मित अस्पताल में 150 बिस्तरों की सुविधा है. इसको देखते हुए सरकार ने करसोग अस्पताल के लिए 16 डॉक्टरों के पद सेंक्शन किए हैं, लेकिन इतने पद स्वीकृत होने के बाद भी अस्पताल में केवल 6 डॉक्टर है. इसमें भी एक डॉक्टर मातृत्व अवकाश पर है. इस तरह से वर्तमान में स्वास्थ्य व्यवस्था केवल 5 डॉक्टरों के सहारे है. लोगों को घंटों बाहर खड़े रह कर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है. क्षेत्र की जनता ने पिछले साल 1 जुलाई को माहूंनाग में आयोजित हुए जनमंच कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के सामने भी इस मामले को उठाया था, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी डॉक्टरों को कमी जस की तस है.

एक डॉक्टर रोजाना देखता है 100 मरीज
करसोग अस्पताल में रोजाना ओपीडी में 500 मरीज आते हैं, जबकि अस्पताल में कुल 5 डॉक्टर है. ऐसे में 1 डॉक्टर को रोजाना 100 मरीजों को देखना पड़ रहा है. इससे मरीजों को तो अपनी बारी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है, डॉक्टरों पर भी काम का अधिक बोझ है. जिससे डॉक्टरों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है. मरीज भी यहां आने पर सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कोसते नजर आते हैं.


इन विभागों के लिए विशेषज्ञों के आदेश
सरकार ने करसोग अस्पताल में 4 विभागों में विशेषज्ञों की तैनाती के आदेश जारी किए थे, इसमें सर्जरी, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ व एनथीसिया प्रमुख थे. डॉक्टरों की तैनाती की आदेश 25 जुलाई को जारी किए गए था. लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने अपने आदेश में डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने को कहा था.

उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया जायेगा: बीएमओ
बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है. उन्होंने माना है कि सरकार ने 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे.
बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है.

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Intro:सरकार ने 25 जुलाई को विभिन्न विभागों के 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला हैBody:मुख्यमंत्री के गृह जिला में सरकारी आदेशों की ठेंगा, यहां 4 डॉक्टरों ने अभी तक नहीं किया ज्वाइन।
करसोग
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में ही डॉक्टरों ने सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखा दिया है। इसका बड़ा उदाहरण करोड़ों की लागत से निर्मित करसोग का सिविल हॉस्पिटल है। यहां डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 25 जुलाई को विभिन्न विभागों के 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला है। ऐसे में ये लापरवाही करसोग विधानसभा के क्षेत्र के लोगों के स्वाथ्य पर भारी पड़ने लगी है। यही नहीं अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण मजबूरन लोगों को इलाज करवाने के लिए जिला स्तरीय अस्पताल मंडी और आईजीएमसी जाना पड़ रहा है। जिससे लोगों का कीमती समय और पैसा दोनों बर्बाद जो रहा है। इस तरह की लापरवाही से जनता के बीच में सरकार की छवि भी खराब हो रही है।

150 बिस्तरों का अस्पताल, 5 डॉक्टरों के सहारे:
करोड़ों की लागत से निर्मित अस्पताल में 150 बिस्तरों की सुविधा है। इसको देखते हुए सरकार ने करसोग अस्पताल लिए 16 डॉक्टरों के पद सेंक्शन किए हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इतने पद स्वीकृत होने के बाद भी अस्पताल में केवल 6 डॉक्टर है। इसमें भी एक डॉक्टर मातृत्व अवकाश पर है। इस तरह से वर्तमान में स्वास्थ्य व्यवस्था केवल 5 डॉक्टरों के सहारे है। ऐसे में लोगों को घंटों बाहर खड़े रह कर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है। क्षेत्र की जनता ने पिछले साल 1 जुलाई को माहूंनाग में आयोजित हुए जनमंच कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के सामने भी इस मामले को उठाया था, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी डॉक्टरों को कमी जस की तस है।

एक डॉक्टर रोजाना देखता है100 मरीज:
करसोग अस्पताल में रोजाना ओपीडी में 500 मरीज आते हैं, जबकि अस्पताल में कुल 5 डॉक्टर है। ऐसे में 1 डॉक्टर को रोजाना 100 मरीजों को देखना पड़ रहा है। इससे मरीजों को तो अपनी बारी के लिए लम्बा इंतज़ार करना ही पड़ता है, डॉक्टरों पर भी काम का अधिक बोझ है। जिससे डॉक्टरों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। हालात अब इतने खराब है कि कई बार तो डॉक्टरों को लम्बे समय से अपनी बारी का इंतज़ार के रहे मरीजों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ता है। मरीज भी यहां आने पर सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कोसते है।

इन विभागों के लिए विशेषज्ञों के आदेश:
सरकार ने करसोग अस्पताल में 4 विभागों में विशेषज्ञों की तैनाती के आदेश जारी किए थे, इसमें सर्जरी, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ व एनथीसिया प्रमुख थे। डॉक्टरों की तैनाती की आदेश 25 जुलाई को जारी किए गए था। लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने अपने आदेश में डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने को कहा था।

उच्चाधिकारियों को अवगत कटवाया जायेगा: बीएमओ
बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है। उन्होंने माना है कि सरकार ने 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे।
Conclusion:बीएमओ करसोग डॉ राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है। उन्होंने माना है कि सरकार ने 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे।
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