मंडीः भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न संगठनों ने श्रम नियमों में श्रमिक विरोधी संशोधन के विरोध में धरना प्रदर्शन किया. साथ ही जिला उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रम मंत्री संतोष गंगवार को ज्ञापन प्रेषित किया.
वहीं, भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं, मिड डे मील कार्यकर्ताओं और सिलाई अध्यापिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करें.
इसके अलावा सरकार एनटीटी को भी किसी विभाग में समायोजित करें. भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि 18 हजार रुपए न्यूनतम वेतन प्रतिमाह दिया जाए, पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल किया जाए.
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश प्रभारी अशोक कुमार ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने 29 श्रम कानूनों के स्थान पर चार श्रम संहिता बनाकर लोकसभा और राज्यसभा से बिल पारित किए जाने का विषय भी राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रमुखता से चर्चा का विषय रहा है.
इस सम्बन्ध में विचार विमर्श के बाद राष्ट्रीय अधिवेशन से जुड़े प्रतिनिधि सभा ने निर्णय लिया कि श्रम कोड बनाए जाने पर भारतीय मजदूर संघ को कोई आपत्ति नहीं है. किंतु इन श्रम संहिताओं में श्रमिकों के हितों के विरुद्ध जो प्रावधान किए गए हैं, उस पर भारतीय मजदूर संघ को कड़ी आपत्ति है.
उन्होंने कहा कि अनेक विभागों एवं उद्योगों पर प्रभावी अधिनियमों में प्रतिष्ठान एवं कर्मकार की परिभाषा के लिए श्रमिकों की न्यूनतम संख्या निर्धारित की गई थी. उसे बढ़ाकर उन प्रतिष्ठानों को प्रभावी कानूनों से छूट देकर उसमें कार्यरत कर्मचारियों का अहित किया गया है.
समाजिक सुरक्षा कानूनों को भी मजबूत करने के बजाय उन्हें शिथिल किया गया है और ट्रेड यूनियन की मांगों को दरकिनार करते हुए उपरोक्त अनेक श्रमिक विरोधी संशोधन किए हैं.
भारतीय मजदूर संघ ने श्रम कानूनों का विरोध करते हुए सरकार से मांग की है कि इन श्रम संहिताओं में जो श्रमिकों को प्रभावित करने वाले संशोधन या प्रावधान किए गए हैं, इनमें सरकार बदलाव करें. संघ का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी.